सिडनी (Sydney)। अब कैंसर की दवा (Cancer medicine) से डायबिटीज का इलाज (Diabetes treatment) होगा। ऑस्ट्रेलिया (Australia) के बेकर हार्ट इंस्टीट्यूट (Baker Heart Institute) के वैज्ञानिक अपने शोध के दौरान पेंक्रियाटिक स्टेम कोशिकाओं (Pancreatic stem cells) में ऐसे बदलाव करने में कामयाब रहे। इसके बाद कोशिकाएं ज्यादा इंसुलिन पैदा करने लगीं। एक नेचर पत्रिका में छपे एक शोध पत्र के मुताबिक, शोधकर्ताओं ने रिसर्च में कैंसर की दो दवाओं का इस्तेमाल किया जो अमेरिका की खाद्य-दवा प्रशासन से मान्यता प्राप्त हैं। मोनाश यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक इस दिशा में पहले शोध कर चुके हैं, जिसे बेकर हार्ट के वैज्ञानिकों ने और आगे बढ़ाया है। वैज्ञानिकों का अगला कदम इस दवा का जानवरों पर परीक्षण होगा। लेकिन, बेकर इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिक सैम अल-ओस्ता ने कहा, यह इलाज, मनुष्यों व पशुओं दोनों के लिए फायदेमंद हो सकता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, विश्व में डायबिटीज के 42 करोड़ से ज्यादा मरीज हैं। इनमें से ज्यादातर गरीब देशों में हैं। हर वर्ष यह बीमारी 15 लाख से ज्यादा जानें लेती है। कुछ दशकों से मरीज लगातार बढ़ रहे हैं। डायबिटीज के मामले में भारत दुनिया के दस बड़े देशों में है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की 2022 की रिपोर्ट के अनुसार 95,600 लोगों को टाइप-1 डायबिटीज थी।
कैंसर की दवाओं ने किया काम
प्रोफेसर अल-ओस्ता ने बताया, शोध में वैज्ञानिकों ने टाइप-1 डायबिटीज के मरीजों के दान किए उत्तकों को एक प्लेट में रखा और उन पर कैंसर की दवाओं का इस्तेमाल किया। कुछ ही दिनों में वे इंसुलिन पैदा करने लगे। इनमें बच्चों व वयस्कों, दोनों के उत्तक शामिल थे। मोनाश यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने मरीज की बची हुई पेंक्रियाटिक कोशिकाओं को प्रभावित करने का तरीका खोजा है। इससे उनसे बीटा कोशिकाओं की तरह इंसुलिन पैदा किया जाएगा। अल-ओस्ता ने कहा, यह इलाज टाइप-1 डायबिटीज का रास्ता बदल कर हर वक्त इंसुलिन लेने की जरूरत खत्म कर सकता है।
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