श्रीनगर (Srinagar)। जम्मू-कश्मीर प्रशासन (J&K) ने 90 के दशक में हुई कश्मीरी पंडितों की हत्याओं (killings of kashmiri pandits) की फिर जांच कराने का फैसला किया है। जम्मू-कश्मीर राज्य जांच एजेंसी (SIA) द्वारा मामले फिर खोले जा रहे हैं। कश्मीरी पंडितों की हत्याओं के मामलों में से सबसे पहले जस्टिस नीलकंठ गंजू की हत्या के मामले को खोला गया है। इसके लिए पुलिस ने सुराग के लिए जनता से मदद मांगी है।
मिली जानकारी के अनुसार, जम्मू-कश्मीर पुलिस की राज्य जांच एजेंसी (एसआईए) ने सेवानिवृत्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश नीलकंठ गंजू की हत्या के मामले में लोगों से मदद मांगी है। उनकी 33 साल पहले श्रीनगर के एक बाजार में आतंकवादियों ने हत्या कर दी थी।
एसआईए की एक अपील में कहा गया है, “तीन दशक पहले सेवानिवृत्त सत्र न्यायाधीश, नीलकंठ गंजू की हत्या के पीछे की साजिश का पता लगाने के लिए, राज्य जांच एजेंसी (एसआईए) हत्या मामले के तथ्यों या परिस्थितियों से परिचित सभी व्यक्तियों से अपील करती है कि वे आगे आएं और घटना का विवरण साझा करें।
सेवानिवृत्त सत्र न्यायाधीश गंजू की 4 नवंबर, 1989 को जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के तीन आतंकवादियों ने दिनदहाड़े हत्या कर दी थी. वह दूसरे प्रमुख कश्मीरी पंडित थे, जिन्हें 14 सितंबर 1989 को भाजपा उपाध्यक्ष जम्मू-कश्मीर टीका लाल टपलू की हत्या के बाद आतंकवादियों ने मार डाला था।
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