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सडक़ सुरक्षा समिति की बैठक में ई-रिक्शा के रूट तय… लेकिन नहीं करवा पा रहे उसका पालन

November 28, 2023

– अधिकारियों का कहना- व्यवस्था की दृष्टि से आवंटित कर रहे, लेकिन पालन करने के लिए बाध्य नहीं कर सकते

– सवारियां लाने-ले जाने के साथ ही कई ई-रिक्शा ढो रहे सामान भी…यातायात पुलिस ने की थी ओवरलोडिंग को लेकर कार्रवाई

इंदौर। शहर में बेतरतीब घूमते ई-रिक्शा (E-rickshaw) हर दिन शहर के कई इलाकों में यातायात व्यवस्था के लिए सिरदर्द बनते जा रहे हैं। इसके साथ ही कई ई-रिक्शा (E-rickshaw) ऐसे हैं, जो सवारियों के अलावा सामान लाने-ले जाने का काम भी कर रहे है। सबसे ज्यादा खराब हालात शाम के समय राजबाड़ा के है। यहां शाम को एक साथ कई ई-रिक्शा सवारी लेने और छोडऩे पहुंचते हैं, जो कहीं भी खड़े हो जाते हैं और इससे यातायात व्यवस्था तो गड़बड़ा ही रही है, वहीं पैदल चलने वालों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। पिछले साल सडक़ सुरक्षा समिति में मुद्दा उठने के बाद शहर में ई-रिक्शा के संचालन के लिए 51 रूट तय किए गए थे, जो आरटीओ से ई-रिक्शा के रजिस्ट्रेशन के समय आवंटित भी किए जा रहे हैं, लेकिन इसका पालन नहीं करवाया जा रहा है। इसके बाद अलग-अलग क्षेत्रवार जोन बनाने की बात भी सामने आई, लेकिन अब तक इसका भी कुछ हुआ नहीं।


शहर में फिलहाल चार हजार से ज्यादा ई-रिक्शा हो चुके हैं, जो कहीं भी किसी भी मार्ग पर संचालित हो रहे हैं और इससे शहर की ट्रैफिक व्यवस्था भी खराब हो रही है। सुबह से संचालित होने वाले ई-रिक्शा देर शाम तक सडक़ों पर चल रहे हैं। कई बार शिकायतें आती हैं कि ये सवारियों के लिए सडक़ पर कहीं भी अचानक ब्रेक लगा देते हैं। इससे यातायात व्यवस्था गड़बड़ाने के साथ ही दुर्घटना का भी अंदेशा रहता है। लगातार शिकायतें आने के बाद और ई-रिक्शा की शहर में तादाद बढऩे के बाद पिछले साल सडक़ सुरक्षा समिति की बैठक में इनके संचालन के लिए 51 रूट जिला प्रशासन, परिवहन विभाग, ट्रैफिक पुलिस और एआईसीटीएसएल ने मिलकर तय किए थे, जिसे आरटीओ से हर रजिस्ट्रेशन के पहले इन्हें आवंटित भी किया जा रहा है, लेकिन इन्हें आज तक लागू नहीं करवाया जा सका है और ना ही इन ई-रिक्शाओं पर रूट के नंबर लिखने के लिए कहा जा रहा है। आरटीओ में रजिस्ट्रेशन के पहले ई-रिक्शा मालिक को सबसे पहले इन 51 रूट में से एक रूट परिवहन विभाग को बताना होता है। रजिस्ट्रेशन के बाद इन्हें आरटीओ वही रूट आवंटित करता है, लेकिन आरटीओ इंदौर प्रदीप शर्मा के अनुसार, हम इसी रूट पर चलने के लिए चालक को बाध्य नहीं कर सकते, क्योंकि ई-रिक्शा को शासन ने परमिट से मुक्त रखा है। हालांकि, कुछ महीनों पहले इस समस्या के निदान के लिए ये बात भी सामने आई थी कि परिवहन विभाग ई-रिक्शा के संचालन के लिए शहर में अलग-अलग क्षेत्रवार जोन बनाने की योजना पर काम कर रहा है। इसके बाद ई-रिक्शा तय जोन के क्षेत्र में ही संचालित हो सकेंगे और बाकी क्षेत्रों की यातायात व्यवस्था गड़बड़ नहीं होगी। आरटीओ शर्मा के अनुसार, अगली सडक़ सुरक्षा समिति की बैठक में क्षेत्रवार जोन पर बात कर ली जाएगी।

ओवरलोडिंग की कार्रवाई कर रहे परिवहन और यातायात विभाग
शहर में चलते कई ई-रिक्शा सवारी के अलावा सामान लाने-ले जाने का काम भी करते हैं, जिसकी तस्वीरें अक्सर नजर आ जाती है, तो अधिकतर ई-रिक्शा में चार से ज्यादा सवारियां नजर आती है। कई बार चालक के पास भी सवारियां बैठा ली जाती है। ऐसे में व्यवस्थाओं को सुधारने के लिए परिवहन विभाग के साथ ही यातायात विभाग और पुलिस इन पर ओवरलोडिंग की कार्रवाई चालानी के साथ ही यातायात नियमों के उल्लंघन की कार्रवाई कर सकती है। परिवहन विभाग के पास इसके लिए अपना तर्क है कि उनके पास कार्रवाई के लिए पर्याप्त स्टाफ नहीं है। बावजूद पिछले दिनों 40 से ज्यादा ई-रिक्शा पर परिवहन विभाग ओवरलोडिंग की कार्रवाई कर चुका है, तो वहीं, यातायात विभाग के जिम्मेदारों का कहना है कि ई-रिक्शा पर ओवरलोडिंग की कार्रवाई के निर्देश तीन दिन पहले ही दिए गए हैं। ट्रैफिक डीसीपी मनीष कुमार अग्रवाल ने बताया कि ई-रिक्शा में ओवर लोडिंग की लगातार शिकायतें मिलने के बाद पिछले दिनों 30 से ज्यादा ई-रिक्शा पर ओवरलोडिंग की कार्रवाई की जा चुकी है।

ई-रिक्शा के लिए भी हो स्टैंड की व्यवस्था

नगर निगम इंदौर ने जिस तरह सिटी बसों और ऑटो के लिए शहर में स्टैंड बनाकर जगह तय की है, ठीक इसी तरह की व्यवस्था ई-रिक्शा के लिए भी होनी चाहिए, ताकि सवारियों के इंतजार में ई-रिक्शा बेतरतीब यहां-वहां न खड़े रहकर तय स्थान पर खड़े रहे, जिससे यातायात व्यवस्था भी प्रभावित ना हो। फिलहाल सवारियों के इंतजार में ये कहीं भी खड़े हो जाते हैं, जिससे यातायात व्यवस्था तो बिगड़ती ही है। कई बार सवारियों के लिए ई-रिक्शा चालक भी आपस में लड़ लेते हैं।

ऑटो चालकों की मांग… तो ई-रिक्शा वालों की भी अपनी मांग

जब से शहर में ई-रिक्शा की बढ़ोतरी हुई है। कई बार शहर के ऑटो चालकों ने यूनियन के तहत परिवहन विभाग यहां तक कि यातायात विभाग और जिला प्रशासन से भी मांग की है कि ई-रिक्शा के रूट तय किया जाएं, तो ई-रिक्शा वालों का अपना पक्ष है। उनका कहना है कि केंद्र सरकार की स्कीम के तहत उन्होंने ई-व्हीकल को बढ़ावा देने के लिए अगर ई-रिक्शा खरीदी है और इसे रोजगार का जरिया बनाया है, इसलिए जब ऑटो चालकों को सिटी परमिट मिलता है और वह किसी भी रूट पर ऑटो चला सकते हैं, तो हमें किसी एक रूट पर चलने पर क्यों बाध्य किया जाए।

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