• img-fluid

    इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज शेखर कुमार यादव के बयान पर मचा बवाल, बहुसंख्यक लोगों पर की थी टिप्‍पणी

  • December 12, 2024

    नई दिल्‍ली । इलाहाबाद (Allahabad High Court) हाईकोर्ट के एक जज की बात पर पूरा देश भड़का हुआ है. दरअसल कुछ दिनों पहले विश्व हिंदू परिषद (VHP) के एक प्रोग्राम में इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज शेखर कुमार यादव (Judge Shekhar Kumar Yadav) ने बहुसंख्यकों के पक्ष में बोलकर बवाल खड़ा कर दिया था. यादव ने अपने स्पीच में कहा था कि मुझे ये कहने में कोई झिझक नहीं है कि यह देश हिंदुस्तान में रहने वाले बहुसंख्यक लोगों की इच्छा के मुताबिक चलेगा. यह कानून है, कानून, यकीनन बहुसंख्यकों के मुताबिक काम करता है. इसे परिवार या समाज के संदर्भ में देखें, केवल वही स्वीकार किया जाएगा, जो बहुसंख्यकों के कल्याण और खुशी के लिए फायदेमंद हो. हालांकि शेखर यादव ने कुछ भी ऐसा नहीं कहा जो कानून सम्मत न हो. लोकतंत्र की परिभाषा ही बहुमत को ध्यान में रखकर गढ़ी गई है. पर बहुत सी बातों को कहा नहीं जाता.

    समाज के अभिभावक को तो इस तरह की बाते बिल्कुल भी नहीं कहनी चाहिए. न्यायधीश हमारे व्यवस्था के अभिभावक हैं .समाज उनसे उम्मीद करता है कि वो आदर्श स्थिति को बनाएं रखें. बहुमत की बात करने के लिए राजनीतिज्ञ तो हैं हीं. हालांकि धीर गंभीर राजनीतिज्ञ भी ऐसी बातें नहीं करते हैं जिसमें अलगाव का गंध आती हो. पर दरअसल देश में जो चल रहा होता है उसके असर न्यायपालिका भी अछूती नहीं रहती है. आखिर जज कोई मशीन तो हैं नहीं. समाज में रहने वाला इंसान ही कल को जज बनता है. जिस तरह की परवरिश समाज में उसकी होती है उस तरह समाज की विभिन्न हिस्सों की परिभाषा उसके मन में बनती जाती है. पिछले 10 सालों से देश में बीजेपी का राज है. भारतीय जनता पार्टी की राजनीति बहुसंख्यकों के हित लाभ को ध्यान में होती है इसलिए जाहिर है कि सत्ता के विचारों से शासन के सभी अंग प्रभावित होंगे ही. पर सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले स्वत:संज्ञान लेते हुए हाई कोर्ट से विस्तृत जानकारी मांगी है.


    सुप्रीम कोर्ट ने कहा, मामला विचाराधीन है. हाईकोर्ट से विस्तृत जानकारी मांगी गई है. इसके पहले कैंपेन फॉर ज्यूडीशियल अकाउंटैबिलिटी एंड रिफॉर्म्स (CJAR) ने शेखर यादव की शिकायत चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को चिट्ठी लिखकर की थी. इस चिट्ठी में इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस शेखर कुमार यादव के बयान की इन-हाउस जांच की मांग की गई है. चिट्ठी में मांग की गई है कि जांच होने तक जस्टिस को सभी न्यायिक कार्यों से दूर रखा जाए. अब इस पर सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस शेखर कुमार यादव की ओर से दी गई स्पीच की न्यूज पेपर्स में छपी रिपोर्ट पर ध्यान देकर हाईकोर्ट से डिटेल में इसका ब्योरा मांगा है.

    शेखर ने जो बातें कहीं वो तो नेता कहने से भी हिचकते हैं
    जज शेखर यादव एक तो विश्व हिंदू परिषद के कार्यक्रम में बोल रहे थे. दूसरे उनका भाषण एक समुदाय के खिलाफ हो रहा था. आम तौर पर एक सरकारी अधिकारी या जज से इस तरह के व्यवहार की उम्मीद नहीं की जाती है. भारतीय जनता पार्टी के भी बहुत से नेता ऐसा हैं जो बड़े ओहदों और महत्वपूर्ण मंत्रालयों को संभालते हैं पर इस तरह की बात नहीं करते हैं. जज शेखर यादव ने मुस्लिम समुदाय का नाम लिए बिना कहा, कई पत्नियां रखना, तीन तलाक और हलाला जैसी प्रथाएं अस्वीकार्य हैं. अगर आप कहते हैं कि हमारा पर्सनल लॉ इसकी अनुमति देता है, तो इसे स्वीकार नहीं किया जाएगा. आप उस महिला का अपमान नहीं कर सकते, जिसे हमारे शास्त्रों और वेदों में देवी की मान्यता दी गई है. आप चार पत्नियां रखने, हलाला करने या तीन तलाक के अधिकार का दावा नहीं कर सकते. आप कहते हैं, हमें तीन तलाक देने और महिलाओं को भरण-पोषण न देने का अधिकार है लेकिन यह अधिकार काम नहीं करेगा… कठमुल्ला शब्द गलत है, लेकिन यह कहने में परहेज नहीं है क्योंकि वो देश के लिए बुरा है. वो जनता को भड़काने वाले लोग हैं. देश आगे न बढ़े, इस तरह की सोच रखने वाले लोग हैं. उनसे सावधान रहने की जरूरत है.’

    शेखर यादव की एक एक लाइन इस तरह की लग रही है जैसे कोई हिंदुत्व समर्थक पार्टी का नेता बोल रहा हो.जाहिर है कि इस तरह की भाषा एक हाईकोर्ट के जज को शोभा नहीं देती है. न्यायाधीश के सामने सभी धर्म -जाति-राज्य -समुदाय के लोग बराबर होते हैं. दुनिया में धर्म के आधार पर बने राज्यों में भी जज अपने देश में अल्पसंख्यकों के लिए ऐसे शब्द इस्तेमाल नहीं करते.

    कपिल सिब्बल के महाभियोग पर बीजेपी को क्या रुख रखना चाहिए
    इलाहाबाद हाइकोर्ट के जज शेखर यादव के बयान पर उठे विवाद को लेकर राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने एक वीडियो बयान भी दिया है. कपिल सिब्बल ने कहा कि ‘ऐसे बयान देने वाले जज की नियुक्त कैसे होती है. ऐसे बयान देने की लोगों की हिम्मत कैसे होती है. ये 10 साल में ही क्यों हो रहा है? कुछ लोग हैं जो ऐसे बयान देते हैं और इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल हो जाते हैं. इसके बाद राज्यसभा सदस्य बन जाते हैं.

    हालांकि कपिल सिब्बल की बात भी एक तरफा ही है. देश में बहुत पहले से ही कॉलेजियम सिस्टम से नियुक्ति होती रही है. इस सिस्टम की खासियत ही यही है कि जज लोग अपने परिवार वालों को किसी न किसी तरह जुडिशरी में घुसा ही देते हैं. कपिल सिब्बल भी कोई दूध के धुले नहीं हैं. पर अब जब वो शेखर यादव के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की बात कर रहे हैं तो जाहिर है बीजेपी के लिए बहुत असमंजस वाली स्थिति पैदा होने वाली है. यह बिल्कुल वैसे ही है जैसे कभी महात्मा गांधी ने सरदार भगत सिंह को माफी दिलाने के लिए अंग्रेजी सरकार से बात करने से चूक गए थे. भारतीय जनता पार्टी के कट्टर समर्थकोंको छोड़ दे तो अभी तक इस मुद्दे पर पार्टी के किसी बड़े नेता ने कोई बयान नहीं दिया है.

    कपिल सिब्बल कहते हैं कि मुझे लगता है कि सुप्रीम कोर्ट को सख्त कदम उठाने चाहिए और उस शख्स को कुर्सी पर नहीं बैठने देना चाहिए. एक भी केस उसके पास नहीं जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि दिग्विजय सिंह, विवेक तन्खा, जावेद अली, मोहन झा और सीपीएम पार्टी आदि से चर्चा हुई है. हम लोग जल्द से जल्द मिलेंगे और जज के खिलाफ महाभियोग प्रस्‍ताव लाएंगे और कोई रास्ता बचा नहीं है. भारतीय जनता पार्टी के लिए यहां पर बहुत असमंजन की स्थिति होगी. पार्टी देश में कानून का राज्य स्थापित करने का पक्षधर रही है. वो नहीं चाहेगी कि किसी भी कीमत पर शेखर यादव जैसे लोगों का सपोर्ट किया जाए. पर जाहिर है कि बीजेपी के घोर समर्थक और पार्टी कार्यकर्ताओं को लगेगा कि हमारी पार्टी अपनी नीतियों के समर्थकों के साथ कैसा व्यवहार करती है.

    राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने कहा कि ये पक्ष-विपक्ष की बात नहीं है. ये न्यायपालिका की आजादी की बात है तो पीएम, गृह मंत्री और सत्ता में बैठे लोग हमारा साथ दें. क्योंकि अगर वो नहीं देंगे तो लगेगा कि वो जज के साथ हैं. क्योंकि कोई ऐसा नहीं कर सकता. कोई नेता भी ऐसा बयान नहीं दे सकता है तो एक जज कैसे दे सकता है. सिब्बल ने कहा कि पीएम और सत्ता पक्ष हमारा साथ दें और महाभियोग प्रस्‍ताव का साथ दें.

    Share:

    4 साल से कर रहा था रिश्‍तेदार लड़की से रेप, शिकायत के बाद भाजपा नेता फरार, जानें पूरा मामाल

    Thu Dec 12 , 2024
    भोपाल । मध्यप्रदेश के विदिशा जिले(Vidisha district of Madhya Pradesh) में भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) के नेता योगेंद्र सिंह सोलंकी (Leader Yogendra Singh Solanki)पर 23 साल की उनकी करीबी रिश्तेदार लड़की ने रेप का केस दर्ज कराया है। भाजपा की प्रदेश इकाई ने आरोपी से खुद को अलग करते हुए कहा कि सोलंकी […]
    सम्बंधित ख़बरें
  • खरी-खरी
    गुरुवार का राशिफल
    मनोरंजन
    अभी-अभी
    Archives
  • ©2024 Agnibaan , All Rights Reserved