नई दिल्ली: पंजाब के बाद अब पश्चिम बंगाल ने भी सीमा सुरक्षा बल (BSF) के अधिकार क्षेत्र को बढ़ाने के केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव पारित किया है. मंगलवार को पश्चिम बंगाल विधानसभा में BSF के अधिकार क्षेत्र को बढ़ाए जाने के फैसले के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया गया.
केंद्र सरकार के फैसले के मुताबिक सीमा से सटे राज्यों में BSF के अधिकार क्षेत्र को बढ़ाया गया है, जिसके तहत अब BSF अंतरराष्ट्रीय सीमा के भीतर 15 किलो मीटर की जगह 50 किलो मीटर तक के इलाके में एक्शन कर सकती है. हालांकि केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद सीमा से सटे उन राज्यों की सरकारों ने विरोध किया, जहां खासतौर से गैर बीजेपी शासित सरकारें हैं.
इनमें पंजाब और पश्चिम बंगाल ने प्रमुखता से विरोध किया. केंद्र के इस फैसले के खिलाफ सबसे पहले पंजाब ने प्रस्ताव पारित किया. पंजाब विधानसभा में सर्वसम्मति से गुरुवार को BSF के अधिकार क्षेत्र को बढ़ाए जाने के फैसले के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया. अब केंद्र के इस फैसले के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने वालों की लिस्ट में पश्चिम बंगाल का नाम भी जुड़ गया है.
पंजाब ने पारित किया था प्रस्ताव
पंजाब ने गुरुवार को सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित कर बीएसएफ का अधिकार क्षेत्र बढ़ाने के केंद्र के आदेश को खारिज कर दिया. सदन में मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया था और कहा कि शिरोमणि अकाली दल ने हमेशा राजनीति के संकीर्ण चश्मे से सब कुछ देखा. उन्होंने केंद्र के इस फैसले को राज्य के अधिकार में हस्तक्षेप बताया था.
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने किया था केंद्र का समर्थन
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने BSF का अधिकार क्षेत्र बढ़ाने का समर्थन किया था. सीएम चन्नी के बयान को लेकर उन्होंने कहा था कि सीमाओं पर कुछ बहुत ही गलत और खतरनाक हो रहा है, जिसे राज्य नजरअंदाज नहीं कर सकता. उन्होंने आगे कहा था कि बीएसएफ पंजाब प्रशासन को नहीं संभालने जा रहा, न ही उसे गोल्डन टेंपल में तैनात किया जा रहा है.
उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) और खालिस्तानी बलों के स्लीपर सेल परेशानी पैदा कर रहे हैं और तकनीक अधिक उन्नत हो रही है. “बढ़ते पेलोड वाले ड्रोन पाकिस्तान से आ रहे हैं और ड्रग्स, हथियार और विस्फोटक की तस्करी कर रहे हैं. ड्रोन की क्षमता और सीमा बढ़ रही है, पहले वे सीमा से सिर्फ 5-6 किमी तक आते थे, अब वे 31 किमी तक पहुंच जाते हैं.”
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