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    आरटीओ का करोड़ों का भवन बनकर तैयार लेकिन शिफ्टिंग का इंतजार

  • February 15, 2024

    • 10 वर्षों से ऐसा अटका काम..कभी जमीन नहीं मिली तो कभी निर्माण की लागत बढऩे से आई परेशानी
    • 4 महीने पहले हुआ था लोकार्पण लेकिन फीता कटकर ही रह गया..ऐसे ही होते हैं सरकारी काम

    उज्जैन। नए आरटीओ भवन का उद्घाटन तो हो गया लेकिन अभी तक शिफ्टिंग का मुहूर्त नहीं निकल पाया है। हर तरह से सुविधाजनक इस भवन का 4 महीने पहले लोकार्पण हुआ था लेकिन अब तक नए भवन में आरटीओ कार्यालय शुरू नहीं हो पाया है।
    10 वर्षों तक काम चलने के बाद दाऊदखेड़ी में करोड़ों की लागत से आरटीओ का नया भवन बनकर तैयार हो चुका है जिसका लोकार्पण भी लगभग चार माह पूर्व 2 अक्टूबर गांधी जयंती के दिन किया जा चुका है लेकिन इसके बावजूद भी इस नए भवन में आरटीओ कार्यालय शिफ्ट नहीं हो पाया है। आरटीओ कार्यालय दाऊदखेड़ी के नए भवन में शुरू हो इसके लिए आरटीओ संतोष मालवीय हो या फिर पीआईयू अधिकारी जतिन सिंह चुंडावत सभी अपने-अपने तर्क दे रहे हैं लेकिन अब भी कोई यह बताने को तैयार नहीं है कि आखिर इस नए भवन में आरटीओ कार्यालय कब से शुरू होगा। भरतपुरी प्रशासनिक क्षेत्र में वर्षों से किराए की बिल्डिंग में क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय संचालित हो रहा है, जिसका प्रति माह किराया लगभग 90 हजार से 1 लाख रुपये है। आरटीओ के अधिकारियों की मेहनत के कारण लगभग 10 वर्ष पूर्व इस विभाग को किराए के भवन से मुक्ति मिल गई थी और वर्ष 2014 में 6 करोड़ रुपए क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय का निर्माण करने और टेस्टिंग ट्रैक तैयार करने की स्वीकृति मिल गई थी। जिसकी निर्माण एजेंसी लोक निर्माण विभाग की पीआईयू विंग को निर्माण बनाया गया था। इसके बाद से ही नए परिवहन कार्यालय के लिए जिला प्रशासन के साथ विभाग द्वारा करीब 8 से 10 बीघा आवश्यक जमीन की तलाश शुरू कर दी गई थी लेकिन नए भवन के लिए आवश्यक 8 से 10 बीघा जमीन देरी से मिली इस कारण प्रोजेक्ट की लागत में लगभग 1.31 करोड़ का इजाफा होता गया और निर्माण करीब 5 साल अटका रहा। बावजूद इसके क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी ने प्रयास जारी रखें और नतीजा यह हुआ कि अब उज्जैन में नया आरटीओ भवन बनकर तैयार है, जिसका लोकार्पण 2 अक्टूबर 2023 को हो चुका है लेकिन इसके बावजूद भी इस भवन में अब तक नया आरटीओ कार्यालय शिफ्ट नहीं किया गया है। नए भवन में आरटीओ कार्यालय शिफ्ट न किए जाने को लेकर आरटीओ के अधिकारी बताते हैं कि पूर्व में किए गए निरीक्षण के दौरान हमें कुछ खामियाँ मिली थी। पीआईयू के अधिकारी भवन में सभी प्रकार की सुविधा होने के बात कह रहे हैं लेकिन पहले हम इन कार्यों का निरीक्षण करेंगे। उसके बाद शिफ्टिंग का काम किया जाएगा। जबकि इस मामले को लेकर जब पीआईयू के अधिकारी जतिन सिंह चुंडावत से चर्चा की गई तो उनका कहना था कि आरटीओ कार्यालय के भवन का कार्य पूर्ण हो चुका है। जो भी खामियाँ निरीक्षण के दौरान हमें बताई गई थी उन्हें हमने ठीक कर दिया है। हमें तो सिर्फ इसी बात का इंतजार है कि जल्द से जल्द नया आरटीओ कार्यालय इस भवन में शिफ्ट हो जाए।


    6 करोड़ का प्रोजेक्ट हो गया था 7 करोड़ 31 लाख का
    सोर्स बताते हैं कि वर्ष 2014 में प्रोजेक्ट हेतु 6 करोड़ राशि की मंजूरी के बावजूद करीब 4 साल जमीन की तलाश करते रहे। इसमें विभाग के साथ-साथ तत्कालीन जिला कलेक्टर संकेत भोंडवे भी सतत प्रयासरत रहे। इसके चलते वर्ष 2017-18 में दाऊदखेड़ी में लगभग तीन एकड़ जमीन उपलब्ध हो पाई लेकिन इस बीच प्रोजेक्ट की लागत 6 करोड़ से बढ़कर 7 करोड़ 31 लाख के लगभग पहुँच गई। दाउदेखड़ी में जमीन आवंटित होने के बाद बीते सालों में कीमतों में इजाफा और नए एसओआर आने के कारण लागत बढ़ गई और फिर से काम अटक गया। विभाग ने 1.30 करोड़ का रिवाइज्ड ऐस्टिमेट परिवहन विभाग का भेजा लेकिन स्वीकृति नहीं मिली। इसके बाद विभाग द्वारा तथा तत्कालीन कलेक्टर श्री भोंडवे द्वारा लगातार शासन तथा विभाग से पत्र व्यवहार और मांग पत्र भेजे गए। तब कहीं जाकर विभाग की ओर से एस्टिमेट को स्वीकृत कर राशि भेजी गई। इसके बाद फिर पीआइयू के इंजीनियरों ने इस वर्ष मई 2023 तक भवन का काम पूरा होने का लक्ष्य रखा और उसे पूर्ण किया।

    निरीक्षण में मिली इन खामियों को किया जा चुका है दूर
    पीआईयू के अधिकारी बताते हैं कि पूर्व में आरटीओ और अन्य अधिकारियों द्वारा किए गए निरीक्षण में नए भवन में लाइटिंग, फिनिशिंग औैर इंटरनेट की खामियाँ निकाली जा रही थी जिसमें नए भवन के खिड़की दरवाजे, अंग्रेजी के 8 अंक जैसा ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रेक, फिनिशिंग, लाइटिंग, ट्रांसफार्मर व विद्युत पोल लगाने जैसे काम पूरे किए जा चुके हैं।

    पुराने आरटीओ भवन में आ रही यह समस्या
    वर्तमान में भरतपुरी स्थित परिवहन कार्यालय बहुत ही छोटी-सी जगह में संचालित हो रहा है। यहाँ एक ही कक्ष में दो से तीन कर्मचारी बैठकर काम कर रहे हैं, वहीं लाइसेंस बनाने, रिन्यु कराने, टैक्स जमा कराने आने वाले लोगों के लिए बैठने तक की पर्याप्त जगह नहीं है। कार्यालय में रोजाना ही भीड़ के कारण अस्त-व्यस्त स्थिति रहती है। यहाँ आने वाले लोगों को भी इससे परेशानी आती है।

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