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    भरोसेमंद नहीं है RT-PCR टेस्ट, 5 में से 1 रिपोर्ट आ रही गलत

  • April 15, 2021

    नई दिल्ली। कोरोना के नए वायरस (Corona Virus) को पकड़ पाने में RT-PCR टेस्ट लगातार फेल हो रहा है. कोरोना वायरस(Corona Virus) छुपा हुआ बहुरूपिया है. इसके नये-नये स्ट्रेन (New strains) लोगों को धराशायी कर रहे हैं, वो भी चुपचाप. वायरस शरीर में है, लेकिन टेस्ट निगेटिव आ रहा है. RT-PCR टेस्ट भी अब सौ फीसदी भरोसेमंद नहीं रहा.
    दरअसल, कोई व्यक्ति कोरोना संक्रमित है या नहीं? इसके लिए पहले एंटीजेन टेस्ट करवाया जाता है, जिससे ये पता चलता है कि कोई व्यक्ति वायरस के संपर्क में आया या नहीं, लेकिन इसके नतीजे पर निश्चिंत नहीं हो सकते. इसीलिए इस पर भरोसा कम था, लेकिन RT-PCR टेस्ट को फाइनल नतीजा माना जा रहा था. हालांकि अब RT-PCR टेस्ट भी अंतिम कसौटी नहीं है.



    RT-PCR टेस्ट के नतीजे 20 फीसदी तक गलत साबित हो रहे हैं. यानी हर 5 में से एक व्यक्ति का टेस्ट रिज़ल्ट सही नहीं है. कई राज्यो में ऐसे मरीज मिल रहे हैं जिनमें कोरोना के लक्षण हैं लेकिन टेस्ट बार-बार निगेटिव आ रहा है. ये कोरोना की दूसरी लहर का कहर है, सवाल ये है कि टेस्ट में वायरस पकड़ में क्यों नहीं आ रहा? जवाब में इसकी कई वजह हैं-
    1. वायरस नाक या गले में मौजूद न हो.. तो नतीजा सही नहीं आएगा.
    2. अगर वायरल लोड यानी वायरस की संख्या ज्यादा नहीं थी.. तो भी नतीजा सही नहीं आएगा.
    3. गले या नाक की जगह वायरस का इनफेक्शन सीधे फेफड़े में हो.. तो भी सही नतीजा मिलना मुश्किल है.

    और इन सारे कारणों की जड़ है वायरस का म्यूटेशन यानी रूप बदलना. इस नई मुसीबत को एक उदाहरण से समझिए- मरीज को बुखार, खांसी और सांस फूलने जैसी समस्याएं थी, लेकिन रिपोर्ट निगेटिव थी. बाद में डॉक्टरों ने मरीज का सीटी स्कैन किया तो फेफड़े में वायरस की मौजूदगी के निशान दिखे.

    देश में वायरस के जो नए वैरिएंट मिले हैं वो ज़्यादा संक्रामक हैं और टेस्ट की पकड़ में भी नहीं आ रहे. खासतौर पर वो डबल म्यूटेंट वेरियंट, जो भारत में ही दो अलग-अलग कोरोना वायरस वेरियंट से मिलकर बना है. महाराष्ट्र में 15 से 20 फीसदी सैंपल की टेस्टिंग में वायरस का डबल म्यूटेंट वेरियंट मिल रहा है.

    इसकी वजह से मरीज़ों में कोरोना वायरस की पुष्टि बहुत देर से हो रही है. तब तक मामला गंभीर हो जाता है और मरीज़ अस्पताल तक पहुंच जाता है. मरने वालों की संख्या बढ़ने का एक कारण ये भी है. दूसरी मुसीबत ये है कि RT-PCR टेस्ट के नतीजे आने में देरी हो रही है. रिपोर्ट आने में कई दिन लग जा रहे हैं.

    झारखंड का ही उदाहरण ले लीजिए, वहां 28 हज़ार RT-PCR सैंपल की रिपोर्ट पेंडिंग है. हाईकोर्ट की फटकार के बाद सैंपल ओडिशा भेजने की नौबत आ गई है. कहीं अस्पताल में तकनीशियन की कमी है तो कहीं RT-PCR मशीन की कमी है. रिपोर्ट के बिना कोई नौकरी में वापस ज्वॉइन नहीं कर पा रहा तो कोई कॉलेज नहीं जा पा रहा.

    ऐसे हालात में लोगों की जान बचाना बहुत मुश्किल हो रहा है. इस समय आपको अतिरिक्त सावधानी बरतने और जागरूक रहने की ज़रूरत है. क्योंकि RT-PCR टेस्टिंग का रिज़ल्ट देर से आ रहा है और जो रिज़ल्ट आ भी रहा है उसपर आप 100 फीसदी भरोसा नहीं कर सकते.

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