कोरोना महामारी के दौरान विशेषकर पहली लहर के बाद लॉकडाउन अवधि में लोगों के बीच डिप्रेशन और चिंता के मामलों में बढ़ोतरी देखी गई है। ये खुलासा दिल्ली के निजी अस्पताल मैक्स की रिसर्च में हुआ है। अस्पताल के प्रवक्ता ने बताया कि ऑनलाइन सर्वे का मकसद महामारी के दौरान लोगों में जागरुकता, चिंता और डिप्रेशन के लक्षणों का मूल्यांकन करना था।
डिप्रेशन और चिंता का मूल्यांकन करने के लिए सर्वेक्षण
रिसर्च से पता चला कि उनमें से 44.6 फीसद हल्की चिंता, 30.1 फीसद मध्यम चिंता और 25.3 फीसद गंभीर चिंता के मापदंड पर गए. उसके अलावा, 26.1 फीसद हल्के डिप्रेशन, 16.7 फीसद मध्यम डिप्रेशन और 3.8 फीसद गंभीर डिप्रेशन के मापदंड की बात सामने आई। रिपोर्ट के मुताबिक राष्ट्रीय स्तर पर लॉकडाउन के दौरान चार सप्ताह तक प्रश्नावली के जरिए डेटा को इकट्ठा किया गया था।
प्रतिभागी भारत के शहरी, कम से कम 10वीं तक पढ़े लिखे, बुनियादी अंग्रेजी भाषा के जानकार और 18 साल से ज्यादा की उम्र वाले थे। डॉक्टरों ने बताया कि मानसिक रोग वाले प्रतिभागियों को विश्लेषण से बाहर रखा गया। वेब सर्वे का इस्तेमाल करते हुए रिसर्च किया गया था और आबादी तक वितरण किया गया।
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