भोपाल (Bhopal)। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में जापानी इंसेफ्लाइटिस (Japanese Encephalitis ) का खतरा बना हुआ है, क्योंकि बीते पांच साल में राज्य में 186 प्रकरण सामने आ चुके हैं. इस बीमारी को बढ़ने से रोकने के लिए चार जिलों में टीकाकरण (vaccination) भी किया जा रहा है.
राजधानी में मीजल्स, रूबेला निर्मूलन और जेई टीकाकरण के लिए मीडिया कार्यशाला (media workshop) का आयोजन किया गया. राज्य के आरआई सेल, एनएचएम, यूनिसेफ, डब्ल्यूएचओ सहित अन्य संस्थाओं के सहयोग से आयोजित इस कार्यशाला में स्वास्थ्य विभाग (Health department in workshop) के अधिकारी डॉ. हिमांशु जायसवार ने बताया कि राज्य में जापानी इंसेफ्लाइटिस के सामने आए हैं. बीते पांच सालों की स्थिति पर गौर करें तो राज्य में कुल 186 मामले सामने आए हैं.
वहीं, बीते 3 साल में यह आंकड़ा लगभग 70 के आसपास है. इस बीमारी को रोकने के लिए राज्य के चार जिलों विदिशा, रायसेन, इंदौर और भोपाल में टीकाकरण किया जा रहा है. डॉ. हिमांशु जायसवार ने कहा कि यह बीमारी गंदे पानी, मच्छर और सूअर के कारण फैलती है. इसके लिए जरूरी है कि साफ-सफाई पर खास ध्यान दिया जाए.
लगातार बढ़ रहा है टीकाकरण का दायरा
इस मौके पर एनएचएम के टीकाकरण प्रभारी डा संतोष शुक्ला ने जिंदगी में टीकाकरण के महत्व को बताया और कहा कि बचपन में लगाए गए टीका बच्चों के विकास में मददगार होते हैं. टीकाकरण का बड़ा लाभ बाल मृत्युदार, कुपोषण और विकलांगता से बचानें में मदद मिलती है. राज्य में चलाए जा रहे अभियान का नतीजा यह रहा है कि टीकाकरण का दायरा लगातार बढ़ रहा है.
डॉ. शुक्ला ने बदलते हालात का जिक्र करते हुए कहा कि यह बात सही है कि कुछ लोग भ्रम का शिकार होते हैं, मगर जागरूकता लाने के लिए किए गए प्रयासों से स्थितियां बदली हैं. बीते साल राज्य में जहां संपूर्ण टीकाकरण 86 फीसदी था तो इस साल 94 फीसदी हो गया है. इस तरह एक साल में आठ फीसदी का इजाफा हुआ है.
पीआईबी भोपाल के एडीजी प्रशांत पथराबे और यूनिसेफ के संचार विशेषज्ञ अनिल गुलाटी ने टीकाकरण के प्रति जनमानस का रुझान बढ़ने पर भ्रान्ति मिटने में मीडिया की भूमिका का जिक्र किया.
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