उज्जैन। महाकालेश्वर तथा हरसिद्धि मंदिर के बीच स्थित 43 एकड़ जमीन पर फैले रूद्रसागर के बड़े भाग तक शिप्रा का पानी पहुँच गया है। इससे रूद्रसागर का यह हिस्सा सुंदर नजर आ रहा है। दूसरे भाग का कायाकल्प योजना के सेकंड फेज में होगा। महाकाल मंदिर के पीछे स्थित पौराणिक महत्व के रूद्रसागर के बड़े और छोटे दोनों भाग विकसित किए जा रहे हैं। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत सागर के दोनों हिस्सों का विकास होगा। इसके एक बड़े भाग में अभी दोनों ओर काम करने वाली ऐसी पाईप लाईन डाली जा चुकी है जिसके द्वारा जरूरत पडऩे पर रूद्रसागर में शिप्रा नदी का पानी छोड़ा जा सके और अगर सागर को खाली करना हो तो इसका पानी शिप्रा में पहुंचाया जा सके। आगामी सिंहस्थ को देखते हुए यह कार्य किये जा रहे हैं। पहले चरण में महाकाल मंदिर के पीछे वाले रूद्रसागर के बड़े भाग का कायाकल्प का काम अंतिम चरणों में चल रहा है।
इसके बाद दूसरे चरण में हरसिद्धि मंदिर के सामने वाले रूद्रसागर के छोटे भाग में काम होंगे। अधिकारियों के मुताबिक यह प्रोजेक्ट आगामी सिंहस्थ 2028 को देखते हुए महत्वपूर्ण है तथा इसे इसी तरह तैयार किया गया है। सिंहस्थ के दौरान रूद्रसागर में शंकराचार्यों के पांडाल लगते हैं तथा वे सिंहस्थ में करीब डेढ़ से दो महीने यहाँ पड़ाव लगाते हैं। स्मार्ट सिटी योजना में रूद्रसागर का सालभर स्वच्छ और साफ-सुथरे पानी वाली झील के समान विकास किया जाना है। ऐसे में सिंहस्थ के वक्त इसे खाली करना पड़े तो भी समस्या न आए। यही वजह है कि रूद्रसागर के विकास के प्रोजेक्ट में यह व्यवस्था भी रखी गई है कि जब कभी रूद्रसागर में पानी की आवश्यकता हो तो पाईप लाईन के जरिये शिप्रा नदी से इसे भरा जा सके और जब खाली करना हो तो रूद्रसागर का पानी शिप्रा में छोड़ा जा सके। अभी रूद्रसागर के बड़े भाग जिसका क्षेत्रफल 38 एकड़ है में शिप्रा का साफ पानी भर दिया गया है। जबकि हरसिद्धि मंदिर के सामने वाले छोटे रूद्रसागर का क्षेत्रफल 4.5 एकड़ के दायरे में भी शिप्रा का साफ पानी भरा जाएगा।
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