लंदन (London)। ब्रिटेन (Britain) स्थित एक संस्था ने बुधवार को एक नई रिपोर्ट जारी की है, जिसमें ब्रिटिश स्कूलों (british schools) में हिंदू-विरोधी नफरत फैलने (spreading anti-Hindu hatred) को लेकर आगाह किया गया है। संस्था की रिपोर्ट के मुताबिक ब्रिटिश स्कूलों में हिन्दू बच्चों (hindu kids) को विवादित इस्लाम प्रचारक जाकिर नायक (Controversial Islam preacher Zakir Naik) का वीडियो देखने को मजबूर किया जा रहा है और हिन्दुओं का पाकी कहा जा रहा है। इस रिपोर्ट में कुछ घटनाओं के उदाहरण दिए गए है, जिनमें हिंदुओं को इस्लाम अपनाने के लिए परेशान किए जाने समेत विभिन्न घटनाओं का जिक्र है।
इस रिपोर्ट के आने के बाद अंग्रेजों के हिंदू-विरोधी नस्लवाद का सच उजागर हो गया है। ब्रिटेन स्थित हिन्दू जनजागृति समिति के एक अध्ययन में चौंकाने वाली घटनाएं सामने आई हैं। इसकी रिपोर्ट के मुताबिक, हिंदू बच्चों को जाकिर नाइक का वीडियो देखने के लिए कहा गया और हिंदुओं को धर्मांतरित करने या भाड़ में जाने के लिए भी कहा गया। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि गोरे बच्चों द्वारा हिंदू छात्रों को ‘पाकी’ कहा जाता है और ब्रिटिश स्कूलों में हिंदू विरोधी गालियां आम हैं।
आतंकवाद रोधी संस्था हैनरी जैक्सन सोसाइटी ने ‘स्कूलों में हिंदू-विरोधी नफरत’ रिपोर्ट में कहा है कि जिन हिंदू अभिभावकों से बातचीत की गई, उनमें से 51 प्रतिशत ने बताया कि उनके बच्चे को हिंदू-विरोधी नफरत का सामना करना पड़ा है। अध्ययन में शामिल कुछ प्रतिभागियों ने कहा है कि हिंदू धर्म की शिक्षा के मामले में भी हिंदू छात्रों के साथ धार्मिक भेदभाव किया जा रहा है।
संस्था ने कहा, “यह रिपोर्ट ब्रिटेन के स्कूलों में हिंदुओं के खिलाफ बढ़ते भेदभाव को रेखांकित करती है। सर्वे में शामिल 51 प्रतिशत हिंदू अभिभावकों ने कहा है कि उनके बच्चे ने स्कूल में हिंदू विरोधी नफरत का सामना किया है।”
संस्था ने कहा, “यह रिपोर्ट स्कूलों में हिंदुओं के अनुभव के बारे में अधिक जागरूकता व समझ पैदा करने तथा अन्य प्रकार के संभावित पूर्वाग्रहों पर और शोध किए जाने की आवश्यकता को रेखांकित करती है। यह ऐसी घटनाओं का पता लगाने के लिए अधिक विशिष्ट और सटीक सूचना तंत्र की आवश्यकता पर प्रकाश डालती है।”
ब्रिटेन के स्कूलों में 16 वर्ष की आयु तक धार्मिक शिक्षा अनिवार्य है। यह रिपोर्ट ‘सूचना की स्वतंत्रता’ के तहत देशभर के 1,000 स्कूलों से मांगी गई जानकारी और स्कूली बच्चों के अनुभव के बारे में 988 माता-पिता से की गई बातचीत पर आधारित है।
रिपोर्ट जारी करने से संबंधित कार्यक्रम में सांसद संदीप वर्मा ने कहा, “इस रिपोर्ट ने एक अहम मुद्दे की ओर ध्यान आकर्षित किया है। अगर हमारे बच्चे स्कूल जाने से डरने लगें, तो यह स्वीकार्य नहीं है, भले ही वह किसी में भी आस्था विश्वास रखते हैं।”
रिपोर्ट की लेखिका कार्लोट लिटिलवुड ने कहा कि अगस्त के अंत में दुबई में आयोजित एशिया कप में भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच के मद्देनजर पिछले साल लीसेस्टर में हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच भड़की हिंसा के विश्लेषण के दौरान स्कूलों पर उनका ध्यान केंद्रित हुआ।
लिटिलवुड ने कहा, “हमने पाया कि शिक्षक समस्या से खेल रहे थे, इनमें समस्याओं पर पर्दा डालना और कुछ स्थानों पर हिंदू धर्म के प्रति पूर्वाग्रह युक्त विचार रखना शामिल है।” उन्होंने कहा, “अगर हमें आगे बढ़ते हुए एक समान ब्रिटेन वासी बनना है, तो हमें अपनी कक्षाओं में सभी प्रकार की नफरत से निपटना होगा।”
लिटिलवुड की रिपोर्ट में कहा गया है कि कक्षा में हुए कुछ भेदभाव हिंदुओं और मुसलमानों के बीच लीसेस्टर में अशांति के दौरान देखी गई नफरत की अभिव्यक्तियों के समान थे। रिपोर्ट में कहा गया है, “हिंदुओं के प्रति अपमानजनक व्यवहार के कई उदाहरण है, जैसे कि उनके शाकाहारी होने का मज़ाक उड़ाया जाना और उनके देवताओं का अपमान करना। ऐसा ही कुछ इस्लामवादी चरमपंथियों ने लीसेस्टर में हिंदू समुदाय के खिलाफ रैली में किया था। भारत में राजनीति और सामाजिक मुद्दों के लिए हिंदुओं को जिम्मेदार ठहराए जाने के बीसियों मामले इजराइल के संबंध में यहूदियों से किए गए व्यवहार और 9/11 हमलों के बाद मुसलमानों से किए गए सलूक की याद दिलाते हैं।”
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