जयपुर (Jaipur) । राजस्थान (Rajasthan) में अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) समेत 29 मंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर है। इनमें से 18 मंत्री ऐसी है जो कांटे की टक्कर में फंसे हुए है। जबकि 6 मंत्रियों की राह मुश्किल में है। इस बार दो मंत्री चुनाव (Election) नहीं लड़ रहे। एक मंत्री का टिकट काट दिया गया है। जबकि एक मंत्री राजेंद्र गुढ़ ने कांग्रेस (Congress) छोड़ शिवसेना शिंदे गुट का दामन थाम लिया है। सियासी जानकारों का कहना है कि करौली जिले की सपोटरा से रमेश मीणा, बानसूर से शकुंतला रावत, लालसोट से परसादी लाल मीणा, सिकराय से ममता भूपेश, कोलायत से भंवर सिंह भाटी और भरतपुर से सुभाष गर्ग की राह आसान नहीं है। जबकि कैबिनेट मंत्री सुखराम विश्नोई, महेंद्रजीत सिंह मालवीय, अशोक चांदना, प्रताप सिंह खाचरियावास, प्रमोद जैन भाया और अलवर ग्रामीण से टीकाराम जूली की राह आसान दिखाई दे रही है। कैबिनेट मंत्री शांति धारीवाल, बृजेंद्र सिंह ओला , साले मोहम्मद, गोविंद मेघवाल, भजनलाल जाटव, उदयलाल आंजना और विश्वेंद्र सिंह कड़े मुकाबले में फंसे हुए है।
सत्ता विरोधी लहर का सामना
गहलोत को दो मंत्रियों कृषि मंत्री लालचंद कटारिया और वनमंत्री हेमाराम चौधरी चुनाव नहीं लड़ रहे है। जबकि जलदाय मंत्री महेश जोशी का टिकट काट दिया गया है। सैनिक कल्याण मंत्री राजेंद्र गुढ़ा ने कांग्रेस छोड़ दी है। सियासी जानकारों का कहना है कि भरतपुर से आने वाले तीन मंत्री विश्वेंद्र सिंह, सुभाष गर्ग और भजनलाल जाटव को सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ रहा है। महाराजा विश्वेंद्र सिंह डीग-कुम्हेर से चुनावी मैदान में है। बीजेपी ने एक बार फिर पूर्व मंत्री दिगंबर सिंह के बेटे शैलेश सिंह को टिकट दिया है। भरतपुर में बसपा का खासा प्रभाव है। ऐसे में सियासी जानकारों का कहना है कि तीनों मंत्रियों की राह में बसपा बाधा बन सकती है। भरतपुर शहर से गहलोत के करीबी मंत्री सुभाष गर्म के लिए बसपा ने चुनौती खड़ी कर दी है। हालांकि उनके लिए राहत की बात यह है सामने खड़े बीजेपी के विजय बंसल को निर्दलीय गिरधारी लाल से चुनौती मिल रही है।
दौसा में फंसे गहलोत के दो मंत्री
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि दौसा जिले के लालसोट से इस बार गहलोत के स्वास्य्य मंत्री परसादी लाल मीणा को लोगों की नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है। परसादी लाल यहां से कई बार चुनाव जीते है। तीन बार गहलोत कैबिनेट में शामिल होने का अवसर मिला है। लेकिन इस बार अपनी राजनीतिक जीवन की सबसे बड़ी लड़ाई लड़ रहे हैं। स्थानीय लोगों को माने तो उनका अहंकार जीत में बड़ी बाधा बन रहा है। हालांकि, उनकी छवि साफ सुथरी मानी जाती है। पहचना जमीन से जुड़े नेता की है। लेकिन इस बार बीजेपी के रामबिलास डूंगरपुर उन पर भारी पड़ रहे हैं। दौसा से दो मंत्री मुरारी लाल मीणा जीत सकते हैं। मुरारी लाल पायलट कैंप के माने जाते हैं। जबकि अन्य महिला एवं बाल विकास मंत्री ममता भूपेश को इस बार कांटे की चुनौती मिल रही है। भूपेश के सिकराय में हार-जीत का फैसल गुर्जर और माली वोट करेंगे। दूसरी बड़ी जाति मीणाओं का झुकाव कांग्रेस की तरफ है। सियासी जानकारों का कहना है कि सचिन पायलट ममता भूपेश के लिए प्रचार करने के लिए आ जाते है तो हवा बदल सकती है।
कोटा में धारीवाल को कड़ी चुनौती
गहलोत सरकार में नंबर दो माने जाने वाले कैबिनेट मंत्री शांति धारीवाल को अंतिम छणों में टिकट मिला है। धारीवाल ने कोटा में खूब विकास कार्य करवाए है। लेकिन फिर भी वह मुकाबले में फंसे हुए है। बीजेपी के प्रहलाद गुंजल चुनौती दे रहे हैं। इसी प्रकार बीकानेर से शिक्षामंत्री बुलाकी दास कला, कोलायत से भंवर सिंह भाटी फंसे हुए है। हालांकि, गृहराज्य मंत्री राजेंद्र यादव कोटपूतली से अपनी सीट निकाल सकते हैं। राजेंद्र यादव मित भाषी है। लोगों को मदद करने के लिए जाने जाते हैं। चित्तौड़गढ़ से सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना, झुंझनूं से आने वाले परिवहन मंत्री बृजेंद्र सिंह ओला मुकाबले में फंसे हुए है। जबकि भरतपुर की कामां से शिक्षाराज्य मंत्री जाहिदा खान अर्जुन सिंह बामनिया (एसटी ), अशोक चांदना और सुखराम बिश्नोई की राह आसान दिखाई दे रही है।
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