नई दिल्ली (New Delhi)। यूनाइटेड नेशन डेवलपमेंट प्रोग्राम (GGPI) और महिलाओं के सशक्तीकरण और लैंगिक समानता के लिए काम कर रहे संगठन यूएन वीमेन (UN Women has) ने अपनी नई रिपोर्ट द पाथ्स टू इक्वल में भारत को महिला सशक्तीकरण और लैंगिक समानता के मामले में पिछड़े देशों की सूची में शामिल किया है।
रिपोर्ट में महिला सशक्तीकरण सूचकांक (डब्ल्यूईआई) और वैश्विक लैंगिक समानता सूचकांक (जीजीपीआई) से जुड़े आंकड़े साझा किए गए हैं। इन दोनों ही सूचकांकों में भारत को पिछड़े देशों की सूची में रखा गया है। साथ ही रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारतीय समाज धीरे-धीरे जागरूक हो रहा है और महिला सशक्तिकरण की दिशा में आगे बढ़ रहा है। डब्ल्यूईआई इंडेक्स में भारत को 0.52 अंक और जीजीपीआई इंडेक्स में 0.56 अंक दिए गए हैं। इस सूची में में भारत के साथ उसके पड़ोसी देश पाकिस्तान, नेपाल और श्रीलंका भी शामिल हैं।
शारीरिक और यौन हिंसा में आई कमी
शारीरिक और यौन हिंसा का स्तर भी गिरा है। 2010 से 15 के बीच यह प्रतिशत 25 के आसपास था। रिपोर्ट में इस बात पर चिंता जताई गई है की 2012 से 2022 के बीच 43.53 फीसदी युवा बच्चियां शिक्षा और रोजगार से वंचित रह गईं थीं। दुनिया भर में 15 % महिलाओं का काम का अवसर ही नहीं मिल पा रहा है।
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