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    RG Kar Case: पीड़िता के माता-पिता के कहने पर जूनियर डॉक्टरों ने अनशन लिया वापस

  • October 22, 2024

    कोलकाता। आरजी कर मेडिकल कॉलेज घटना (RG Kar Case) को लेकर पिछले 17 दिनों से जारी जूनियर डॉक्टरों की जारी आमरण अनशन के बीच सोमवार को राज्य सचिवालय में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Chief Minister Mamata Banerjee) और जूनियर डॉक्टरों के बीच करीब दो घंटे बैठक हुई। इसमें जूनियर डॉक्टरों की विभिन्न मांगों पर चर्चा हुई। इन मांगों में राज्य के अस्पतालों में व्याप्त धमकी की संस्कृति भी शामिल थी।

    कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में जूनियर डॉक्टर के साथ दरिंदगी मामले में 17 दिनों से धर्मतला में आमरण अनशन पर बैठे जूनियर डॉक्टरों ने सोमवार को रात को अनशन वापस ले लिया। डॉक्टरों ने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि पीड़िता के माता-पिता के कहने पर अनशन वापस लिया गया है। साथ ही डॉक्टरों ने मंगलवार को होने वाली व्यापक हड़ताल भी वापस ले ली। गौरतलब है कि 5 अक्तूबर से जूनियर डॉक्टर धर्मतल्ला में ‘आमरण अनशन’ पर बैठे थे। इसके साथ ही, उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज में भी भूख हड़ताल चल रही थी। 10 सूत्री मांगों को लेकर डॉक्टर अड़े हुए थे।



    इससे पहले, आरजी कर मेडिकल कॉलेज घटना के बाद पिछले 17 दिनों से जारी जूनियर डॉक्टरों की जारी आमरण अनशन के बीच सोमवार को राज्य सचिवालय में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और जूनियर डॉक्टरों के बीच करीब दो घंटे बैठक हुई। इसमें जूनियर डॉक्टरों की विभिन्न मांगों पर चर्चा हुई। इन मांगों में राज्य के अस्पतालों में व्याप्त धमकी की संस्कृति भी शामिल थी। बातचीत डॉक्टरों के आमरण अनशन के 17वें दिन नवान्न (सचिवालय) में आयोजित की गई। पहली बार इसे लाइव स्ट्रीम किया गया। बैठक में मुख्यमंत्री ने जूनियर डॉक्टरों से अनशन समाप्त करने की अपील की। उन्होंने कहा, उनकी अधिकांश मांगों का समाधान किया गया है, हालांकि उन्होंने राज्य स्वास्थ्य सचिव को हटाने की मांग को खारिज कर दिया। दोनों पक्षों ने व्याप्त धमकी की संस्कृति पर सहमति जताई, लेकिन इसके पीछे के कारणों और परिस्थितियों पर उनके विचार भिन्न थे।

    स्वास्थ्य सचिव निगम को हटाने की मांग का संदर्भ देते हुए, जिसे मुख्यमंत्री ने अब तक स्वीकार नहीं किया, उन्होंने कहा कि बिना ठोस सबूत के उन्हें धमकी की संस्कृति का समर्थक बताना गलत है। आप बिना ठोस सबूत के किसी व्यक्ति को आरोपी नहीं कह सकते। पहले आपको सबूत देना होगा, फिर आप किसी व्यक्ति को आरोपी कह सकते हैं। इस पर एक आंदोलनकारी डॉक्टर ने जवाब दिया, कानून के अनुसार, किसी व्यक्ति को आरोपी तब तक कहा जा सकता है जब तक वह दोषी साबित नहीं होता।

    बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा, आरजी कर मेडिकल कॉलेज से कई जूनियर डॉक्टरों और मेडिकल छात्रों को बिना उचित प्रक्रियाओं का पालन किए निलंबित किया गया। ये छात्र या रेजिडेंट डॉक्टर केवल शिकायतों के आधार पर कैसे निलंबित हो सकते हैं। कॉलेज अधिकारियों को राज्य सरकार को सूचित किए बिना ऐसा कदम उठाने का अधिकार किसने दिया। क्या यह धमकी की संस्कृति नहीं है।

    इस पर जूनियर डॉक्टर अनिकेत महतो, मुख्यमंत्री का विरोध करते हुए कहा कि जो लोग निलंबित हुए हैं वे वास्तव में धमकी की संस्कृति का हिस्सा हैं और डॉक्टर बनने के योग्य नहीं हैं। उन्होंने कहा, “अगर जरूरत हो, तो राज्य सरकार उनके प्रदर्शन का आकलन कर सकती है और फिर निर्णय ले सकती है। डॉक्टरों ने और राज्य के स्वास्थ्य ढांचे में प्रणालीगत बदलाव की मांग की है।

    बैठक में एक डॉक्टर ने मुख्यमंत्री से कहा, पिछले तीन वर्षों में आरजी कर में “विषाक्त” वातावरण के बारे में राज्य स्वास्थ्य विभाग के साथ कई बार लिखित रूप में चिंता व्यक्त की है। महिला चिकित्सकों को उनके पुरुष साथियों द्वारा अनुचित व्यवहार का सामना करना पड़ा, और जिन्होंने यौन उत्पीड़न का सामना किया, उनके पास अपनी शिकायतें दर्ज करने के लिए उचित चैनल नहीं था।

    बैठक के दौरान, दोनों पक्षों ने भिन्न मत देखने को मिले। मुख्यमंत्री ने कहा, अगर आप आंदोलन शुरू करते हैं, तो आपको यह भी पता होना चाहिए कि इसे कैसे समाप्त करना है। यह सही नहीं है कि सभी आपकी मांगें मान ली जाएंगी। आप अपनी मांगें प्रस्तुत करने के लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन हमारे पास यह आकलन करने का अधिकार है कि क्या वे न्यायसंगत हैं या नहीं उन्होंने उनकी मांगों पर ध्यान देने का वादा करते हुए जूनियर डॉक्टरों से अनुरोध किया कि वे अपने सहयोगियों को अनशन समाप्त करने और ड्यूटी पर लौटने के लिए मनाएं। हम चाहते हैं कि आप सभी स्वस्थ रहें और अपने जीवन में प्रगति करें। मैं भी एक जन आंदोलन का उत्पाद हूं। मुझे यह जानकर बहुत दुख होता है कि आपके कुछ सहयोगी अनशन पर हैं। मैं आप सभी से अनुरोध करती हूं कि आप अनशन समाप्त करें।

    इन दस सूत्रीय मांग पर अड़े थे जूनियर डॉक्टर
    न्याय सुनिश्चित करनाः तुरंत और पारदर्शी तरीके से प्रताड़ित के लिए न्याय सुनिश्चित करना होगा।
    स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारीः स्वास्थ्य क्षेत्र में प्रशासनिक अक्षमता और भ्रष्टाचार का दोष स्वास्थ्य विभाग को लेना होगा। नरायणस्वरूप निगम को तुरंत स्वास्थ्य सचिव के पद से हटाना होगा।
    रैफरल’ व्यवस्था: राज्य के प्रत्येक अस्पताल और मेडिकल कॉलेज में केंद्रीय स्तर पर ‘रैफरल’ प्रणाली (रोगी को अन्यत्र स्थानांतरित करने की प्रक्रिया) लागू करनी होगी।-डिजिटल मॉनिटरः प्रत्येक अस्पताल और मेडिकल कॉलेज में खाली बिस्तरों की जानकारी देने के लिए एक-एक ‘डिजिटल मॉनिटर’ रखना होगा।

    टास्क फोर्स का गठनः प्रत्येक मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में कॉलेज-आधारित टास्क फोर्स बनानी होगी, जिसमें जूनियर डॉक्टरों के चयनित प्रतिनिधि होंगे। सीसीटीवी, डॉक्टरों के लिए ऑन कॉल रूम, शौचालय, हेल्पलाइन नंबर, और पैनिक बटन शुरू करना होगा।

    पुलिस सुरक्षा बढ़ानाः अस्पतालों में पुलिस सुरक्षा को और बढ़ाना होगा। सिविक वॉलंटियर्स के बजाय पुलिसकर्मियों को जिम्मेदारी में रखना होगा, और सुरक्षा के लिए महिला पुलिसकर्मियों को भी रखना होगा।
    रिक्त पदों की भर्तीः अस्पतालों में डॉक्टरों, नर्सों और स्वास्थ्यकर्मियों की रिक्तियों को जल्द से जल्द भरने का प्रबंध करना होगा।
    अनुसंधान समिति का गठनः विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में ‘भय के राजनीति’ का आरोप झेल रहे लोगों के खिलाफ अनुसंधान समिति गठित करके दंड का प्रावधान करना होगा। राज्य स्तर पर भी अनुसंधान समिति बनानी होगी।
    छात्र संघ चुनावः प्रत्येक मेडिकल कॉलेज में छात्र संघ चुनावों की व्यवस्था करनी होगी। साथ ही, मेडिकल कॉलेज के रेजिडेंट डॉक्टरों के संगठन को मान्यता देनी होगी। मेडिकल कॉलेज और अस्पतालों के संचालन में प्रत्येक समिति में डॉक्टरों और जूनियर डॉक्टरों के प्रतिनिधि को शामिल करना होगा।
    तत्काल जांचः पश्चिम बंगाल मेडिकल काउंसिल और पश्चिम बंगाल हेल्थ रिक्रूटमेंट बोर्ड में भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के आरोपों की तत्काल जांच शुरू करनी होगी।

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