जबलपुर। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) को 27 फीसदी आरक्षण पर रोक को बरकरार रखा है। जबलपुर स्थित उच्च न्यायालय (High Court) की मुख्य खंडपीठ (main bench) ने मंगलवार को सुनवाई के दौरान यह भी साफ कर दिया है कि फिलहाल राज्य में अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण 14 फीसदी ही रहेगा। अदालत ने मामले में अगली सुनवाई के लिए 01 सितम्बर की तारीख निर्धारित की है।
गौरतलब है कि मध्यप्रदेश में पूर्ववर्ती कांग्रेस की कमलनाथ सरकार (Kamalnath Government) द्वारा ओबीसी वर्ग के आरक्षण को 14 से बढ़ाकर 27 फीसदी कर दिया गया था। राज्य सरकार के इस फैसले के खिलाफ जबलपुर और भोपाल के अनारक्षित विद्यार्थियों द्वारा उच्च न्यायालय में जनहित याचिकाएं दायर की गई थीं। बढ़े हुए आरक्षण के खिलाफ दायर की गई याचिकाओं में कहा गया था कि आरक्षण 50 फीसदी से ज्यादा नहीं होना चाहिए, लेकिन 27 फीसदी आरक्षण के बाद इसका दायरा 63 फीसदी तक चला जाएगा। इन याचिकाओं पर उच्च न्यायालय में लगातार सुनवाई हुई। इस दौरान सभी पक्षों के बीच जोरदार बहस हुई।
मुख्य न्यायमूर्ति मोहम्मद रफीक व जस्टिस विजय शुक्ला की युगलपीठ द्वारा पूर्व में 19 मार्च 2019 और 31 जनवरी 2020 को जारी अंतरिम आदेशों को मॉडिफाइड करते हुए व्यवस्था दी थी कि ओबीसी की समस्त भर्ती प्रक्रिया 14 फीसदी आरक्षण के हिसाब से की जाएं और ओबीसी का 13 फीसदी आरक्षण रिजर्व रखा जाए।
उच्च न्यायालय में ओबीसी वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण देने के खिलाफ कुल 31 याचिकाएं लगी थीं, जबकि ओबीसी के छात्र-छात्राओं सहित अपाक्स संगठन, ओबीसी एडवोकेट वेलफेयर एसोसिएशन, पिछड़ा वर्ग संयुक्त मोर्चा, ओबीसी एससी एसटी एकता मंच आदि कई सामाजिक संगठनों की ओर से हस्तक्षेप याचिका दायर की गई थीं। मंगलवार को सभी याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई हुई। इस दौरान राज्य सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता पुरुषेन्द्र कौरव ने कहा कि प्रदेश में ओबीसी वर्ग की आर्थिक-सामाजिक स्थिति और उनकी बड़ी आबादी को देखते हुए ओबीसी आरक्षण बढ़ाना जरूरी है। वहीं, याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि उच्चतम न्यायालय के फैसले के मुताबिक किसी भी स्थिति में आरक्षण 50 फीसदी से ज्यादा नहीं हो सकता।
सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद उच्च न्यायालय द्वारा ओबीसी के लिए 27 फीसदी आरक्षण पर रोक को बरकरार रखा गया। इसके साथ ही यह भी साफ कर दिया कि फिलहाल ओबीसी वर्ग को पहले की तरह 14 फीसदी आरक्षण ही दिया जा सकेगा। अब मामले में सभी याचिकाओं पर अगली सुनवाई 01 सितम्बर को होगी। अदालत ने किसी भी तरह का अंतरिम आदेश जारी करने से इनकार करते हुए कहा कि सभी याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई करने के बाद फैसला लेंगे। अदालत ने पक्षकारों के वकीलों को निर्देश जारी कर अगली सुनवाई में फिजिकल हियरिंग के लिए मौजूद रहने को कहा है।
वहीं, याचिकाकर्ताओं के वकील अधिवक्ता आदित्य संघी का कहना है कि अब विवाद का पटाक्षेप हो गया है। नियमानुसार 50 फीसदी से अधिक कुल आरक्षण अवैधानिक है। सुप्रीम कोर्ट का भी न्यायदृष्टांत है। इसीलिये हाई कोर्ट ने समस्या हल कर दी।
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