भोपाल। सांची यूनिवर्सिटी में हालिया शिक्षक भर्ती में तमाम विसगंतियों को देखते हुए उच्च न्यायालय की जबलपुर खंड पीठ द्वारा विश्वविद्यालय से दो सप्ताह के भीतर जवाब तलब किया गया हैं। इसी प्रकार से एक और याचिका उच्च न्यायालय में सुनवाई के लिए लिस्टेड की गई हैं। फिर भी विश्वविद्यालय द्वारा प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर एवं असिस्टेंट प्रोफेसर्स के इंटरव्यू आयोजित किये जा रहे हैं। जो इंटरव्यू लैटर जारी किए गए हंै उन पर यूनिवर्सिटी का आधिकारिक डिस्पैच नंबर नहीं डाला गया हैं और ना ही लैटर पर यूनिवर्सिटी के किसी भी अधिकारी के हस्ताक्षर हैं। एक कोरे से कागज पर साक्षात्कार की जानकारी बस सांझा की गयी है।
गौरतलब है कि प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर एवं अस्सिटेंट प्रोफेसर की भर्ती की चयन समिति को लेकर सांची यूनिवर्सिटी एक्ट 2012 की कंडिका क्रमांक 35 में में स्पष्ट लिखा हैं कि कार्य परिषद्, विश्वविद्यालय में आचार्यो, सह आचार्यों तथा अन्य अध्यापकों के पदों पर नियुक्ति करने के लिए कार्य परिषद् को सिफारिशें करने हेतु एक चयन समिति गठित करेगी। इसके बाद बिंदु क्रमांक 35(2) में लिखा है चयन समिती के सदस्य वो होगे जो विद्या परिषद् द्वारा प्रस्तुत पांच विषय विशेषज्ञों के पैनल में से कुलाधिपति अर्थात चांसलर द्वारा नामनिर्दिष्ट तीन विषय विशेषज्ञ, जो किसी भी रीति में विश्वविद्यालय से संबद्ध न हों। इसका आशय यह हैं कि सांची यूनिवर्सिटी की विद्या परिषद् द्वारा 05 विषय विशेषज्ञ में से यूनिवर्सिटी के चांसलर वर्तमान में श्री रिनपोछे जी द्वारा 03 विषय विशेषज्ञ, जो किसी भी रीति में विश्वविद्यालय से संबद्ध न हों ( यूनिवर्सिटी की आरडीसी, डीआरसी, बोर्ड ऑफ़ स्टडीज, अकादमिक परिषद्, साधारण एवं कार्य परिषद् अथवा अन्य कोई समिती से जुड़ा नहीं हो ) का नामांकन कर यूनिवर्सिटी की कार्य परिषद् को सौपकर चयन समिती का गठन किया जाएगा।
यूनिवर्सिटी के नियमों का पालन नहीं
कुलपति एवं कुलसचिव द्वारा 22 मार्च अकादमिक परिषद् की बैठक में ऐसे कोई बिंदु को एजेंडा में शामिल नहीं किया गया ओर न ही दिनांक 06 अप्रैल 2023 को यूनिवर्सिटी की कार्य परिषद् की 12 वी बैठक में जो बिन्दुवार चर्चा की गई थी जिसके मिनट की प्रति सांची यूनिवर्सिटी की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं में विज्ञापन क्रमांक 1083, 1084, 1085 दिनांक 13 अप्रैल, 2023 के लिए चयन समिती के गठन पर कोई प्रस्ताव लाया गया या चर्चा की गई थी। जिसका वास्तविक प्रमाण कार्य परिषद् की 12 वीं बैठक के मिनट हैं। ऐसे में सांची यूनिवर्सिटी की चयन समिती का गठन ही साँची यूनिवर्सिटी के 2012 के एक्ट के विरुद्ध हुआ हैं तो जो अब इंटरव्यू आयोजित हो रहे हैं वे स्वत: ही अवैध होने वाले हैं।
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