नई दिल्ली (New Delhi) । भारत इस बार अपना 74वां गणतंत्र दिवस (74th republic day) मनाने जा रहा है. हर साल की तरह इस साल भी राष्ट्रपति (President) के हाथों हमारा तिंरगा झंडा फहराया जाएगा. लेकिन क्या आपके मन में कभी सवाल आया हैं कि जब 15 अगस्त को प्रधानमंत्री (Prime Minister) लाल किले (Delhi Red Fort) से ध्वजारोहण करते हैं, तो वो 26 जनवरी को क्यों नहीं झंडा फहराते? अगर आपको इस बात की जानकारी नहीं हैं तो कोई बात नहीं चलिए हम आपको बताते हैं कि आखिर ऐसा क्यों होता है…
दरअसल 15 अगस्त के दिन प्रधानमंत्री ध्वजारोहण करते हैं, वहीं 26 जनवरी के दिन राष्ट्रपति झंडा फहराते हैं. इन दोनों में बहुत छोटा सा अंतर है, लेकिन ज्यादातर लोगों को पता नहीं होता है.
26 जनवरी को पीएम क्यों नहीं फहराते तिरंगा?
गौरतलब है कि हमारा देश 15 अगस्त 1947 के दिन आजाद हुआ था. उस समय देश का मुखिया प्रधानमंत्री ही था, इसी के चलते हमारे पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू (Pandit jawaharlal nehru) ने लाल किले से ध्वाजारोहण किया था. वहीं 24 जनवरी को डॉ. राजेन्द्र प्रसाद राष्ट्रपति की शपथ ले चुके थे और वें अब देश के प्रथम नागरिक बन गए थे. इसलिए 26 जनवरी के दिन राष्ट्रपति झंडा फहराते हैं.
झंडा फहराने की जगह में भी होता है अंतर
बता दें कि स्वतंत्रता दिवस का कार्यक्रम लाल किले पर होता है. इस दिन प्रधानमंत्री ध्वजारोहण करते हैं. वहीं, गणतंत्र दिवस का कार्यक्रम राजपथ पर होता है. इस दिन राष्ट्रपति झंडा फहराते हैं.
अब जानिए ध्वजारोहण (Flag Hoisting) और झंडा फहराने (Flag Unfurling) में अंतर
हमारे तिरंगे को दो तरीकों से लहराया या फहराया जाता है. जिस ध्वज को ऊपर की तरफ से खींचकर फहराया जाता है, उसे ध्वजारोहण (Flag Hoisting) कहते हैं. वहीं गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रीय ध्वज ऊपर बंधा रहता है उसे बस खोलकर फहराया जाता, इसे झंडा फहराना (Flag Unfurling) कहते है.
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