भोपाल। मप्र सरकार के कैबिनेट मंत्री दर्जा प्राप्त पूर्व विधायक रघुराज सिंह कंषाना पर हत्या के प्रयास, डकैती का केस चलता रहेगा। राज्य शासन ने जनहित में केस वापस लेने के लिए एमपी-एमएलए कोर्ट में गुहार लगाई थी। जिसे कोर्ट ने यह कहकर खारिज कर दिया है कि इस केस को वापिस लेने की सहमति देना न तो न्यायहित में है और न ही जनहित में है। इस मामले में अगली सुनवाई 3 मई को होना है।
गृह विभाग ने रघुराज सिह कंषाना के खिलाफ मुरैना पुलिस में आईपीसी की धारा 307, 186, 353, 332, 224, 225 और 398 के तहत दर्ज केस को वापस लेने की कोर्ट में गुहार लगाईथी। इसके लिए गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने 19 अप्रैल को इस टीप प्रकरण में ‘प्रत्याहरण की सहमति प्रदान की जाती है’ के साथ केस वापस लेने की सहमति दी थी। जबकि नोटशीट में विधि विभाग ने मत दिया था कि उक्त धाराओं में ‘आपराधिक प्रकरण के प्रत्याहरण की अनुमति लोकहित में दिया जाना उचित नहीं है। विधि विभाग प्रकरण के प्रत्याहरण के संबंध में असहमति प्रकट करता है।’ इसके बावजूद भी गृह विभाग ने विधि विभाग के मत को दरकिनार करते हुए कंषाना के खिलाफ केस वापस की गुहार लगाई थी। जिसे एपीएलए कोर्ट के जज एसके जोशी ने खारिज कर दिया है।
उल्लेखनीय है कि 2018 में रघुराज सिंह कंसाना मुरैना से कांग्रेस के टिकट पर विधायक बने। कमलनाथ सरकार के समय रघुराज सिंह कंसाना पर दायर एफआईआर वापस लेने कवायद शुरु हुई थी, लेकिन 3 मार्च 2020 को विधि विभाग ने साफ लिख दिया था कि विधायक कंसाना का अपराध गंभीर है। इसे जनहित में वापस नहीं लिया जा सकता। मार्च 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस से बगावत करके रघुराज सिंह कंसाना भाजपा में आ गये। भाजपा के टिकट पर उपचुनाव हारे। भाजपा ने रघुराज सिंह कंसाना को भी मप्र पिछड़ा वर्ग तथा अल्पसंख्यक वित्त विकास निगम का अध्यक्ष बनाकर कैबिनेट मंत्री का दर्जा दे दिया गया।
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