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    3 हजार करोड़ के 200 इंदौरी प्रोजेक्ट रेरा ने अटकाए

  • April 16, 2022

    निर्माण सामग्री महंगी होने से लागत भी बढ़ी, बावजूद इसके अब भूखंडों के साथ निर्मित सम्पत्तियों की इस साल तेजी से बढ़ेगी मांग

    इंदौर। रियल इस्टेट कारोबार (real estate business) में फिलहाल तेजी है। और शासन को इंदौर से ही साढ़े 1800 करोड़ रुपए से अधिक की स्टाम्प ड्यूटी (stamp duty) हासिल हुई है। बावजूद इसके प्रदेश की रेरा अथॉरिटी (RERA Authority) प्रोजेक्टों की मंजूरी में अत्यंत ही सुस्त है और नित नए फरमान अलग बिल्डरों-कालोनाइजरों के लिए जारी कर दिए जाते हैं। 3 हजार करोड़ के 200 से अधिक इंदौर के प्रोजेक्ट मंजूरी के इंतजार में अटके पड़े हैं। रही-सही कसर सीमेंट, सरिया, रेती सहित अन्य निर्माण सामग्री में लगातार हो रही वृद्धि ने कर दी, वहीं स्थानीय स्तर पर भी आसानी से अनुमतियां नहीं मिलती।


    कोविड की दूसरी लहर के बाद इंदौर में एकाएक कच्ची जमीनों के भावों में रिकॉर्ड तेजी आई और धड़ाधड़ कालोनियां कटने लगी और डायरियों पर ही करोड़ों रुपए के भूखंड बेच डाले, वहीं 31 मार्च तक जमकर रजिस्ट्रियां भी हुईं और अब तक के सारे रिकॉर्ड भी धराशायी हो गए। मगर अब रियल इस्टेट जानकारों का मानना है कि भूखंड तो अत्यधिक संख्या में उपलब्ध हो गए हैं और कई किलोमीटर दूर तक जो प्रोजेक्ट लॉन्च किए गए उनमें बसाहट होने में अभी सालों लग जाएंगे। वहीं दूसरी तरफ निर्मित सम्पत्तियां यानी बहुमंजिला इमारतों के फ्लेट, रो-हाउस के प्रोजेक्ट नए आए ही नहीं और जितने भी निर्माणाधीन प्रोजेक्ट थे उनमें भी 90 फीसदी से अधिक माल की बुकिंग हो चुकी है। लिहाजा अब भूखंडों की तुलना में फ्लैट, रा-हाउस सहित निर्मित सम्पत्तियों की मांग में तेजी से इजाफा होगा, क्योंकि बड़ी संख्या में नए उद्योग-धंधे,  आईटी सहित अन्य कारणों से लोग इंदौर शिफ्ट हो रहे हैं। रियल इस्टेट कारोबारियों की अधिकृत संस्था क्रेडाई का तीन दिवसीय प्रॉपर्टी शो भी दो साल के बाद इस बार आयोजित किया गया है। लाभगंगा गार्डन में यह प्रॉपर्टी शो चल रहा है। क्रेडाई से जुड़े लोगों का कहना है कि एक तरफ निर्माण सामग्री अत्यधिक महंगी हो गई, जिसके चलते कॉस्टिंग काफी बढ़ गई है। वहीं दूसरी तरफ रेरा सहित स्थानीय स्तर पर भी आसानी से प्रोजेक्टों को मंजूरी नहीं मिलती। तीन हजार करोड़ रुपए से ज्यादा के 200 से अधिक इंदौरी प्रोजेक्ट ही रेरा में अटके पड़े हैं, जहां से नित नए प्रावधान और फरमान बिल्डर-कालोनाइजरों के लिए जारी कर दिए जाते हैं, जबकि रेरा एक्ट में 20 दिन में प्रोजेक्ट को मंजूरी दी जाना चाहिए। मगर किसी ना किसी बहाने या कारण से मंजूरी नहीं दी जाती है और बिना रेरा मंजूरी के बुकिंग रजिस्ट्री से लेकर अन्य कार्य भी नहीं किए जा सकते। प्रदेशभर में 500 से ज्यादा प्रोजेक्ट इसी तरह अटके पड़े हैं।

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