भोपाल। इस बार पांच दिनी दीपोत्सव पर पंचांगों में तिथियों के गणना भेद के चलते संशय की स्थिति बनी है। इसके चलते एक ही दिन रूप निखारने का पर्व रूप चतुर्दशी और सुख समृद्धि की देवी महालक्ष्मी का पूजन होगा। इसके अलावा मतमतांतर के साथ धनतेरस दो दिन मनाई जाएगी। ज्योतिर्विदों के अनुसार प्रदोषकालीन अमावस्या में महालक्ष्मी पूजन करना शास्त्र सम्मत है। ज्योतिर्विद विजय अड़ीचवाल के अनुसार 12 नवंबर गुरुवार को त्रयोदशी तिथि शाम 6:01 बजे प्रारंभ होगी जो अगले दिन 13 नवंबर शुक्रवार को दोपहर 3:44 बजे तक रहेगी। इसके बाद चतुर्दशी तिथि प्रारंभ होगी जो अगले दिन 14 नवंबर शनिवार को दोपहर 1.23 बजे तक रहेगी। इसके बाद अमावस्या तिथि प्रारंभ होगी जो रविवार को 15 नवंबर को सुबह 11.03 बजे तक रहेगी। इसके चलते कई लोग 12-13 दो दिन धनतेरस मनाएंगे जबकि कई लोग 13 की शाम रूप चतुर्दशी पर होने वाला दीप दान करेंगे। 14 नवंबर की सुबह रूप चतुर्दशी का स्नान शाम को महालक्ष्मी पूजन होगा। इसके बाद प्रतिपदा तिथि पर 15 नवंबर को गोवर्धन पूजन और अन्नकूट के आयोजन होंगे। 16 नवंबर को भाई दूज मनाई जाएगी। पं. ओम वशिष्ठ के अनुसार 14 नवंबर शनिवार को कई मंगलकारी संयोग बन रहे हैं। इस अवसर पर स्वाति नक्षत्र, सौभाग्य योग और तुला राशि का चन्द्रमा रहेगा। इन मंगलकारी संयोग में महालक्ष्मी पूजन समृद्धि प्रदान करेगा। शास्त्रों के अनुसार कार्तिक अमावस्या पर जिस दिन सूर्यास्त के बाद एक धड़ी से अधिक तक अमावस्या तिथि रहे उस दिन दीपावली मनानी चाहिए।
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