नई दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना के ताजा हालात को लेकर मीडिया को संबोधित किया। स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा कि राज्यवार एक्टिव मामले घट रहे हैं। 26 राज्य में 15% पॉजिटिविटी रेट है, वहीं छह राज्य में 5 से 15 % केस हैं। मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, झारखंड, तेलंगाना, चंडीगढ़, लद्दाख, दमन और दीव, लक्षद्वीप और अंडमान और निकोबार में प्रतिदिन नए कोविड 19 मामलों में निरंतर कमी आ रही है। महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा, छत्तीसगढ़, बिहार और गुजरात में भी प्रतिदिन नए COVID19 मामलों में निरंतर कमी आ रही है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह भी कहा है कि अब एक राज्य से दूसरे राज्य में जाने के लिए RTPCR टेस्ट कराना जरूरी नहीं है। इतना ही नहीं अगर कोई मरीज अस्पताल से रिकवर होकर डिस्चार्ज हो रहा है तो भी RTPCR टेस्ट करवाने की जरूरत नहीं होगी। यानी की अस्पताल से डिस्चार्ज होने के लिए RTPCR टेस्ट करवाने की जरूरत नहीं होगी।
कोरोना संकट के बीच देश में वैक्सीनेशन प्रोग्राम चलाया जा रहा है। हालांकि, इस वक्त सबसे बड़ी मुश्किल यह है कि वैक्सीनेशन के लिए पर्याप्त कोरोना वैक्सीन डोज उपलब्ध नहीं है। इस बीच, केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि वैक्सीन की दूसरी डोज लेने वालों को राज्य सरकार प्राथमिकता दे।
केन्द्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने मंगलवार को कहा कि वैक्सीन की दूसरी डोज लगाने वालों को राज्य सरकारें प्राथमिकता दे। दूसरे डोज लगाने वाले बड़ी संख्या में लोग इंतजार कर रहे हैं, उसे सबसे पहले देखने की आवश्यकता है। राजेश भूषण ने कहा कि इस बारे में राज्य सरकारें केन्द्र से मिलने वाली मुफ्त कम से कम 70 फीसदी वैक्सीन को रिजर्व दूसरे डोज के लिए रख सकती है, जबकि बाकी 30 फीसदी वैक्सीन की पहली डोज दी जा सकती है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि देश में 13 राज्य ऐसे हैं जहां 1 लाख से भी ज्यादा सक्रिय मामले हैं। 6 राज्यों में 50,000 से 1 लाख के बीच सक्रिय मामलों की संख्या बनी हुई है। 17 राज्य ऐसे हैं जहां 50,000 से कम सक्रिय मामलों की संख्या है।
लव अग्रवाल ने बताया कि कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, पंजाब, असम, जम्मू और कश्मीर, गोवा, हिमाचल प्रदेश, पुदुचेरी, मणिपुर, मेघालय, त्रिपुरा, नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश में प्रतिदिन नए मामलों में बढ़ोतरी हो रही है। देश में कोविड-19 वैक्सीन की 16 जनवरी से अब तक 17.10 करोड़ से अधिक डोज़ की खपत हुई। देश भर में फिलहाल कोरोना वैक्सीन की 97.61 लाख से अधिक ख़ुराक उपलब्ध है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने पुणे का उदाहरण देते हुए कहा कि नाइट कर्फ्यू के बाद 15 दिन के सख्त लॉकडाउन का काफी असर दिखा। मुंबई में कंट्रोल रूम बनाए गए थे, जिसमें डॉक्टर भी थे और वहां पर कॉल करने के बाद अस्पताल में मरीज को भर्ती कराया जा रहा था। इससे मरीज को बेड मिलने में कोई दिक्कत नहीं हो रही थी। 500 ड्राइवरों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है, ताकि टैंकर को लाने और ले जाने में कोई दिक्कत ना हो।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा, ”मुंबई एक बड़ा शहर है। वहां कॉरपोरेशन (बीएमसी) और राज्य सरकार ने जो कदम उठाए वहां के प्रोसेस को आसान किया। हम बताना चाहते हैं। कंट्रोल रूम जो उनका था, मुंबई कॉरपोरेशन के स्तर पर न करते हुए, उसको 24 वॉर्ड में 24 कंट्रोल रूम बनाए गए।” उन्होंने आगे कहा, ”जितने भी कोरोना टेस्ट रिजल्ट आते थे, उन टेस्ट रिजल्ट को मेन कंट्रोल रूम में भेजा गया। उसके बाद सभी कंट्रोल रूम में न सिर्फ फोन ऑपरेटर, वहां डॉक्टर और अन्य स्टाफ भी तैनात किए गए। एंबुलेंस को तैनात किया गया।”
लव अग्रवाल ने कहा कि जैसे ही मरीजों को अस्पताल की जरूरत महसूस होती। मरीजों को एंबुलेंस से अस्पताल ले जाया जाता। इस प्रोसेस की वजह से काफी राहत मिली। मुंबई में 800 एसयूवी को भी एंबुलेंस बनाया गया। इसे आईटी ऑपरेशन के द्वारा मॉनिटर किया जाता था। अस्पताल में बेड पता करने के लिए, एक सेंट्रलाइज डैशबोर्ड बनाया गया। ताकि मरीजों को परेशानी नहीं हो। उन्होंने आगे कहा कि भारत सरकार के दिशानिर्देश के अनुसार इस तरह के बहुत से प्रांतों में भी इस तरह के कदम उठाए जा रहे हैं। लव अग्रवाल ने कहा कि महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, छत्तीसगढ़ समेत 18 राज्यों में रोजाना संक्रमण के मामलों में गिरावट देखी जा रही है। उन्होंने कहा कि नाइट कर्फ्यू और लॉकडाउन की वजह से केस में कमी आ रही है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि लोग लापरवाही बरतें। अभी भी पूरी सावधानी रखनी होगी। सभी का सहयोग जरूरी है।
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