उज्जैन। प्रदेश के हर जिले में बीमारियों की रोकथाम और उनके स्वरूप के अध्ययन को लेकर तथा स्वास्थ्य विभाग को सुझाव देकर अमल करवाने के लिए सरकार ने इंट्रीगे्रटेड डिसिज सर्विलांस प्रोग्राम (आईडीएसटी) सेल बनाया हुआ है। चरक भवन में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, भोपाल के माध्यम से यह संचालित हैं और यहां पर माइक्रो बॉयलॉजिस्ट के रूप में आर डी गार्डी मेडिकल में कार्यरत आदित्य माथुर को संविदा पर मिशन द्वारा गत वर्ष से रखा गया है।
इस सेल का कोरोनाकाल में मुख्य काम था कि वह कोरोना वायरस के मरीजों के मिलनेवाले स्थानों का अध्ययन करे, अपनी टिप्स दे। कंटेनमेंट एवं माइक्रो कंटेनमेंट एरिया की रचना करे तथा रैपिड रिस्पांस टीम को भी निर्देश दे कि वह किस प्रकार से फील्ड में एक्टिव हो। ताकि कोरोना पॉजीटिव्ह मरीजों की संख्या के आधार पर हॉट स्पॉट बने मौहल्लों, कालोनियों में रोकथाम के व्यापक इंतजाम हो सके। यह विभाग सामान्यतया मीडिया से चर्चा करने से बचता है, इसलिए इस विभाग की माहेती आम आदमी को नहीं है, लेकिन इस विभाग का काम इस महामारी के समय सबसे महत्वपूर्ण है। गौरतलब बात यह है कि इस विभाग के कामों की तथ्यात्मक विवेचना भी नहीं होती है प्रशासनिक बैठकों में। यह हाल है विभाग के जब विभाग के प्रमुख आदित्य माथुर से प्रश्न किया कि ऋषि नगर में कोरोना का डेल्टा+वेरिएंट एक महिला में मिला और उसकी मौत हो गई। उसका पति अब स्वस्थ है। यह मामला जब सामने आया, उस समय ऋषि नगर हॉट स्पॉट था। वहां पॉजीटिव्ह मरीजों के साथ-साथ मरनेवाले लोगों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ था। आपके विभाग ने डेल्टा+वेरिएंट सामने आने के बाद उस क्षेत्र को लेकर क्या रणनीति बनाई है? उन्होने जवाब दिया कि फिलहाल कोई रणनीति नहीं बनाई है। हमने पूरे जिले के हर वार्ड में एक जैसी रणनीति बनाई हुई है। टीम काम कर रही है, मरीज सामने आने पर रेण्डम सेंपलिंग कर रहे हैं। आपके पास कोई निर्देश हैं तो बता दें जब श्री माथुर से प्रश्न किया गया कि इंटरनेशनल वेबीनार में अमेरिका और ब्रिटेन के विश्लेषकों द्वारा पढ़े गए शोध पत्रों में उल्लेख है कि जहां-जहां डेल्टा+ वेरिएंट मिला,उन जगहों पर ढाई किलोमीटर की रेडियस में टोटल वैक्सीनेशन किया गया। उसके लाभ मिले। उक्त वेरिएंट दोबारा से सामने नहीं आया? इस पर उन्होने कहाकि हमारे पास ऐसा कोई पत्र,निर्देश या शोध निष्कर्ष नहीं है। यदि आपके पास है तो आप बता दें,स्टडी कर लेंगे।