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    राजस्‍थान में फिर भड़की आरक्षण की आग: NH-21 पर किया चक्का जाम

  • June 14, 2022

    भरतपुर । राजस्थान में एक बार फिर आरक्षण की मांग (Reservation demand) को लेकर आंदोलन शुरू हो गया है। माली, कुशवाहा शाक्य और मौर्य समाज (Kushwaha Shakya and Maurya Samaj) ने राजस्थान में अलग से 12% आरक्षण देने की मांग की है। इसी को लेकर भरतपुर में नेशनल हाईवे-21 (आगरा-जयपुर) को लाठियों के साथ सैकड़ों लोगों ने जाम कर दिया है।
    बता दें कि जिले के अरोदा गांव पर माली, सैनी, कुशवाहा शाक्य, मौर्य समाज का चक्का जाम सोमवार को दूसरे दिन भी जारी है। रविवार शाम छह बजे से आंदोलनकारी हाइवे पर बैठे हैं। इसे देखते हुए नदबई, वैर, भुसावर, उच्चैन कस्बों में इंटरनेट सेवा को बंद कर दिया गया है। अभी तक सरकार का कोई प्रतिनिधि आंदोलनकारियों से बात करने अरोदा नहीं पहुंचा है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि हम प्रशासनिक स्तर पर बात नहीं करेंगे।

    संभागीय आयुक्त ने आदेश जारी करते हुए बताया है कि माली, सैनी, कुशवाहा शाक्य, मौर्य समाज की ओर से 12 प्रतिशत आरक्षण की मांग की गई है। इसे लेकर नेशनल हाईवे-21 जाम कर दिया गया है। जयपुर-आगरा यातायात बाधित हो गया है। शांति और कानून व्यवस्था को बिगड़ने की संभावना को देखते हुए इंटरनेट और ब्रॉडबैंड की सेवाओं पर रोक लगाई गई है। हालात देखते हुए सोशल मीडिया के जरिए जिले की कानून व्यवस्था को ख़राब किया जा सकता है। इसलिए नदबई, वैर भुसावर और उच्चैन तहसीलों में इंटरनेट सेवा बंद की गई है। यह इंटरनेट 13 जून सुबह 11 बजे से 14 जून सुबह 11 बजे तक बंद रहेगा।

    आरक्षण संघर्ष समिति के संरक्षक लक्ष्मण सिंह कुशवाहा ने बताया कि समाज के लोग संविधान के तहत आरक्षण की डिमांड कर रहे हैं। संविधान के अनुच्छेद संख्या 16 (4) में व्यवस्था दी गई है। वे जातियां जो अति पिछड़ी हुईं हैं, उन्हें राज्य सरकार अपने स्तर पर आरक्षण दे सकती है। इसका केंद्र से कोई मतलब नहीं है। आज समाज में न तो कोई आईएएस अधिकारी है और न आरएएस अधिकारी है। इसमें से काची समाज अति पिछड़े में आता है। काची समाज की जनसंख्या 12 प्रतिशत है इसलिए हम जनसंख्या के आधार पर आरक्षण मांग रहे हैं। इसको लेकर मुख्यमंत्री से मिल चुके हैं। मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया था कि इस पर विचार किया जाएगा। लेकिन आज तक कोई विचार नहीं किया। जिसके बाद मजबूर होकर समाज के लोगों ने चक्का जाम किया है।



    रविवार शाम से हजारों की संख्या में समाज के लोग हाईवे पर जाम लगाकर डटे रहे। जिला प्रशासन ने समाज के प्रतिनिधियों से बात करने का प्रयास किया, लेकिन समाज के लोगों ने वार्ता करने से इनकार कर दिया। रविवार रात भी सैकड़ों की संख्या में आंदोलनकारी हाईवे पर जमे रहे। आंदोलनकारियों ने रात का खाना भी हाईवे पर किया। इसके बाद हाईवे पर गद्दे बिछाकर सुबह तक डटे रहे। सुबह से ही आंदोलनकारियों की संख्या फिर से बढ़ने लग गई। पुलिस प्रशासन ने मौके पर पुलिस जाप्ता लगा रखा है। संघर्ष समिति के संयोजक मुरारीलाल सैनी ने बताया कि अब तक प्रदेश के 33 जिला कलेक्टर को ज्ञापन दिया गया, एसडीएम को ज्ञापन दिया गया, 4500 से अधिक गांव में नुक्कड़ सभाएं की गई लेकिन उनकी मांग किसी ने नहीं सुनी। आखिर में उन्हें महापंचायत और हाईवे जाम करने का निर्णय लेना पड़ा है।

    समाज के प्रतिनिधियों का कहना है कि प्रदेश में माली समाज की 15 फीसदी (करीब 1 करोड़) जनसंख्या है. लेकिन माली समाज शैक्षिक, आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक दृष्टि से सबसे पिछड़ा हुआ है। इसलिए राजस्थान सरकार समाज को 12 फीसदी आरक्षण सहित प्रदेश के हर शहर और कस्बे में सब्जी ठेले वालों को स्थाई जगह दें। महात्मा फुले बागवानी बोर्ड का गठन किया जाए। महात्मा फुले दंपती के नाम से विश्वविद्यालयों में शोध केंद्रों की स्थापना की जाए। महात्मा फुले जयंती पर राजकीय अवकाश घोषित करने के साथ भारतीय सेना में सैनिक रजिमेंट का गठन किया जाए। एजेंसी

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