लंदन । ब्रिटेन में बिना परीक्षा के ग्रेडिंग के जरिए छात्रों को उत्तीर्ण करने के तरीके ने बवाल खड़ा कर दिया। हजारों छात्र-छात्राओं और उनके अभिभावकों ने इस प्रक्रिया में भेदभाव होने का आरोप लगाया । उन्होंने कहा है कि उन्हें योग्यता से कम करके आंका गया, जिसका असर उनके भविष्य पर पड़ेगा। इसके बाद बोरिस जॉनसन सरकार ने अपने निर्णय को लेकर पैर पीछे खींचते हुए कहा कि कंप्यूटर के जरिये ग्रेडिंग किए जाने से गड़बड़ी हुई शिकायतें पैदा हुईं। अब कार्य अध्यापक करेंगे और न्याय करेंगे।
बतादें कि ब्रिटेन में कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते मार्च से ही स्कूल-कॉलेज बंद हैं। इसके चलते पढ़ाई न होने से परीक्षा न कराने का निर्णय लिया गया और छात्रों का समय खराब न हो, इसके लिए ग्रेड देकर उन्हें पास करने का फैसला किया गया। यह ग्रेडिंग कुछ मानकों के आधार पर की गई। ग्रेडिंग के लिए छात्रों की पढ़ाई के पूर्व प्रदर्शन को मुख्य आधार बनाया गया और उसी के लिहाज से कंप्यूटर ने नतीजे दे दिए। इसके चलते छोटे स्थानों और स्कूलों से आए तमाम प्रतिभाशाली छात्रों को अपना नुकसान हुआ।
इस संबंध में पश्चिमी लंदन के मारलो इलाके के एक स्कूल की प्रधानाध्यापिका के माउंटफील्ड बताया कि नए सिस्टम के चलते उनके 85 प्रतिशत छात्रों के उम्मीद से नीचे ग्रेड आए। वे इससे परेशान हुए। उनमें से 70 प्रतिशत अब मनपसंद विश्वविद्यालय में पढ़ाई के लिए नहीं जा सकते हैं । पिछले हफ्ते स्कॉटलैंड में ऐसा ही विरोध खड़ा होने पर वहां की सरकार ने ग्रेडिंग सिस्टम से पैर पीछे खींच लिए थे और ग्रेडिंग का तरीका बदल दिया था। अब वैसा ही तरीका इंग्लैंड की सरकार ने अपनाया है।
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