नई दिल्ली। राष्ट्रीय सवयंसेवक संघ (RSS) के वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार ने गुरुवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर हिंदू और हिंदुत्ववादियों पर उनकी हालिया टिप्पणी को लेकर निशाना साधा और कहा कि इस विषय पर उनका ज्ञान और अवधारणा “बहुत कमजोर” है।
आरएसएस की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य कुमार ने एक कार्यक्रम से इतर पत्रकारों से बातचीत करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की यात्रा को लेकर समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव की टिप्पणियों के लिए उनकी आलोचना की और कहा कि उन्हें अपने बयानों से देश को ‘‘असभ्य’’ नहीं बनाना चाहिए।
गांधी की टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर कुमार ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हिंदुत्व के बिना, एक हिंदू का अस्तित्व नहीं हो सकता। हिंदू और हिंदुत्व के शब्दों के बीच अंतर करके, उन्होंने शरीर से उसकी आत्मा को अलग कर दिया। उनके पास बहुत कम ज्ञान और समझ है।’’ कुमार ने कहा, “मैं भगवान से प्रार्थना करता हूं कि वह (राहुल) अच्छे हो जाएं।”
राजस्थान में एक रैली को संबोधित करते हुए, राहुल गांधी ने रविवार को कहा था कि भारत हिंदुओं का देश है, न कि ‘हिंदुत्ववादियों’ का और उन्होंने हिंदुत्ववादियों को हटाने का आह्वान किया था।
मोदी के खिलाफ समाजवादी पार्टी प्रमुख की टिप्पणियों को लेकर निशाना साधते हुए कुमार ने कहा कि नेताओं को एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए और अपने बयानों और आचरण के साथ एक सभ्य समाज बनाने का प्रयास करना चाहिए। कुमार ने कहा, ‘‘अखिलेश यादव ‘सनातन’ का अपमान करने का कोई मौका नहीं छोड़ते। वह पिता का अपमान करने का कोई मौका नहीं छोड़ते। उन्हें भारत को असभ्य देश नहीं बनाना चाहिए।’’
आरएसएस नेता ने कहा, “सभी राजनेताओं को एक सभ्य समाज के विकास के लिए प्रयास करना चाहिए। जहां सभी के लिए सम्मान हो और एक-दूसरे का सम्मान करें।”
काशी विश्वनाथ धाम के पहले चरण के उद्घाटन के लिए प्रधानमंत्री की हाल की वाराणसी यात्रा के बीच, अखिलेश यादव ने सोमवार को टिप्पणी की थी कि लोग बनारस में तब रहते हैं “जब अंत निकट होता है”। भाजपा ने उनके इस बयान की निंदा की और कहा कि उनके ताने “क्रूर” थे। भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री की तुलना मुगल बादशाह औरंगजेब से की।
इंद्रेश कुमार आरएसएस समर्थित भारतीय ईसाई मंच द्वारा नगालैंड हाउस में क्रिसमस मनाने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में पत्रकारों से बात कर रहे थे। इस दौरान जब पत्रकारों ने सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधिनियम (AFSPA) को खत्म करने की मांगों पर उनका विचार पूछा तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।
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