नई दिल्ली: ऋषभ पंत (Rishabh Pant) शुक्रवार सुबह करीब 5.15 बजे के आस-पास दुर्घटना का शिकार हुए. वे अकेले कार चला रहे थे और दिल्ली से अपने घर रुड़की जा रहे थे. रेलिंग से टकराने के बाद पंत की गाड़ी में आग लग गई थी. वे गंभीर रूप से घायल थे. इसके बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और खुद खिड़की का सीसा तोड़कर बाहर निकले.
घटना के समय हरियाणा रोडवेज की बस वहां से गुजर रही थी. ड्राइवर सुशील कुमार ने साथियों के साथ मिलकर ना सिर्फ पंत को घायल होने के बाद रजाई दी, बल्कि पुलिस और एंबुलेंस को भी कॉल किया. इसके चलते समय पर भारतीय क्रिकेटर का इलाज हो सका. अभी वे देहरादून के अस्पताल में भर्ती हैं और उनकी हालत स्थिर बनी हुई है.
42 साल के सुशील कुमार ने बताया कि बस में करीब 30 यात्री थे. करीब सुबह 5.15 बजे के आस-पास हमारी गाड़ी से करीब 300 मीटर आगे जा रही एक कार तेज गति के कारण संतुलत खो देती है. कुछ सेकंड बाद ड्राइवर कूदकर बाहर निकलता है. मुझे लगा बचना मुश्किल है. सुशील के अलावा कंडक्टर परमजीत सिंह और कुछ पैसेंजर बाहर आए और पंत की मदद की.
3 मिनट बाद आया होश
उन्होंने बताया कि कार आग की लपटों में घिरी हुई थी. जब मैं बस से नीचे उतरा, तो मुझे लगा कि ड्राइवर मर गया है. खून बह रहा था, उसके सिर, पीठ पर चोटें थीं. कंडक्टर और मैंने उसे बाहर निकाला और साइड में ले गए. हमने तुरंत 112 पर कॉल किया और पुलिस व हाईवे अथॉरिटी को अलर्ट किया. 2-3 मिनट के बाद उन्हें होश आ गया.
खुद बताया- मैं क्रिकेटर हूं
सुशील कुमार ने इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा कि ऋषभ पंत ने खुद बताया कि वे क्रिकेटर हैं. जब हमने उनसे पूछा कि आपके साथ कोई और है, तो उन्होंने कहा कि मैं अकेला हूं. इसके बाद उन्होंने कहा कि मेरी मां को फोन कर दो. लेकिन उनका फोन ऑफ था. वे कांप रहे था और हमने बस में एक यात्री से रजाई उधार ली और उन्हें दी. वे काफी डर गए थे और अधिक नहीं बोल रहे थे. कुछ देर बाद पुलिस और एंबुलेंस वहां आ गई.
मैं क्रिकेट अधिक नहीं देखता
सुशील कुमार ने बताया कि मैं क्रिकेट अधिक नहीं देखता. हरियाणा से हूं, इस कारण कबड्डी पसंद है. वे पिछले 9 साल से ड्राइविंग का काम का रहे हैं. उन्होंने बताया कि मेरी पहली प्राथमिकता यही रहती है कि किसी को बचाना और उसकी मदद करना. कोहरे के दौरान इस तरह की दुर्घटना आम है.
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