नई दिल्ली: देश के केंद्रशासित प्रदेश लक्षद्वीप में 93 फीसदी मुस्लिम आबादी निवास करती है. इस वजह से वहां विशेष प्रावधानों के तहत स्कूलों का अवकाश शुक्रवार को रहता था लेकिन अब वहां यह नियम बदल दिया गया है. अगले शिक्षा सत्र से वहां शुक्रवार की जगह रविवार को ही शासकीय अवकाश रहा करेगा.
6 दशक पुराने विशेषाधिकार समाप्त
‘द हिंदू’ की खबर के अनुसार, इस बारे में लक्षद्वीप शिक्षा विभाग ने एक नया कैलेंडर जारी किया है जिसमें शुक्रवार को स्कूल लगा करेंगे तो वहीं रविवार को स्कूलों की छु्ट्टी घोषित कर दी गई है. 6 दशकों से चले आ रहे पुराने विशेषाधिकार इस फैसले से समाप्त हो गए हैं.
संसाधनों का ज्यादा से ज्यादा उपयोग हो, इसलिए हुआ बदलाव
इस मामले में माना जा रहा है कि संसाधनों का ज्यादा से ज्यादा उपयोग हो और बच्चों के सीखने की प्रक्रिया की आवश्यक योजना बने, इसके लिए स्कूल के समय और नियमित स्कूल गतिविधियों को संसोधित किया है. यह बदलाव लक्षद्वीप के प्रशासक प्रफुल्ल के पटेल के आदेश से हुआ जो प्रधानमंत्री मोदी के खास बताए जाते हैं.
2010 में जब गुजरात के तत्कालीन गृह मंत्री अमित शाह को जेल जाना पड़ा था तो सीएम नरेंद्र मोदी ने उनकी जगह पर प्रफुल्ल पटेल को गृह मंत्रालय सौंपा था. केंद्र ने 2016 में दमन एवं दीव और दादरा एवं नगर हवेली को मिलाकर एक केंद्र शासित प्रदेश बनाने का निर्णय लिया था, तब पटेल को ही वहां का प्रशासक नियुक्त किया गया था.
उठने लगे विरोध के स्वर
लक्षद्वीप में शुक्रवार की जगह रविवार को अवकाश करने के आदेश पर विरोध भी उठने लगे हैं. लक्षद्वीप के सांसद मोहम्मद फैजल ने कहा कि जब 6 दशक पहले छात्रों को एजुकेशन देने के लिए स्कूल खुले थे तब शुक्रवार को पूरी छुट्टी और शनिवार को आधे दिन की छुट्टी रहती थी लेकिन अब ऐसा नहीं है.
उन्होंने ये भी कहा कि यह फैसला स्कूलों के किसी भी निकाय, जिला पंचायत या स्थानीय सांसद से चर्चा किए बगैर लिया गया है. मोहम्मद फैजल शरद पवार की पार्टी एनसीपी से सांसद हैं. लक्षद्वीप जिला पंचायत के उपाध्यक्ष और काउंसलर पीपी अब्बास ने भी लक्षद्वीप के प्रशासक प्रफुल्ल पटेल के सलाहकार को चिट्ठी लिखकर इस फैसले पर दोबारा विचार करने को कहा है.
93 फीसदी आबादी मुस्लिम
वर्तमान में 70-75 हजार की आबादी वाले इस आइसलैंड के अंतर्गत 36 द्वीपसमूह आते हैं. 2011 की जनगणना के अनुसार, लक्षद्वीप की आबादी 64,429 है. 93 फीसदी जनसंख्या जो स्वदेशी हैं, मुस्लिम हैं और उनमें से अधिकांश सुन्नी संप्रदाय के शफी स्कूल से संबंधित हैं. लोगों का मुख्य व्यवसाय मछली पकड़ना और नारियल की खेती करना है. यहां पर्यटन भी रोजगार का मुख्य साधन है.
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