इन्दौर। प्रदेश का पहला राशन माफिया प्रशासन ने इन्दौर में पकड़ा है। महू का रहने वाला मोहन अग्रवाल इस राशन माफिया का सरगना बताया जाता है, जिसने पिछले कई वर्षों से कंट्रोल पर बिकने वाले गेहूं, चावल, केरोसिन की जमकर अफरा-तफरी की और एक अनुमान के मुताबिक जांच में यह घोटाला 100 करोड़ रुपए तक पहुंच सकता है। कलेक्टर मनीष सिंह ने 15 दिन पहले मिली खबर के आधार पर संबंधित विभागों से जांच कराई, जिसमें पूरा नेटवर्क पता किया, जिसके आधार पर अब पुलिस को भी मामला जांच के लिए सौंपा जा रहा है। संबंधित राशन माफिया के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज करवा दी है।
अभी प्रदेश में चावल घोटाला उजागर हुआ। उसके बाद मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने सभी तरह के माफियाओं के साथ राशन माफिया पर भी कार्रवाई के निर्देश दिए, जिसके चलते कलेक्टर मनीष सिंह को जानकारी मिली कि महू के मोहन अग्रवाल, उनके बेटे द्वारा पिछले कई वर्षों से राशन की अफरा-तफरी की जा रही है। नागरिक आपूर्ति और वेयर हाउसिंग से आने वाले ट्रक मोहन अग्रवाल के गोडाउन में खाली हो जाते हैं और महाराष्ट्र सहित अन्य राज्यों से सड़ा हुआ घटिया खाद्यान्न खरीदकर अच्छे राशन से उसे बदल दिया जाता है और फिर कंट्रोल दुकानों से सांठगांठ कर वहां पर इसे गरीबों को उपलब्ध कराया जाता है। इतना ही नहीं पात्रता से आधा राशन देकर अंगूठे लगवा लिए जाते हैं। कलेक्टर मनीष सिंह का कहना है कि यह पहला ऐसा मामला है, जिसमें बड़े राशन माफिया की सांठगांठ उजागर हुई है, जिसमें मंडी, खाद्य से लेकर संबंधित विभाग कंट्रोल संचालकों की संलिप्तता सामने आ रही है। उन्होंने पिछले दिनों महू एसडीएम को इस मामले की जांच के निर्देश दिए थे और 15 दिन से सारे विभागों को लगाकर निगरानी की जा रही थी। इसके बाद इस पूरे नेटवर्क का खुलासा हुआ, जिसके चलते संबंधित राशन माफिया और उनसे जुड़े लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है और इससे जुड़े अन्य लोगों की भी जांच-पड़ताल की जा रही है। पिछले 10 से 15 सालों से यह गोरखधंधा चल रहा था, जिसमें चावल, गेहूं, केरोसीन से लेकर राशन दुकानों पर बंटने वाली सभी सामग्री में हेराफेरी की जाती रही है। यह पूरा मामला पुलिस को भी जांच के लिए सौंपा जा रहा है। कलेक्टर मनीष सिंह खुद अभी महू पहुंचे। जहां वे पूरे मामले को मीडिया के समक्ष उजागर करेंगे।
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