कैसे होगा निराकरण प्रकरण चिराग शाह के भी विरुद्ध… लेकिन पुलिस ने धाराओं का ही खात्मा कर डाला…
सुप्रीम कोर्ट से लेकर हाई कोर्ट तक ने लिया संज्ञान… फिर भी यह हालत
कालिंदी गोल्ड
शिकायतें 96,
निराकृत 27, अब भी शेष 69, फिनिक्स देवकॉन
शिकायतें 88
निराकृत 46
अब भी शेष 42
सैटेलाइट हिल्स
शिकायतें 71
निराकृत 27
अब भी शेष 44
इंदौर। शहर के भूमाफियाओं के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के निर्देश पर हाई कोर्ट में लंबित प्रकरण में जिला प्रशासन ने एक बार फिर अपनी रिपोर्ट पेश की है। रिपोर्ट में जिन तीन कालोनियों के पीडि़तों को भूखंड या उनकी जमा राशि दिलाई जाना थी, उसमें से सुप्रीम कोर्ट से लेकर हाई कोर्ट तक के निर्देश और जिला प्रशासन (district administration) के प्रयासों के बावजूद मात्र 40 प्रतिशत प्रकरणों में ही निराकरण हो पाया है। कालिंदी गोल्ड की 96 शिकायतों में से जहां 27 निराकृत हुई है, वहीं 69 अब भी शेष हैं। इसी तरह फिनिक्स देवकॉन कालोनी की 88 में से 46 शिकायतें निराकृत हुई हैं, जबकि 42 शिकायतें बाकी हैं। इसी तरह सैटेलाइट हिल्स की 71 में से 27 शिकायतों का निराकरण हुआ है और 44 अभी बाकी हैं। अदालती दबाव में जहां भूमाफिया रितेश अजमेरा, हैप्पी धवन प्रकरणों के निपटारे में लगे हैं, वहीं आश्चर्य की बात यह है कि उच्च न्यायालय में जिस प्रकरण की सुनवाई हो रही है उसमें चिराग शाह भी आरोपी है, लेकिन चिराग के विरुद्ध कायम प्रकरणों में से पुलिस ने दस्तावेजी जुर्म की गंभीर धाराएं हटाकर उसे क्लीन चिट दे दी।
प्रशासन द्वारा भूमाफियाओं के खिलाफ हाई कोर्ट में आज स्टेटस रिपोर्ट पेश की गई। पिछली सुनवाई के दौरान जांच अधिकारी अपर कलेक्टर अभय बिड़ेकर ने भूमाफियाओं द्वारा असहयोग की बात कहते हुए कपड़े उतरवाने तक कि धमकी दिए जाने की भी बात कही थी। इस पर अदालत ने उन्हें स्टेटस रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा था। प्रशासन द्वारा पेश की गई रिपोर्ट में बताया गया कि कालिंदी गोल्ड सिटी में 96 में से मात्र 27 शिकायतों का निराकरण कराया गया, जिनमें से 15 शिकायतों का निराकरण हैप्पी धवन द्वारा कराया गया, जबकि चिराग शाह की फरारी के चलते उसके प्रतिनिधि साजिद खान द्वारा 12 शिकायत निराकृत कराई गर्इं। प्रकरण में 69 शिकायतों का अब तक कोई निराकरण नहीं किया गया है। उल्लेखनीय है कि प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट में दी गई रिपोर्ट में इनमें से 47 शिकायतों का निराकरण होना बताया गया था, लेकिन आज पेश रिपोर्ट में लिखा कि ऐसे पीडि़त, जिन्हें पूर्व में निराकृत बताया गया था, उनका वास्तविक एवं पूर्व निराकरण नहीं हो पाया है। यानी खुद प्रशासन अपनी रिपोर्ट को लेकर भ्रम की स्थिति में नजर आ रहा है। इसी तरह फिनिक्स देवकॉन कालोनी में 88 शिकायतों में से 46 शिकायतों का निराकरण हो पाया है, जबकि 42 शिकायतों का निराकरण अभी शेष है और उसका मुख्य कारण प्रशासन द्वारा यह बताया गया कि फिनिक्स में भूमाफिया रितेश अजमेरा उर्फ चम्पू द्वारा जहां शिकायतों के निरारकण मेें दिलचस्पी ली जा रही है, वहीं कालोनाइजर कंपनी के तत्कालीन डायरेक्टर चिराग शाह को बार-बार सूचित किए जाने के उपरांत भी उनके द्वारा जिला प्रशासन को सहयोग नहीं किया जा रहा है, जिसके कारण 22 पीडि़तों के 29 भूखंडों का निराकरण होना है। इसी तरह कालिंदी गोल्ड सिटी में भी जिन 69 शिकायतों का निराकरण नहीं हो पाया, उसका मुख्य कारण यह है कि प्रशासन ने जहां माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई की, वहीं पुलिस ने इसी कालोनी के डायरेक्टर भूमाफिया चिराग शाह पर से धारा 467, 468 हटाकर उसे मामूली 420 की धारा का मुल्जिम बनाकर राहत दे दीतीसरी कालोनी सैटेलाइट हिल्स की रिपोर्ट देते हुए प्रशासन ने बताया कि कालोनी के 71 शिकायतकर्ताओं के 76 भूखंडों में से 27 शिकायतकर्ताओं को 59 भूखंड दिला दिए गए हैं, जबकि 44 शिकायतकर्ताओं के 17 भूखंडों का निराकरण कराया जाना शेष है। प्रशासन द्वारा बताया गया कि इस प्रकरण में उक्त कालोनी के कर्ताधर्ताओं द्वारा कई किसानों की भूमियां बिना उनकी सहमति के फर्जी हस्ताक्षर कर टाउन एंड कंट्री प्लानिंग द्वारा पास कराए गए नक्शे में शामिल कर ली। उक्त कालोनी के भूस्वामी योगेश जैन पिता सरदारमल जैन ने बताया कि मेरे स्वामित्व की भूमि पर सैटेलाइट हिल्स कालोनी का अभिन्यास बिना मेरी सहमति के 20-7-2007 को स्वीकृत कराया गया। इस प्रकरण में अवैध रूप से नक्शा पास कराए जाने के मामले में कार्रवाई लंबित है।
भूमाफिया बड़े या मुख्यमंत्री..? अग्निबाण इम्पैक्ट… पीडि़तों की बजाय पुलिस ने मद्दे-चिराग जैसे जमीनी जादूगरों की भरपूर मदद की, पकडक़र छोडऩे के बाद अब बोल रहे हैं – इनका खुला घूमना समाज के लिए घातक
भूमाफिया से सांठगांठ कर इंदौर पुलिस ने दिया शिवराज को भी धोखा…
अब पोल खुलने पर बताया बलात्कारी-डकैत और हत्यारों की तरह खतरनाक अपराधी
पुलिस भी गजब है… चिराग शाह जैसे भूमाफिया को पकडक़र छोडऩे के बाद अब हाईकोर्ट में यह रिपोर्ट प्रस्तुत कर रही है कि इन जैसों का खुला घूमना समाज के हित में नहीं है और ये बलात्कार, हत्या, डकैती जैसे गंभीर अपराध करने वाले जैसे ही हैं, जबकि इंदौर पुलिस ने खुद भूमाफियाओं को क्लीन चिट देते हुए गंभीर अपराधों की धाराएं हटाकर उन्हें आजादी दी, जिसका खुलासा करते हुए अग्निबाण ने इंदौर पुलिस की भूमाफियाओं के साथ हुई सांठगांठ को बेबाकी से पिछले दिनों उजागर किया, जिसके चलते इंदौर पुलिस में तो हडक़म्प मचा ही, वहीं भोपाल तक यह मामला पहुंचा और आला अधिकारी भूमाफियाओं की फाइलों की फिर से जांच में जुटे हैं। दरअसल इंदौर पुलिस ने एक तरह से मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को ही धोखा दिया और उनकी घोषणाओं तथा मंशा के विपरित भूखंड पीडि़तों को न्याय दिलवाने की बजाय थाना प्रभारियों और कुछ अफसरों ने मद्दे, चिराग जैसे जमीनों के डकैतों के साथ सांठगांठ कर ली और करोड़ों रुपए बटोरते हुए जमीनों, भूखंडों, फ्लैटों के भी मालिक बन गए। मुख्यमंत्री लगातार सार्वजनिक मंचों से दहाड़ते रहे कि एक भी माफिया नहीं बचेगा। मगर इंदौर पुलिस ने मुख्यमंत्री को भी धोखा देते हुए उनकी घोषणाओं तथा भूखंड पीडि़तों को न्याय दिलवाने की नेक मंशा के विपरित मद्दे, चिराग जैसे चर्चित जमीनों के डकैतों के साथ सांठगांठ कर ली। बाणगंगा, लसूडिय़ा, तुकोगंज, खजराना सहित कई थानों में दर्ज इन भूमाफियाओं के खिलाफ दर्ज एफआईआर को ही कमजोर कर दिया और गंभीर धाराओं से बरी करते हुए थानों से ही जमानतें दे डालीं। यह पूरा मामला अग्निबाण ने उजागर किया, जिसके चलते पुलिस महकमे में हडक़म्प मचा और अब पुुलिस कमिश्नर हरिनारायणचारी मिश्र कह रहे हैं कि इन भूमाफियाओं को जमानत न मिले, इसके हम पूरे प्रयास कर रहे हैं और इस तरह के अपराधियों को कड़ी से कड़ी सजा भी दिलवाएंगे। मजे की बात यह है कि इनमें से एक चिराग को तो पुलिस ने अभी मथुरा में मद्दे के साथ पकडऩे के बाद छोड़ दिया था। अब देखना यह है कि पुलिस का यह नया दावा कितना खरा साबित होगा। अब यदि ईमानदारी से तुकोगंज, संयोगितागंज, खजराना, एमआईजी, विजय नगर, लसूडिय़ा, बाणगंगा, राजेन्द्र नगर सहित उन सभी थानों में दर्ज एफआईआर की जांच अगर मुख्यमंत्री नए सिरे से करवाएं तो कई थाना प्रभारियों और अफसरों की सांठगांठ उजागर हो सकती है।
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