- 19 साल से बंद पड़े म.प्र. परिवहन निगम को फिर से शुरू करने की तैयारी-मुख्यमंत्री ले चुके हैं बैठक-प्रायवेट बस वालों की गुंडागर्दी खत्म होगी
- छोटे गाँवों से लेकर बड़े शहर और गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश तक जाती थी बसें-उज्जैन डिपो से 200 बसें चलती थी
उज्जैन। दीमक की तरह राज्य परिवहन निगम को खोखला करने वाले भ्रष्ट अधिकारी और नेता कभी रोडवेज को फिर से चालू करने की बात नहीं कहते लेकिन मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इस ओर ध्यान दिया है और ऐसा लग रहा है कि आने वाले दिनों में रोडवेज को फिर से शुरु किया जाएगा। बात करें तो अकेले उज्जैन डिपो से ही 200 बसें संचालित होती थी। यदि रोडवेज की बसें चालू होती है तो न केवल इससे ओव्हर लोडिंग रूकेंगी बल्कि किराया भी कम हो तथा प्रायवेट बस वालों की गुंडागर्दी खत्म होगी।
जून महीने में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मध्य प्रदेश परिवहन निगम को फिर से शुरू करने के लिए बैठक का निर्देश दिए थे। इस मामले में अधिकारियों ने विस्तृत रिपोर्ट तैयार करना शुरू कर दी है। प्रदेश में 19 साल पहले जब रोडवेज की बसें चलती थी तब गलत मैनेजमेंट और सरकार के बैठे हुए अध्यक्षों का दखल के कारण राज्य परिवहन घाटे में चला गया था और इसे बंद करना पड़ा था। इसके कारण कई चालक और परिचालक बड़ी संख्या में बेरोजगार हुए थे। तब निगम का घाटा लगातार बढ़ता गया और प्रदेश की देनदारी 1033 करोड़ रुपए तक पहुँच गई थी जिसके चलते बसों का संचालन वर्ष 2010 में पूरी तरह बंद हो गया। इसके बाद निजी बस ऑपरेटर की मनमानी बढ़ गई और शहर की सड़कों पर निजी बस ऑपरेटर की बस ही दौड़ रही है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने जून माह में बैठक लेकर फिर से परिवहन निगम को शुरू करने की योजना बनाई है। बात उज्जैन डिपो की की जाए तो यहाँ से 200 बस चलती थी, यह बस छोटे से छोटे गाँव और बड़े शहरों से लेकर मध्य प्रदेश से लगे दूसरे राज्यों जैसे राजस्थान, गुजरात, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ तक यह बसें चलाई जाती थी। मध्य प्रदेश का ही परिवहन निगम बंद हुआ, बाकी राजस्थान और महाराष्ट्र तथा उत्तर प्रदेश में अभी भी बसें चल रही है। अब महाराष्ट्र मॉडल पर मध्य प्रदेश में भी रोडवेज की बसें चलाने के लिए योजना बनाई जा रही है, यदि यह प्रदेश की सड़कों पर चलती है तो इससे आम जनता को किराया कम भुगतना पड़ेगा और निजी बस ऑपरेटर की मनमानी भी रुकेगी।