भोपाल। प्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार और फेरबदल की अटकलों के बीच खबर है कि विधानसभा उपचुनाव हर चुके दो मंत्री इमरती देवी और गिर्राज दंडोतिया ने इस्तीफा देने का ऐलान जरूर किया है, लेकिन दोनों अभी भी मंत्री है। राज्य सरकार ने अभी तक दोनों के त्याग पत्र मंजूरी के लिए राजभवन ही नहीं भेजे हैं। ऐसे में दोनों नेता बिना विधायक के मंत्री बने रहने का अधिकतम छह महीने का कार्यकाल पूरा करेंगे। जबकि विधानसभा चुनाव में हार के तत्काल बाद मंत्री पद छोड़ चुके ऐंदल सिंह कंषाना का राज्यपाल ने 11 नवंबर से इस्तीफा स्वीकार कर लिया है। सामान्य प्रशासन विभाग ने कंषाना के इस्तीफे का नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 23 मार्च को पद की शपथ ली थी। इसके बाद उन्होंने 21 अप्रैल को पांच मंत्रियों को शपथ दिलाई थी। जिसमें सिंधिया खेमे के दो मंत्री तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत शामिल थे। उपचुनाव से पहले गोविंद सिंह राजपूत और तुलसी सिलावट का बिना विधायक के मंत्री बने रहने का छह महीने का कार्यकाल 20 अक्टूबर को पूरा हो चुका था। उपचुनाव के बीच दोनों मंत्री इस्तीफा दे चुके हैं। जबकि शिवराज सिंह चौहान ने 2 जुलाई को अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया था। जिसमें कांग्रेस से भाजपा में आए 12 पूर्व विधायकों को मंत्री बनाया गया था। जिसमें इमरती देवी, ऐंदल सिंह कंषाना और गिर्राज दंडोतिया भी शामिल थे। 3 नवंबर को उपचुनाव में तीनों मंत्री हर गए। 10 नवंबर केा चुनाव परिणाम के तत्काल बाद पीएचई मंत्री ऐंंदल सिंह कंंषाना ने इस्तीफा मुख्यमंत्री को भेज दिया था। मुख्यमंत्री की सिफारिश पर राज्यपाल आनंदीवेन ने 11 नवंबर से कंषाना का इस्तीफा स्वीकार कर लिया और उसकी अधिसूचना भी जारी कर दी है। जबकि इमरती देवी और गिर्राज दंडोतिया ने मंत्री पद से इस्तीफा देने का ऐलान किया है, उनका इस्तीफा अभी सार्वजनिक भी नहीं हुआ है। न ही सरकार ने दोनों मंत्रियों के इस्तीफा को लेकर कोई प्रतिक्रिया दी है। इस्तीफा के बाद मुख्यमत्री की ओर से मंजूरी के लिए मंत्रियों के त्याग पत्र राज्यपाल के पास भेजे जाते हैं। इमरती और गिर्राज दंडोतिया के इस्तीफा अभी राजभवन नहीं पहुंचे हैं। ऐसे में इमरती देवी अभी भी महिला एवं बाल विकास विभाग और गिर्राज दंडोतिया कृषि विभाग के राज्यमंत्री हैं।
1 जनवरी के बाद नहीं रहेेंगे मंत्री
इमरती और गिर्राज 1 जनवरी 2021 के बाद मंत्री नहीं रहेंगे। इसके बाद उनका कार्यकाल स्वत : समाप्त हो जाएगा। इस बीच संभावना है कि सरकार की ओर से औपचारिक मंजूरी के लिए राज्यपाल को त्याग पत्र भेजे जा सकते हैं।
बंगला खाली कराने वाले अधिकारी का तबादला
इमरती देवी के पास ग्वालियर में भी सरकारी बंगला है। पिछले हफ्ते ग्वालियर के कार्यपालन यंत्री ओमहरि शर्मा ने भोपाल के निर्देश पर मंत्री इमरती देवी बंगला खाली करने का नोटिस थमा दिया था। मामला जब भोपाल तक पहुंचा तो नोटिस देने वाले पीडब्ल्यूडी विभाग के कार्यपालन यंत्री ओमहरि शर्मा की शासन ने ग्वालियर से भोपाल रवानगी डलवा दी। जब तक इस्तीफा स्वीकार नहीं हो जाता है तब तक इमरती देवी के पास महिला एवं बाल विकास मंत्री का पद रहेगा, लेकिन पीडब्ल्यूडी के कार्यपालन यंत्री ने दो दिसंबर को नोटिस जारी कर बंगला क्रमांक 44 ए खाली करने के लिए कहा था। नोटिस में लिखा गया है कि मंत्री पद के कार्यकाल की अवधि तक के लिए आपको बंगला क्रमांक 44 ए आवंटित किया गया था, लेकिन वर्तमान में आपके पास कोई पद नहीं होने के कारण आवास को खाली कर लोकनिर्माण विभाग को इसका आधिपत्य सौंपें। इस आदेश को पढ़कर मंत्री इमरती देवी काफी नाराज हुई थीं। साथ ही उन्होंने इसकी शिकायत सीएम शिवराज सिंह चौहान से की थी।
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