मॉस्को। रूस-यूक्रेन युद्ध(Russia-Ukraine War) के 20वें दिन भी जहां यूक्रेन(Ukraine ) पर रूसी सेना (Russian Army) की बमबारी जारी है वहीं रूस पर प्रतिबंधों का दौर भी रुक नहीं रहा। इस दौरान यूक्रेनी शहरों (Ukrainian cities) से बड़ी संख्या में पलायन के कारण शरणार्थी संकट बढ़ रहा है वहीं रूसी शहरों (Russian cities) में भी आम जीवन बेहाल है। रूस में बढ़ते प्रतिबंधों व आर्थिक दंडों के चलते महंगाई चरम पर(inflation at its peak) है और जमाखोरी बढ़ने (hoarding increased) लगी है। रूबल की कीमत भी गिर चुकी है।
रूस में जमीनी हालात यह हैं कि आम मध्यमवर्ग के सामने खरीदी का संकट खड़ा हो गया है। खाद्य तेल, चीनी और और दूसरी जरूरी चीजों के दाम प्रतिबंधों के बाद से ही बढ़ चुके हैं। पिछले 20 दिन में चीनी के दाम 20 फीसदी तक बढ़ गए हैं। मॉस्को और दूसरे शहरों में दवाईयों की बिक्री को भी सीमित किया जा रहा है। मॉस्को, बेलग्रेड, सेंट पीटर्सबर्ग और नोवेसिबर्स्क में जमाखोरी की खबरें हैं।
उधर, रूसी मुद्रा रूबर का यूक्रेन पर हमला शुरू होने के बाद से ही गिरना जारी है। 20 फरवरी को जहां ग्रॉसरी का जो सामान 5,500 रूबल में आता था, उसके लिए अब 8,500 रूबल चुकाने पड़ रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय पाबंदियों के चलते रूस में स्मार्टफोन और लैपटॉप की आपूर्ति रुकने से इनके दाम 10 फीसदी तक बढ़ गए हैं। जबकि कई कंपनियों का सामान बिकना ही बंद हो चुका है। इन हालात का पूरा असर आम जिंदगी पर पड़ रहा है।
हर सप्ताह महंगाई बढ़ने से दैनिक खर्च प्रभावित
रूसी वित्त मंत्रालय के मुताबिक, 25 फरवरी को वार्षिक ग्राहक महंगाई दर जहां 9.05 प्रतिशत थी वह 4 मार्च को 10.42 फीसदी हो गई। प्रति सप्ताह महंगाई भी 0.45 फीसदी से 2.22 फीसदी पर पहुंच गई है। यहां के प्रोमस्वयाज बैंक (पीएसबी) के मुताबिक लोगों ने मार्च माह के पहले हफ्ते में खाने व कपड़े पर ज्यादा खर्च किया। एक आम रूसी ने फरवरी में किए गए कुल औसत खर्चे की तुलना में मार्च के पहले हफ्ते में 21 फीसदी अधिक खर्च किया।
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