इंदौर। 68वें राष्ट्रीय फिल्म अवॉर्ड 2020 में मप्र की खाते में आए दो अवॉर्ड के बाद अब प्रदेश का पर्यटन विभाग प्रदेश के लिए नई तैयारियों में जुटा है। ग्लोबल फिल्म टूरिज्म कॉन्क्लेव में प्रदेश में इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी सामने आने के बाद अब विभाग इस पर काम कर रहा है, साथ ही साउथ की फिल्मों को प्रदेश में शूट के लिए लाने की कवायद भी शुरू कर दी गई है। अगले महीने से साउथ स्टेट्स के शहरों में रोड शो किए जाएंगे।
मध्यप्रदेश के लिए मोस्ट फिल्म फ्रेंडली स्टेट के अवॉर्ड की घोषणा कम ही हुई है। इसी के साथ प्रदेश सरकार के खाते में नॉन फीचर फिल्म श्रेणी में बेस्ट एथनोग्राफिक फिल्म का अवॉर्ड ‘मांदल के बोलÓ को मिला है। इसी के साथ अब मप्र टूरिज्म बोर्ड, प्रदेश में फिल्म शूटिंग को बढ़ावा देने और सुविधाएं देने के मामले में ज्यादा काम कर रहा है। प्रदेश में कई ऐसी जगहें हैं, जो साउथ की फिल्मों की शूटिंग के लिए एकदम परफेक्ट हैं, लेकिन ये उस इंडस्ट्री की नजरों से दूर है।
इसके लिए अब टूरिज्म बोर्ड साउथ के सभी राज्यों में रोड शो आयोजित करेगा। अगले महीने इसकी शुरुआत हैदराबाद से होगी, जहां मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ ही पर्यटन मंत्री के जाने की भी संभावना है। बोर्ड प्रदेश की हेरिटेज प्रॉपर्टी के साथ ही प्रदेश के कई प्राकृतिक स्थलों को शोकेज करेगा। तेलुगु, तमिल, मलयालम और कन्नड़ सभी भाषाओं की फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े तमाम लोगों को आमंत्रित भी किया जाएगा।
फिल्म पॉलिसी में खास प्रावधान
मप्र सरकार की फिल्म पॉलिसी में साउथ फिल्म इंडस्ट्री को लेकर अलग से प्रावधान है। मप्र फिल्म टूरिज्म के डिप्टी डायरेक्टर उमाकांत चौधरी ने बताया कि साउथ की फिल्मों के लिए जिस तरह की लोकेशन चाही जाती है, वो प्रदेश में कई जगह है। इसी को लेकर सभी साउथ स्टेट में रोड शो आयोजित किए जाएंगे। ये काफी बड़े स्तर पर होंगे। इसी के साथ फिलहाल प्रदेश में इंफ्रास्ट्रक्चर पर ध्यान दिया जा रहा है, ताकि इस कमी को दूर होने के साथ ही संभावनाएं और बढ़ सकें।
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