नई दिल्ली (New Delhi)। देश भर में सभी नागरिकों के लिए एक जैसा कानून बनाने के लिए यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) लाने की तैयारी है। इस बीच आदिवासियों समाज को अपवाद के तौर पर छूट देने के भी सुझाव आ रहे हैं। UCC को लेकर कानूनी मामलों की संसदीय समिति की मीटिंग हुई थी, जिसमें अध्यक्ष सुशील मोदी (Sushil Modi) ने आदिवासियों को इसके दायरे से बाहर रखने की बात कही थी। अब ऐसा ही सुझाव आरएसएस के आनुषांगिक संगठन वनवासी कल्याण आश्रम ने भी दिया है। वनवासी कल्याण आश्रम ने विधि आयोग को लिखे लेटर में कहा है कि उसे इस मामले में जल्दबाजी में रिपोर्ट नहीं सौंपनी चाहिए।
इस संबंध में आरएसएस के संगठन का कहना है कि विधि आयोग इस मामले में कोई फैसला लेने से पहले आदिवासी समाज के रिवाजों और परंपराओं को समझे। इसके लिए उसे आदिवासियों के संगठनों और सिविल सोसायटी के सदस्यों से बात करनी चाहिए। आरएसएस ने इस मामले में आदिवासी समाज के लोगों से भी अपील की है कि वे अपने सुझाव आयोग के सामने पेश करें। संगठन ने कहा कि आदिवासी समाज के लोगों को सोशल मीडिया पर चल रही डिबेट्स को नजरअंदाज करते हुए अपने सुझाव सरकार को सौंपने चाहिए।
दरअसल, पूर्वोत्तर भारत, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, गुजरात, बंगाल और झारखंड जैसे इलाकों में आदिवासियों की बड़ी आबादी है। ऐसे में यूसीसी का असर इन राज्यों में देखने को मिल सकता है। यह मामला राजनीतिक लिहाज से भी संवेदनशील है। इसी साल मध्य प्रदेश और छ्त्तीसगढ़ में चुनाव होने हैं। ऐसे में भाजपा सरकार भी नहीं चाहेगी कि आदिवासी समुदाय के बीच कोई भ्रम पैदा हो, जिसका असर चुनाव में दिखाई दे।
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