नई दिल्ली: नोबेल पुरस्कार विजेता भारतीय अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन (Nobel laureate Indian economist Amartya Sen) के निधन की अफवाह (rumor of death) उड़ी थी. नंदना देब सेन (Nandana Deb Sen) ने अपने पिता नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन (Nobel laureate Amartya Sen) के निधन की खबर का खंडन किया है. उन्होंने कहा है कि उनके पिता पूरी तरह से स्वस्थ हैं. निधन की खबर पूरी तरह से गलत और भ्रामक है. वह अपना शिक्षण कार्य कर रहे हैं. अमर्त्य सेन को 1998 में अर्थशास्त्र के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. नंदना देब सेने ने कहा है कि हम पिछले हफ्ते ही कैंब्रिज में साथ थे और वो अपना शिक्षण कार्य कर रहे हैं.
अमर्त्य सेन की बेटी नंदना सेन ने ट्वीट करते हुए कहा, पिता की चिंता के लिए धन्यवाद लेकिन यह फर्जी खबर है. बाबा पूरी तरह से ठीक है. हमने कैंब्रिज में अपने परिवार के साथ एक शानदार सप्ताह बिताया है. वह हार्वर्ड में हर सप्ताह दो कोर्स पढ़ाते हैं. इसके साथ-साथ वो जेंडर बुक में भी व्यस्त हैं.
अमर्त्य सेन जादवपुर विश्वविद्यालय के साथ-साथ दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स तथा ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में भी अध्यापन का कार्य कर चुके हैं. अमर्त्य सेन महिला सशक्तिकरण के साथ-साथ उनके अधिकारों और समाज में उनकी भागीदारी को बढ़ाने पर जोर देते रहे. सेना का मानना है कि अगर भारत में महिलाओं को ताकत प्रदान करने पर हमें वो भविष्य हासिल हो सकता है जिसे हम हासिल करना चाहते हैं.
अमर्त्य सेन शिक्षा को सबसे बड़ा हथियार मानते है और उनका मानना है कि शिक्षा में पिछड़ापन ही देश में व्याप्त गरीबी का मूल कारण है. क्योंकि जब व्यक्ति शिक्षित हो जाता है तो सबसे पहले वो खुद को अज्ञानता और अंधकार से बचाता है और धन का बेहतर उपयोग करता है. यही वजह थी की सेना सरकारों से हमेशा शिक्षा को अनिवार्य करने पर जोर देते थे. उनका मानना है कि अगर समाज शिक्षित हो जाएगा तो देश का विकास भी सुनिश्चित हो जाएगा.
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