नई दिल्ली. जनता दल यूनाइटेड (JDU) के वरिष्ठ नेता (Senior Leaders) के सी त्यागी (KC Tyagi) ने हाल ही में निजी कारणों का हवाला देते हुए पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता (national spokesperson) पद से इस्तीफा (resigns) दे दिया है. त्यागी के इस्तीफे के बाद, राजीव रंजन (Rajiv Ranjan) को जेडीयू का नया राष्ट्रीय प्रवक्ता नियुक्त किया गया है. पार्टी के महासचिव आफाक अहमद खान ने एक पत्र जारी कर इस बदलाव की जानकारी दी. हालांकि, केसी त्यागी के इस्तीफे के पीछे कई और कारण छिपे हुए हैं, जिनमें उनके बयानों के कारण पार्टी के भीतर और बाहर उत्पन्न हुए मतभेद शामिल हैं.
बयानों के कारण पार्टी में असंतोष
केसी त्यागी, जो जेडीयू के एक लंबे समय से प्रमुख चेहरा रहे हैं, ने पिछले कुछ समय में कई ऐसे बयान दिए जो पार्टी की आधिकारिक लाइन से अलग थे. उन्होंने कई मौकों पर पार्टी नेतृत्व या अन्य वरिष्ठ नेताओं से परामर्श किए बिना बयान जारी किए. इस कारण पार्टी के भीतर असंतोष की स्थिति उत्पन्न हो गई और यह स्थिति धीरे-धीरे गंभीर हो गई.
एनडीए में मतभेद की खबरें भी बनीं वजह
त्यागी के बयानों के कारण सिर्फ जेडीयू ही नहीं, बल्कि एनडीए के भीतर भी मतभेद की खबरें सामने आईं. खासकर विदेश नीति के मुद्दे पर, उन्होंने इंडिया गठबंधन के नेताओं के साथ सुर मिलाते हुए इज़राइल को हथियारों की आपूर्ति रोकने के लिए एक साझा बयान पर हस्ताक्षर कर दिए. यह कदम जेडीयू नेतृत्व को असहज करने वाला था और इससे पार्टी के भीतर और बाहर विवाद बढ़ गया.
विवादित बयान: एससी/एसटी आरक्षण और लेटरल एंट्री
इसके अलावा, त्यागी ने एससी/एसटी आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले पर बिना पार्टी से चर्चा किए बयान जारी कर दिया, जो पार्टी नेतृत्व को नागवार गुज़रा. इसी तरह, लेटरल एंट्री के मुद्दे पर भी उन्होंने अपनी व्यक्तिगत राय को पार्टी की आधिकारिक राय के रूप में पेश किया.
नेतृत्व पर सवाल
त्यागी ने कई बार अपने निजी विचारों को पार्टी के विचारों के रूप में प्रस्तुत किया, जिससे पार्टी की छवि और नेतृत्व पर सवाल उठने लगे. यह स्थिति पार्टी के लिए असहज हो गई और अंततः जेडीयू नेतृत्व ने त्यागी के इस्तीफे को स्वीकार करने का निर्णय लिया.
राजीव रंजन को मिली जिम्मेदारी
त्यागी के इस्तीफे के बाद, राजीव रंजन को जेडीयू का नया राष्ट्रीय प्रवक्ता नियुक्त किया गया है. पार्टी के महासचिव आफाक अहमद खान ने एक पत्र जारी कर इस बदलाव की जानकारी दी.
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि के सी त्यागी की विदाई से जेडीयू में अंदरूनी मतभेदों की स्थिति को कम करने का प्रयास किया गया है, ताकि पार्टी एकजुट होकर आगे बढ़ सके. त्यागी के इस्तीफे के बाद पार्टी की आगे की रणनीति पर सभी की नज़रें टिकी रहेंगी.
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