इंदौर। शहर के कई इलाकों में खस्ताहाल सडक़ों की मरम्मत नहीं हो पा रही है और कई जगह सडक़ें ऐसी छलनी हो गई हैं कि वहां दुर्घटनाएं होने का अंदेशा बना रहता है। रेसकोर्स रोड पर कुछ महीने पहले अच्छी-भली सडक़ें ड्रेनेज और नर्मदा लाइनों के लिए खोदी गई थीं, जिनकी मरम्मत नहीं की गई तो रहवासियों ने ही टूटे मकानों का मलबा सडक़ों के आसपास बिछवा दिया, ताकि दुर्घटनाएं न हों।
नगर निगम कई स्थानों पर ड्रेनेज और नर्मदा की लाइनों के लिए कार्य तो शुरू करा देता है, लेकिन कार्य पूरा होने के बाद संबंधित एजेंसियों से वहां मरम्मत और सडक़ सुधार के कार्य नहीं कराए जाते हैं, जिसका खामियाजा वाहन चालकों को भुगतना पड़ता है। जबकि निगमायुक्त हर्षिका सिंह ने पिछले दिनों बैठक में अधिकारियों को निर्देश दिए थे कि जिन स्थानों पर ड्रेनेज और नर्मदा लाइनों के काम पूरे हो चुके हैं, वहां सडक़ों की मरम्मत के काम संबंधित फर्मों से हर हाल में पूरे कराए जाएं। इसके बावजूद कई जगह सडक़ें खुदी पड़ी हुई हैं, लेकिन मरम्मत के कार्य शुरू नहीं हो पा रहे हैं।
रेसकोर्स रोड पर भी पिछले दिनों ड्रेनेज और नर्मदा की लाइनों के लिए कई हिस्सों में खुदाई के कार्य शुरू किए गए थे, जो पूरे होने के बाद वहां सडक़ों की दशा नहीं सुधारी गई और उखड़ी हुई सडक़ों के कारण वाहन चालक दुर्घटनाग्रस्त हो रहे थे। पिछले दो दिनों से वहां कुछ पुराने टूटे मकानों का मलबा सडक़ों के आसपास और गड््ढों में पटका जा रहा है, ताकि सडक़ों की स्थिति में कुछ सुधार हो सके। जगह-जगह टूटी-फूटी सडक़ों पर मलबा पटका गया है। शहर के कई क्षेत्रों में ऐसे ही हालात हैं और नगर निगम सडक़ सुधार कार्य इसलिए शुरू नहीं करा पा रहा है, क्योंकि खजाने की स्थिति खाली है। वहीं दूसरी ओर ठेकेदार काम करने को तैयार नहीं हैं।
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