– नारायण जैन
भारत में कर प्रणाली हमेशा ही आम लोगों के लिए एक जटिल और अबूझ पहेली बनी रहती है। यही वजह है कि जीविकोपार्जन करने वाले लोगों से जुड़ी आयकर प्रणाली के बारे में भी ज्यादा जानकारी नहीं होती। देश के आयकरदाता के एक बड़े वर्ग को आयकर की याद आमतौर पर जुलाई के महीने में आती है, जब टैक्स रिटर्न फाइल करने का आखिर समय आता है। नौकरीशुदा लोगों को अपने ऑफिस में अप्रैल के महीने में इनवेस्टमेंट प्रोजेक्शन जमा करते वक्त और फरवरी में एक्चुअल इनवेस्टमेंट डिटेल जमा करते वक्त भी इसकी याद आती है। लेकिन आयकर जमा करने वाले लोगों के एक बड़े वर्ग के लिए आयकर से जुड़ी प्रक्रिया एक जटिल पहेली के समान होती है।
इसलिए सबसे ज्यादा जरूरी प्रक्रिया को समझने की है। लोग जितना ज्यादा इस प्रक्रिया को समझेंगे, उतना ही उसमें कम गलतियां होने की संभावना बनेगी। ध्यान दें तो ज्यादातर लोगों को ये ही पता नहीं होता है कि आयकर सर्वेक्षण का तात्पर्य क्या होता है। आइए इससे जुड़े प्रावधानों, अधिकारों और अधिकारियों की शक्तियों के बारे में जानते हैं।
1. आयकर अधिकारियों (आयकर निरीक्षक के अलावा) के पास धारा 133ए के तहत सर्वेक्षण के संबंध में निम्नलिखित शक्तियां हैं:
(i) सर्वेक्षण स्थल पर उपलब्ध खाते की पुस्तकों या अन्य दस्तावेजों का निरीक्षण करना। वे पहचान चिह्न लगा सकते हैं और उसके उद्धरण और प्रतियां बना सकते हैं।
(ii) वे सर्वे स्थल पर नकदी, स्टॉक या अन्य मूल्यवान वस्तुओं या चीजों की जांच या सत्यापन कर सकते हैं। वे ऐसी संपत्तियों की सूची बना सकते हैं।
(iii) वे ऐसी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं, जो आयकर कार्यवाही के लिए उपयोगी या प्रासंगिक हो सकती है, जिसे अंतिम रूप दिया जा चुका है या जो लंबित हो सकती है या सर्वेक्षण की तारीख के बाद शुरू की जा सकती है।
(iv) वे आयकर अधिनियम के तहत कार्यवाही से संबंधित किसी भी व्यक्ति का बयान दर्ज कर सकते हैं।
(v) आयकर प्राधिकारी किसी समारोह, समारोह या कार्यक्रम के संबंध में एक निर्धारिती द्वारा किए गए व्यय की प्रकृति और पैमाने को ध्यान में रखते हुए प्रासंगिक जानकारी मांग सकता है। वे इस संबंध में निर्धारिती या किसी व्यक्ति का बयान भी दर्ज कर सकते हैं, लेकिन इन अधिकारों का प्रयोग केवल समारोह या कार्यक्रम के बाद ही किया जा सकता है।
आपको बता दें कि आयकर निरीक्षक के पास इन अधिकारों में से केवल उपरोक्त (i) और (v) के संबंध में अधिकार है। इस प्रकार यदि कोई निरीक्षक शपथ पर बयान दर्ज करता है या नकदी या स्टॉक सूची तैयार करता है, तो वह अपनी शक्ति से परे कार्य करता है और इसे अवैध माना जाएगा। (आयकर अधिकारी बनाम ज्वेल्स एम्पोरियम 48 आईटीडी 164 इंदौर ट्रिब्यूनल)।
सबसे अहम बात, जिसे हर आयकरदाता को जानना चाहिए, वो ये है कि आयकर अधिकारियों के पास सर्वेक्षण के दौरान किसी भी नकदी, स्टॉक या अन्य मूल्यवान वस्तुओं या चीजों को हटाने या जब्त करने का या ले जाने का अधिकार नहीं है। ऐसी शक्तियां केवल तलाशी और जब्ती के दौरान ही उपलब्ध होती हैं।
2. कोई भी स्थान, जहां धर्मार्थ उद्देश्य, शिक्षा, चिकित्सा और इसी तरह की अन्य गतिविधियां की जाती हैं, का भी आयकर प्राधिकरण द्वारा सर्वेक्षण किया जा सकता है।
3. धारा 133ए (3) के अनुसार सर्वे के दौरान अधिकारियों के द्वारा निरीक्षण किए गए खाते की पुस्तकों या अन्य दस्तावेजों को जब्त करने का अधिकार है। लेकिन आयकर निरीक्षक को यह अधिकार नहीं है। सर्वे के दौरान जब्त किए गए खाते की पुस्तकों या दस्तावेजों को रखने की अवधि 15 दिन (छुट्टियों को छोड़कर) है। इसे प्रधान मुख्य आयुक्त या निर्धारित प्राधिकारी के अनुमोदन से बढ़ाया जा सकता है।
4. सुभा और प्रभा बिल्डर्स प्राइवेट लिमिटेड बनाम आयकर अधिकारी [2009] 318 आईटीआर 29 (कर्नाटक) के मामले में कर्नाटक उच्च न्यायालय ने 342 आईटीआर 14 (कर्नाटक) में डिवीजन बेंच द्वारा पुष्टि की कि चूंकि जब्त करने का अधिकार कुछ दिनों के लिए है, विस्तार कुछ दिनों के लिए ही दिया जा सकता है, महीनों या वर्षों के लिए नहीं। विस्तार केवल एक बार दिया जा सकता है, बार-बार नहीं। धारा 131 के तहत यह निर्णय धारा 133ए के तहत पुस्तकों को जब्त करने के लिए भी उतना ही कारगर है।
5. धारा 133ए (2ए) के अनुसार आयकर अधिकारी टीडीएस/टीसीएस प्रावधानों के अनुपालन को सत्यापित करने के लिए सर्वेक्षण कर सकते हैं। अधिकारी सूर्योदय के बाद और सूर्यास्त से पहले व्यावसायिक परिसर में प्रवेश कर सकते हैं।
अति गोपनीय/व्यक्तिगत डेटा
6. टीडीएस/टीसीएस के लिए सर्वेक्षण के मामले में अनुपालन प्राधिकारियों को निम्नलिखित अधिकार नहीं है:
(ए) उनके द्वारा निरीक्षण किए गए खाते की पुस्तकों और अन्य दस्तावेजों पर पहचान के निशान लगाने के लिए और ऐसे प्राधिकारी उद्धरण या प्रतियां नहीं बना सकते हैं।
(बी) सर्वे के दौरान निरीक्षण की गई लेखा पुस्तकों या किसी अन्य दस्तावेज को जब्त करने या ले जाने का अधिकार नहीं है।
(सी) ऐसे सर्वे के दौरान जांची गई या सत्यापित किसी भी नकदी, स्टॉक या अन्य मूल्यवान वस्तु या चीज की एक सूची बनाने का अधिकार नहीं है।
7. श्रीमती रुमेना रहमान बनाम यूनियन ऑफ इंडिया के मामले में गौहाटी उच्च न्यायालय [2004] 265 आईटीआर 16 (गौ.) में कहा गया है कि सर्वेक्षण के स्थान से दस्तावेजों, बही-खातों, फाइलों आदि को हटाकर एक अलग कमरे में ताले और चाबी के नीचे रखा जाए और कमरे के प्रवेश द्वार पर एक पेपर सील लगाई जाए। तो ऐसा करना खाते की पुस्तकों को जब्त करने के समान है।
(लेखक, वरिष्ठ वकील और आयकर प्रणाली के जानकार हैं।)
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