मुंबई (Mumbai) । दक्षिणपंथी संगठन सकल हिंदू समाज (एसएचएस) ने सिटी एंड इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन ऑफ महाराष्ट्र लिमिटेड (CIDCO) द्वारा मुंबई के उल्वे इलाके में मस्जिद (Mosque) के लिए प्लॉट के आवंटन (plot allotment) का विरोध किया है। प्रदर्शनकारियों ने उनकी मांग को स्वीकार नहीं किए जाने पर आंदोलन तेज करने और मस्जिद को ध्वस्त करने की धमकी दी है। उन्होंने सिडको कार्यालय में प्रदर्शन किया और ‘जय श्री राम’ के नारे लगाए। इलाके की दुकानों के शटर भी गिरा दिए।
एसएचएस के सदस्य राजेंद्र पाटिल ने कहा, ”उल्वे में हिंदू बहुसंख्यक हैं। मुश्किल से कुछ मुसलमान हैं। हम यहां मस्जिद की अनुमति नहीं दे सकते हैं। हमें हर दो घंटे में लाउडस्पीकर से उनकी अजान क्यों सुननी चाहिए? हिंदू जाग गए हैं और इसलिए हम सभी आज मस्जिद की साजिश का विरोध करने के लिए एकजुट हुए हैं।”
उन्होंने कहा कि सिडको की साजिश मुस्लिम समुदाय के प्रति तुष्टिकरण की नीति है। हम इसकी अनुमति नहीं देंगे। उन्होंने कहा, ”अगर विधायक महेश बाल्दी मुसलमानों को खुश करना चाहते हैं तो वह उरण में एक मस्जिद का निर्माण कर सकते हैं। हम भूखंड के आवंटन का समर्थन करने की उनकी कार्रवाई की निंदा करते हैं।”
पाटिल ने कहा, ”हमने इस प्लॉट की पेशकश के खिलाफ अदालत में एक रिट याचिका दायर की है। मस्जिद का निर्माण न हो इसके लिए हम किसी भी हद तक जाएंगे। हम कानून भी हाथ में ले सकते हैं। सिडको को एक कड़ा संदेश देने के लिए यह अभी केवल एक ट्रेलर है। अगर यह आवंटन रद्द नहीं करता है तो हम मस्जिद को गिरा देंगे।”
सिडको ने कथित तौर पर किसी भी स्थानीय परियोजना-प्रभावित व्यक्तियों (PAP) ट्रस्ट को मस्जिद के लिए पट्टे पर सेक्टर 19 में एक भूखंड की पेशकश की है। उरण के निर्दलीय विधायक बाल्दी ने हाल ही में सिडको के साथ एक बैठक में मुस्लिमों के लिए भूखंड जारी करने के लिए कहा था। हालांकि, बाल्दी ने इस मामले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
विरोध में भाग लेने वाले भाजपा नेता नरेंद्र पाटिल ने दावा किया कि उल्वे में बड़े पैमाने पर ‘लैंड जिहाद’ हो रहा है। उन्होंने कहा कि कुछ असामाजिक तत्व उस क्षेत्र में अपना धर्म फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ”हिंदू बहुल्य इस इलाके में किसी अन्य समुदाय के लिए भूखंड आवंटित करने का कोई मतलब नहीं है। लैंड वहां दिया जा सकता है जहां वह समुदाय बहुसंख्यक है। राज्य के मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और सिडको को इस विरोध को गंभीरता से लेना चाहिए और अपना आदेश वापस लेना चाहिए।”
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