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    रिपोर्ट से खुलासा-भारत की जमीन से निकला था पृथ्‍वी का पहला महाद्वीप

  • November 10, 2021

    नई दिल्ली। आप कहां रहते हैं? इस सवाल के जवाब में आप देश का नाम बताएंगे. लेकिन हम धरती पर एशिया (asia) नाम के महाद्वीप (Continent) पर रहते हैं. आपको पता है कि पहला महाद्वीप (Continent) कब बना था. असल में वैज्ञानिकों ने जो सोचा था उससे करोड़ों साल पहले धरती का पहला महाद्वीप (Continent) बना था. यह महाद्वीप(Continent) 320 से 330 करोड़ साल पहले बना था. वह भी भारत की जमीन से…एक नई स्टडी में इस बात का खुलासा किया गया है.

    यूनिवर्सिटी ऑफ ओरेगॉन में जियोलॉजी के प्रोफेसर इल्या बिंडमैन (Ilya Bindman, Professor of Geology at the University of Oregon) ने कहा कि धरती के पहले महाद्वीप यानी कॉन्टीनेंट्स (Continents) को क्रेटॉन्स (Cratons) कहा जाता था. अलग-अलग स्टडीज में यह बताया गया है कि क्रेटॉन्स 250 करोड़ साल पहले समुद्र के अंदर से बाहर निकल आए. लेकिन अब नई स्टडी में यह कहा जा रहा है पृथ्वी के पहले कॉन्टीनेंट्स करीब 100 से 110 करोड़ साल पहले बना था. यह प्रक्रिया 340 करोड़ साल पहले से शुरु हुई थी.


    वैज्ञानिकों को हाल ही में अवसादी चट्टानों यानी सेडीमेंट्री रॉक्स (Sedimentary Rocks) की परत मिली है. ये परत छोटे-छोटे पत्थरों के टूटकर मिलने से बनती है. इस परत की उम्र पता करने पर यह पता चला कि ये पहले महाद्वीप के बनने से कई करोड़ साल पहले बनी थी. यानी समुद्र के नीचे से पहला महाद्वीप 100 से 110 करोड़ साल पहले निकला था. वैज्ञानिक इस बात से सहमत थे कि क्रेटॉन्स (Cratons) समुद्र के अंदर से करीब 300 करोड़ साल पहले निकला था. लेकिन उसकी पुष्टि अब इस नई परत की खोज के बाद.

    इल्या बिंडमैन ने बताया कि उस समय के महाद्वीप के नीचे आज के समय जैसे टेक्टोनिक प्लेट नहीं थे. ये परतें धरती के क्रस्ट पर ही तैर रही थीं. यह नई स्टडी हाल ही प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज (PNAS) में प्रकाशित हुई है. इस स्टडी को करने वाले वैज्ञानिकों ने इस परत का अध्ययन भारत के पूर्वी इलाके में स्थित सिंहभूम क्रेटॉन्स (Singhbhum Cratons) का अध्ययन किया. सिंहभूम क्रेटॉन दुनिया के पहले महाद्वीप का हिस्सा था.

    ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न स्थित मोनाश यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ अर्थ, एटमॉस्फेयर एंड एनवायरमेंट के पोस्टडॉक्टोरल रिसर्च फेलो प्रियदर्शी चौधरी ने बताया कि सिंहभूम क्रेटॉन्स (Singhbhum Cratons) के सेडीमेंट्री परत की जांच करने के बाद हमें उसकी असली उम्र का पता चला. साथ ही हमनें यह भी अध्ययन किया कि इसका निर्माण कैसे हुआ. जब हमने सभी सेडिमेंट्री रॉक्स के पॉकेट्स को आपस में जोड़ा तो पता चला कि ये एकसाथ बना था. जिसके किनारे कोई नदी या समुद्र तट था.

    प्रियदर्शी चौधरी ने बताया कि ये क्रेटॉन्स हवा और पानी की मार एकसाथ बर्दाश्त कर रहे थे. जिसकी वजह से उनकी परत बनती चली गई. हमने परतों की उम्र पता करने के लिए उसमें मौजूद छोटे क्रिस्टल्स की स्टडी की. जिन्हें जिरकॉन्स (Zircons) कहते हैं. इसके अंदर रेडियोएक्टिव यूरेनियम की मात्रा भी होती है. पत्थरों से जिरकॉन निकालना एक बेहद जटिल प्रक्रिया है. ये वैसा ही है जैसे घास के ढेर में से सुई खोजना. लेकिन हमनें जिरकॉन खोजकर उसकी स्टडी को तो हैरान रह गए.

    जब वैज्ञानिकों ने जिरकॉन्स को लेजर के नीचे रखा तो उसका रसायनिक मिश्रण पता चला. इसे मास स्पेक्ट्रोमेट्री (Mass Spectrometry) कहते हैं. यूरेनियम के खत्म होने की प्रक्रिया से उसकी सही उम्र का पता चल जाता है. इससे हमने इस परत की सही उम्र पता की. सिंहभूम क्रेटॉन्स (Singhbhum Cratons) की सही उम्र 320 करोड़ से लेकर 330 करोड़ साल के बीच है. यानी धरती का पहला महाद्वीप इसी समय के आसपास समुद्र से बाहर आया था.

    प्रियदर्शी समेत अन्य वैज्ञानिक इस बात से हैरान है कि आखिरकार सिंहभूम क्रेटॉन्स (Singhbhum Cratons) समुद्र के अंदर से बाहर कैसे आया. आखिर वो कौन सी ताकत थी, जिसने इस महाद्वीप को बाहर आने पर मजबूर कर दिया. यह जानने के लिए वैज्ञानिकों की टीम ने आग्नेय पत्थरों यानी इग्नीयस रॉक्स (Igneous Rocks) का विश्लेषण किया. यह पत्थर आमतौर पर धरती के अंदर मौजूद गर्म मैग्मा के जमने से बनता है. ये क्रेटॉन्स के सेडिमेंट्री परत के नीचे मौजूद होता है.

    इग्नीयस रॉक्स का रसायनिक मिश्रण ये बताता है कि वह किस समय और कितने तापमान पर बना था. ऐसा क्या हुआ जिसकी वजह से ये पत्थर जमीन के अंदर से निकल कर बाहर की ओर आए. स्टडी में जानकारी मिली की समुद्री की तलहटी से गर्म मैग्मा और उससे निकलने वाले दबाव की वजह से क्रेटॉन्स जमने लगे. अंदरूनी ताकत मिलने की वजह से ये बाहर की ओर उठते चले गए. सबसे ऊपर सिलिका जैसे हल्के धातु आए. उसके बाद हल्की मिट्टी फिर सेडिमेंट्री रॉक्स आदि.

    सिंहभूम क्रेटॉन्स (Singhbhum Cratons) के साथ ही दक्षिण अफ्रीका का कापवल क्रेटॉन (Kaapval Craton) और ऑस्ट्रेलिया का पिलबरा क्रेटॉन (Pilbara Craton) बना था. ये तीनों क्रेटॉन एकसाथ समुद्र से बाहर आए थे. इनकी उम्र 300 करोड़ साल से भी ज्यादा है. हालांकि यह बात नहीं पता चल पाई कि कौन सी जमीन का टुकड़ा कब निकला, या किस टुकड़े से पहले निकला.

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