उज्जैन। कक्षा 5वीं और 8वीं बोर्ड का रिजल्ट 2 दिन पहले आया और रिजल्ट में उज्जैन 52 जिलों में 51 नंबर पर आया। इसके बाद कल दिनभर बवाल मचा। अशासकीय स्कूलों के संचालकों ने मंत्री से लेकर संयुक्त संचालक शिक्षा और विधायकों को ज्ञापन दिया तथा खराब रिजल्ट के संबंध में जाँच कराने को कहा। कल पांचवीं और आठवीं कक्षा का रिजल्ट जब ओपन हुआ तो पूरे प्रदेश में 45 लाख बच्चे फेल हो गए हैं, वहीं उज्जैन शहर में 78 स्कूल ऐसे हैं जहाँ एक भी विद्यार्थी पास नहीं हुआ है, इनमें 58 स्कूल निजी है और 20 स्कूल सरकारी है। जब इतने स्कूलों में विद्यार्थी पास नहीं हुआ तो शासकीय स्कूल के लोग तो जाँच में लग गए लेकिन निजी स्कूल के संचालकों ने कल इक_े होकर उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव और कलेक्टर तथा संयुक्त संचालक शिक्षा रविंद्र सिंह को ज्ञापन दिया है। इस संबंध में जब संयुक्त संचालक शिक्षा श्री सिंह से चर्चा की गई तो उनका कहना था कि डीपीसी से रिपोर्ट मंगाई है। रिपोर्ट आते ही उसे भोपाल भेजा जाएगा और वहाँ से राज्य शिक्षा केंद्र से जो भी निर्देश होंगे उसके अनुसार जाँच कराई जाएगी। पांचवीं-आठवीं की बोर्ड परीक्षा तकरीबन 13 साल बाद शुरू की गई थी। इसके पीछे राज्य शिक्षा केंद्र बच्चों के शैक्षणिक गुणवत्ता को निखारना चाहता था, साथ ही यह भी आदेश दिया गया कि सभी 24 लाख बच्चों के परिणाम एक साथ जारी किए जाएंगे। 2 सप्ताह की देरी से 15 मई को शिक्षा मंत्री इंदरसिंह परमार ने भोपाल में परीक्षा परिणाम जारी किया। सर्वर पर एक साथ लोड बढऩे से वह क्रश हो गया, जिसके कारण आधे छात्र भी अपना परिणाम नहीं देख पाए। स्कूल और बीआरसी स्तर पर शिक्षक ऑनलाइन मार्कशीट अपलोड कर रहे हैं तो मार्कशीट में भी बड़ी गलतियां सामने आ रही हैं। अधिकतर मार्कशीट में विषय और अंक के स्थान पर जीरो जीरो या डॉट डॉट तो कुछ छात्र अनुपस्थित भी नजर आ रहे हैं।
शुरुआत से ही गलतियां
उत्तरपुस्तिकाओं के मूल्यांकन के समय सर्वर डाउन होने के कारण शिक्षक पोर्टल पर अंक दर्ज करने की समस्याओं से उलझे रहे। शिक्षकों ने आपत्ति दर्ज भी कराई, लेकिन इसको गंभीरता से नहीं लिया गया। अब ऑनलाइन मार्कशीट ठीक से तैयार नहीं हो पाई।
संख्या ज्यादा, तैयारियां कमजोर
राज्य शिक्षा केंद्र 24 लाख बच्चों की बहुत बड़ी संख्या उत्तरपुस्तिकाओं के मूल्यांकन अंक ऑनलाइन दर्ज कराने की तैयारियां भी कमजोर रही। इसके साथ ही इतनी बड़ी संख्या में पहली बार ऑनलाइन मार्कशीट बिना तैयारी के जारी करने का खामियाजा छात्रों को उठाना पड़ रहा है। विभाग की किरकिरी भी हुई है। कुल मिलाकर बिना तैयारी के शिक्षा विभाग का यह कदम छात्रों पर भारी पड़ा है।
पंवासा के स्कूल में 150 विद्यार्थी, 24 शिक्षक सब फेल
मक्सी रोड पंवासा का एक स्कूल है जिसमें प्राथमिक और माध्यमिक के 150 बच्चे अध्ययनरत हैं। इस स्कूल में 24 शिक्षक पढ़ाने के लिए तैनात हैं। यहाँ एक भी विद्यार्थी पास नहीं हुआ है। ऐसे में शिक्षकों पर प्रश्न उठ रहे हैं। सभी शिक्षकों ने जाँच कराने की बात कही है। शिक्षकों का कहना है कि रिजल्ट में ही गड़बड़ी है। सभी बच्चे फेल हो जाए ऐसा नहीं हो सकता है, क्योंकि एक बच्चे को अंग्रेजी एवं अन्य विषय में 21-21 नंबर एक जैसे आए हैं और तीन विषय में 11 नंबर ही आया है। ऐसा कैसे संभव हो सकता है कि एक जैसे ही नंबर बच्चे को आए।
मौजमखेड़ी के शिक्षक रिजल्ट देखकर रो दिए
मौजमखेड़ी के शासकीय प्राथमिक स्कूल में मात्र 7 बच्चे हैं और 2 शिक्षक हैं। वहाँ भी सब बच्चे फेल हो गए हैं। जब कल शिक्षक जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय आए तो रिजल्ट को देखकर भी रो दिए। उन्होंने कहा कि मैं तो पूरे साल समय से स्कूल जाता हूँ और सब बच्चों को ठीक ढंग से पढ़ाता हँू। इसके बाद भी यदि ऐसा रिजल्ट आया तो इसकी जाँच कराई जाए और यदि हमारा दोष साबित हो तो हम पर शासन जो भी चाहे कार्रवाई कर सकता है।
तकनीकी खामी भी हो सकती है रिजल्ट में
इस बार उज्जैन शहर की पांचवीं और आठवीं की कापियाँ मंदसौर जिले में जाँचने के लिए भेजी गई थी और इस बार 2 दिन पहले शिक्षकों को बताया कि उन्हें मोबाइल और लैपटाप पर ही नंबर चढ़ाने हैं। ऐसे में जो शिक्षक प्रशिक्षित नहीं थे उन्होंने अपने हिसाब से नंबर चढ़ाएं और बताया जाता है कि जहाँ नंबर जोडऩे थे वहाँ उन्होंने सेव आप्शन कर दिया होगा तो प्रश्नों के नंबर नहीं जुड़े होंगे, यह भी तकनीक की कमी ही हो सकती है। अब सभी तकनीकी खामी की जाँच तो भोपाल के आदेश पर ही होगी। तभी पता चल पाएगा कि दोष तकनीक का है या शिक्षकों का या फिर विद्यार्थियों का। जाँच के बाद सब दूध का दूध और पानी का पानी होगा।
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