नई दिल्ली: सामान्य तौर ऐसा नहीं होता कि भारत की तीनों बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनियां अपने कर्मचारियों एक साथ बुरी खबर दें. पिछला हफ्ता इस मामले अपवाद रहा. एक साथ कई बुरी खबरें आईटी से आईं. मनी कंट्रोल ने रिपोर्ट किया कि आईटी दिग्गज इंफोसिस ने वेरिएबल पे में 70 फीसदी की कटौती की है.
इसके बाद खबर आई कि विप्रो और टीसीएस ने अपने एम्प्लाई का वेरिएबल पे या तो कम कर दिया है या रोक दिया है. बाद में टीसीएस ने कहा कि पहली तिमाही के लिए परिवर्तनीय वेतन यानी वेरिएबल में देरी नहीं हुई है. पूरी राशि का भुगतान पहले या दूसरे महीने में निर्धारित किया जाएगा. हालांकि, दो अंकों की वृद्धि दर्ज करने के आईटी कंपनियां दबाव में हैं.
रिकॉर्ड संख्या में फ्रेशर्स को काम पर रखा
नौकरी छोड़ने की दर बढ़ने से कंपनियों ने रिकॉर्ड संख्या में फ्रेशर्स को काम पर रखा है. लेकिन उन्हें प्रोजक्ट में प्रशिक्षित और तैनात करने में महीनों लग जाते हैं. नतीजतन, उन्होंने अनुभवी कर्मचारियों को भी काम पर रखा, उप-ठेकेदारों की ओर रुख किया, और कर्मचारियों को नौकरी छोड़ने से रोकने के लिए उच्च वेतन का भुगतान किया. लिहाजा इसका असर कंपनी की मार्जिन में देखने को मिल रहा है.
मार्जिन में सुधार का दबाव
वर्क फ्रॉम होम के साथ मिलकर मजबूत डिमांड वाले समय में इसने महंगा कॉकटेल बना दिया. अब जब ऑफिस खुलने लगे हैं, यात्रा की लागत बढ़ने और मांग में अनिश्चिता की वजह से कंपनियां लागत कम करने पर फोकस कर रही हैं. कंपनियों को मार्जिन में सुधार के अन्य तरीकों को देखने के लिए मजबूर होना पड़ा है. इसी के तहत वेरिएबल पे में कटौती भी एक उपाय है.
एट्रिशन रेट बहुत हाई
उन्होंने कहा, ‘विश्लेषकों ने जो अनुमान लगाया था, उससे ज्यादा मार्जिन में गिरावट आई है. अब चिंता की बात यह है कि कंपनियों में एट्रिशन रेट बहुत हाई है, लिहाजा ज्यादा सैलरी देनी पड़ रही है और कंपनियों का खर्च बढ़ रहा है.
पिछले हफ्ते, विप्रो ने कर्मचारियों को एक ईमेल में कहा था कि बी और सी (मिड-मैनेजर लेवल) और उससे ऊपर के कर्मचारियों को वेरिएबल पे का भुगतान नहीं किया जाएगा, जबकि बैंड ए और बी में जूनियर कर्मचारियों को उनके वैरिएबल पे का 70 प्रतिशत मिलेगा. कंपनी ने कहा कि ऑपरेटिंग मार्जिन पर लगातार दबाव बना हुआ है. मोटामोटी ज्यादातर कंपनियों में यही स्थिति है.
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