• img-fluid

    टीकाकरण अभियान में अवरोध से बढ़ता संक्रामक बीमारियों का खतरा

  • April 02, 2024

    – डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा

    लैसेंट ग्लोबल हेल्थ में हालिया प्रकाशित रिपोर्ट इस मायने में चिंतनीय और महत्वपूर्ण है कि विश्वव्यापी टीकाकरण अभियान में अवरोध का असर सामने आने लगा है। दुनिया के देशों के सामने खसरा, हेजा, हेपेटाइटिस सहित 14 से अधिक बीमारियों के फैलने का संकट उभरने लगा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की हालिया रिपोर्ट के अनुसार दुनिया के देशों में हैजा के कारण मौत का आंकड़ा लगभग दो गुणा हो गया है। तपेदिक नए वेरिएंट में आने लगी है जिसमें लगातार खांसी नहीं होने के कारण तपेदिक का पता लगने तक काफी देरी होने लगी है। दरअसल कोरोना अपना साइड इफेक्ट इस हद तक छोड़ गया है कि उसका असर हमें प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से आने वाले कई सालों तक देखने का मिलेगा। कोरोना के कारण दुनिया के देशों में टीकाकरण अभियान पर विपरीत प्रभाव पड़ा है। 2019 के अंतिम त्रैमास से 2020 तक कोरोना त्रासदी और उसके बाद कोरोना के नित नए वेरिएंट के कारण स्वास्थ्य को लेकर चल रहे विभिन्न अभियानों पर सीधा असर पड़ा है। उसका असर अब दिखाई देने लगा है।


    इंपीरियल कॉलेज लंदन के शोधार्थियों ने भारत सहित 112 देशों में किए गए अध्ययन में यह पाया है कि टीकाकरण में कोरोना काल में टीकाकरण अभियान प्रभावित होने के कारण 2030 तक दुनिया के देशों में खसरा सहित 14 बीमारियों के फैलने के कारण अतिरिक्त मौत होगी। एक अनुमान के कारण अकेले खसरा के कारण ही 40 हजार से अधिक जान जाने का अनुमान है। हैजा के कारण होने वाली मौतों के आंकड़े सामने आये हैं। करीब करीब दोगुनी गति से हैजा के मामले सामने आने लगे हैं। 2023 में सात लाख के करीब मामले सामने आये हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसीलिए चिंता जताई है।

    दरअसल टीकाकरण अभियान प्रभावित होने के लिए किसी को दोष भी नहीं दिया जा सकता। कोरोना 2019 के हालात ही ऐसे थे कि उस समय केवल और केवल कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने और लोगों की जान बचाना एकमात्र प्राथमिकता रह गई थी। सबकुछ ठहर जाने और दुनिया के किसी भी कोने पर नजर डालो, चारों ओर मौत का तांडव दिखाई देता था। सारी दुनिया का ध्यान इस त्रासदी से एक -एक जान बचाना बड़ी प्राथमिकता थी। इस दौरान टीकाकरण अभियान तो जोर-शोर से चला पर वह अन्य बीमारियों के स्थान पर कोरोना से बचाव के वैक्सीनेशन और उसकी पहली और दूसरी डोज पर ही केन्द्रित रहा। दुनिया के देशों तक कोरोना वैक्सीन पहुंचाना पहली प्राथमिकता रही। कोरोना वैक्सीनेशन के लिए भारत ने सारी दुनिया का नेतृत्व किया। परिणाम सामने हैं। आज कोरोना का आतंक लगभग समाप्त हो चुका है। पर करोना के साइड इफेक्ट आज भी सामने हैं। हालांकि कोरोना में मौत को नजदीक से देखने और कोरोना के कारण लाचारगी के बावजूद दुनिया के देशों में जो समझ आनी चाहिए थी वह कोसों दूर है। रूस-यूक्रेन युद्ध, इजराइल-हमास युद्ध, चीन की दादागिरी सहित दुनिया के देशों में संघर्ष, आतंकवादी घटनाएं बहुत कुछ सोचने को मजबूर करती है।

    दरअसल कोरोना काल ही ऐसा था कि उस समय वर्षाें से चले आ रहे अभियान लगभग ठहर गए थे। बल्कि यूं कहा जाए कि उस समय सारी दुनिया का ध्यान सबसे हटकर कोरोना त्रासदी से बचाव की ओर रह गया था। कोरोना प्रोटोकाल और कोरोना वायरस के संक्रमण के तरीके ने हिला कर रख दिया था। मास्क, सेनेटाइजर, सोशल डिस्टेंस उस समय का धर्म था तो अस्पताल तो दूर की बात घर से निकलते भी भय लगता था। ऐसे में टीकाकरण अभियान बाधित होना ही था। इसके साथ ही कोरोना वैक्सीन की और सबका ध्यान होने से अन्य वैक्सीन के उत्पादन और उपलब्धता प्रभावित होना स्वभाविक था।

    पर अब जो अध्ययन सामने आया है और जो देखने को मिल रहा है वह चिंतनीय है। खसरा, हैजा, तपेदिक, हैपेटाइटिस बी सहित 14 प्रकार के टीके जो समय पर लगाये जाने आवश्यक होते हैं वह प्रभावित हुए हैं। खसरा और फ्लू के नित नए वैरिएंट सामने आ रहे हैं। स्वाइन फ्लू, पैरट फीवर, रुबेला, निमोनिया और ना जाने क्या-क्या जानलेवा बीमारियां असर दिखाने लगी है। हैजे के दो साल में ही बढ़ते मामलों को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन अपनी चिंता जता चुका है। केवल हैजा के ही 2022 की तुलना में 2023 में करीब 48 प्रतिशत से अधिक मामले सामने आना अत्यधिक चिंता का कारण है। लोगों के इम्यूनेशन पॉवर में कमी आना बेहद चिंतनीय है। मौसम के जरा से बदलाव के साथ ही डॉक्टरों के यहां कतार लग जाना और नित नए वैरिएंट में बीमारियां होना अपने आप में गंभीर हो जाता है। चिकित्सा विज्ञान में शोध व अध्ययन कर रहे शोधार्थियों के लिए हालात चिंतनीय होते जा रहे हैं। उल्टा होने यह लगा है कि जो बीमारियां लगभग समाप्ति की और थी उनके नए वैरिएंट भी दिखाई देने लगे हैं। तपेदिक इसका उदाहरण है।

    अब हालात सामने हैं। कोरोना के कारण जो हालात बने उसके लिए किसी को दोष नहीं दिया जा सकता है। अब हो हालात और चुनौती सामने है उसी को देखते हुए आमजन के स्वास्थ्य की रणनीति तैयार करनी होगी। कोरोना के कारण प्रभावित वैक्सीनेशन से निपटने की योजना बनानी होगी। ऐसे समन्वित प्रयास करने होंगे ताकि टीकाकरण नहीं होने के कारण जो हालात बन रहे हैं उसका कोई सार्थक समाधान खोजा जा सके। यह किसी एक देश या एक कौम की चिंता नहीं है अपितु दुनिया के 112 देशों के अध्ययन का परिणाम है। अब इसका संभावित उपाय खोजने के लिए वैज्ञानिकों को जुट जाना होगा। वैज्ञानिकों की मेहनत का ही परिणाम है कि 1937 से 2021 तक टीकाकरण अभियान से इन जानलेवा बीमारियों पर काफी हद तक अंकुश पाया जा सका। पर अब टीकाकरण अभियान में आये व्यवधान के कारण हालात में थोड़ा बदलाव आया है, जिसे ध्यान में रखते हुए आगे बढ़ना होगा। चुनौतियां दो तरह की सामने है। एक ओर इन बीमारियों के फैलाव या यूं कहें कि संक्रमण को रोकना है तो दूसरी ओर इनसे प्रभावितों के सही इलाज की चुनौती सामने है। दुनिया के देशों को इसके लिए जुट जाना होगा तो विश्व स्वास्थ्य संगठन को भी गंभीर चिंतन मनन के साथ कारगर रणनीति तैयार करनी होगी।

    (लेखक, स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)

    Share:

    IWF World Cup 2024 : मीराबाई ने तीसरे स्थान पर रहते हुए पेरिस 2024 के लिए किया क्वालीफाई

    Tue Apr 2 , 2024
    नई दिल्ली (New Delhi)। थाईलैंड के फुकेत (Phuket, Thailand) में आयोजित ओलंपिक के लिए अनिवार्य क्वालीफाइंग इवेंट (Compulsory qualifying event Olympics) आईडब्ल्यूएफ विश्व कप 2024 (IWF World Cup 2024.) के ग्रुप बी में तीसरे स्थान पर रहने के बाद मीराबाई चानू (Mirabai Chanu) ने पेरिस 2024 के लिए क्वालीफाई कर लिया है। टोक्यो 2020 की […]
    सम्बंधित ख़बरें
  • खरी-खरी
    रविवार का राशिफल
    मनोरंजन
    अभी-अभी
    Archives
  • ©2024 Agnibaan , All Rights Reserved