नई दिल्ली । कोरोना महामारी (corona Epidemic) की दूसरी लहर में गर्भवती (Pregnant) और प्रसूता (शिशुओं को जन्म देने वाली) महिलाएं पहली लहर की तुलना में अधिक प्रभावित हुईं। इस साल इस श्रेणी में लक्षण वाले मामले और संक्रमण से मृत्यु की दर भी अधिक रही। यह बात भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) की एक स्टडी में सामने आई है।
आईसीएमआर ने कहा कि भारत में महामारी की पहली लहर यानी एक अप्रैल, 2020 से 31 जनवरी, 2021 तक और दूसरी लहर यानी एक फरवरी, 2021 से 14 मई के दौरान गर्भवती और शिशुओं को जन्म देने वाली महिलाओं से संबंधित संक्रमण के मामलों की तुलना की गई।
आईसीएमआर ने कहा कि दूसरी लहर में लक्षण वाले संक्रमण के मामले 28.7 प्रतिशत थे जबकि पहली लहर में यह आंकड़ा 14.2 प्रतिशत था। गर्भवती महिलाओं और प्रसव के बाद महिलाओं में संक्रमण से मृत्यु दर 5.7 प्रतिशत थी जो पहली लहर में 0.7 की मृत्यु दर से अधिक रही। स्टडी के अनुसार महामारी की दोनों लहर में मारे गए लोगों में 2 प्रतिशत महिलाएं वो थीं जिन्होंने हाल ही में शिशुओं को जन्म दिया था। इनमें से अधिकतर महिलाओं ने कोविड-19 से संबंधित निमोनिया और सांस लेने में परेशानी संबंधी समस्याओं के कारण दम तोड़ दिया।
सभी महिलाओं को टीका लगवाना जरूरी
आईसीएमआर ने कहा कि यह स्टडी कोविड-19 के खिलाफ गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के टीकाकरण के महत्व को दिखाता है। भारत में स्तनपान कराने वाली सभी महिलाओं के लिए टीका लगवाने की सिफारिश की गई है। हालांकि सरकार ने क्लीनिकल ट्रायल के आंकड़ों की कमी का हवाला देते हुए गर्भवती महिलाओं के टीकाकरण की अब तक अनुमति नहीं दी है। इस बारे में टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी परामर्श समूह (एनटीएजीआई) विचार-विमर्श कर रहा है।
डब्ल्यूएचओ ने की सिफारिश
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने पिछले सप्ताह सिफारिश की थी कि अगर गर्भवती महिलाओं को कोविड का अत्यंत खतरा हो और अगर उन्हें अन्य बीमारियां हैं तो उन्हें टीका लगाया जाना चाहिए।
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