भोपाल। मध्य प्रदेश विधानसभा के 7 मार्च से शुरू होने वाले बजट सत्र पर सभी की नजरें हैं। 9 मार्च को पेश होने वाले राज्य के बजट में इस बार विधायकों की बल्ले-बल्ले होने वाली है। राज्य सरकार ने बजट तैयार करने से पहले सभी विधायकों से 150 करोड़ रुपए तक के विकास कार्यों के प्रस्ताव मांगे थे। विधायकों ने शिक्षा-स्वास्थ्य के साथ सड़कों से जुड़े सबसे ज्यादा प्रस्ताव सरकार को भेजे हैं। विधायकों को उम्मीद है कि इस बार के बजट में उनके विधानसभा क्षेत्र की जनता की मुराद पूरी होगी और 2023 के चुनाव में जाने से पहले प्रदेश में विकास के बड़े काम शुरू हो सकेंगे। भाजपा के उलट कांग्रेस के विधायकों को इस बार उनके क्षेत्र के विकास के लिए ज्यादा कुछ मिलने की उम्मीद नहीं है।
कांग्रेस विधायक पीसी शर्मा का कहना है कि उनके विधानसभा क्षेत्र से जुड़े विकास कार्यों को लेकर कई बार पत्र लिखे गए हैं, लेकिन इस बार बजट में उन विकास कार्यों को शामिल किया जाएगा इसकी उम्मीद कम है। कांग्रेस विधायक ने भाजपा सरकार पर भेदभाव का आरोप लगाया है। प्रदेश के संसदीय कार्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा है कि जिन भी विधायक ने बजट को लेकर सुझाव दिए हैं। जिसने भी अपने विधानसभा क्षेत्र से जुड़े प्रस्तावों को भेजा है, उस पर राज्य के बजट में राशि का आवंटन होगा। कांग्रेस के विधायकों को भी सुझाव और प्रस्ताव देने से किसी ने नहीं रोका है, लेकिन राजनीतिक मंशा के तहत कांग्रेस विधायक विकास कार्यों से अपने को दूर रखते हैं।
इस बात पर फोकस
बहरहाल अगले साल विधानसभा का चुनाव है और उससे पहले इस बजट में सरकार हर विधानसभा क्षेत्र के विकास का बजट पेश करने की तैयारी में है। जिन सीटों से भाजपा के विधायक जीत कर आए हैं उन पर काफी काम होने की संभावना है, ताकि अगले 1 साल में विकास कार्यों के जरिए जनता को अच्छे दिनों का एहसास कराया जा सके। राज्य सरकार का यह बजट जहां प्रदेश की अर्थव्यवस्था के लिए बूस्टर डोज होगा, तो वहीं दूसरी तरफ सरकार का 2023 के इलेक्शन पर फोकस होगा।
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