नई दिल्ली: दिल्ली में सर्दी के दौरान औसत पीएम 2.5 प्रदूषण महामारी से पहले के मुकाबले 20 फीसदी घट गया है. विज्ञान और पर्यावरण केंद्र (CSE) की ओर से जारी नई रिपोर्ट में यह दावा किया गया है. आकलन के दौरान दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में एक जनवरी 2015 से लगातार सर्दी के सात मौसमों और सर्दी पूर्व के रुझानों को शामिल किया गया.
यह रिपोर्ट इस क्षेत्र के सक्रिय 81 वायु गणवत्ता निगरानी स्टेशन से उपलब्ध ‘रियल टाइम डाटा’ पर आधारित है. महामारी से पहले सर्दी के दौरान पीएम 2.5 सांद्रता प्रति घन मीटर 180-190 माइक्रोग्राम तक बढ़ जाती थी, लेकिन रिपोर्ट में कहा गया है कि पीएम 2.5 सांद्रता अब घटकर प्रति घन मीटर 150 से 160 माइक्रोग्राम तक रह गई है.
प्रदूषण को लेकर रिपोर्ट में बड़ा दावा
सीएसई में शोध निदेशक अनुमिता रॉयचौधरी ने कहा कि रिपोर्ट का मकसद प्रदूषण के रुझान को समझना है. हालांकि, सीएसई ने पाया कि सुधार के बावजूद इस मौसम का औसत अब भी 24 घंटों के मानक स्तर (60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर) के मुकाबले 150 फीसदी अधिक है और यह करीब-करीब वार्षिक मानक स्तर (40 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर) का चार गुना है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि महामारी से पहले चरम प्रदूषण (24 घंटों का सर्वाधिक खराब औसत) प्रति घन मीटर 800 माइक्रोग्राम के आंकड़े को पार कर जाया करता था, लेकिन पिछली तीन सर्दियों के दौरान यह स्तर प्रति घन मीटर 700-800 माइक्रोग्राम रहा. हालांकि, सीएसई ने कहा कि चरम प्रदूषण का आंकड़ा असल स्तर को नहीं दर्शाता क्योंकि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने साल 2016-17 में प्रति घन मीटर 1000 माइक्रोग्राम की सीमा तय कर दी थी, जिससे चरम प्रदूषण स्तर का आकलन बहुत अधिक प्रभावित हुआ है.
शोधकर्ताओं ने कहा कि साल 2020-21 के मुकाबले वर्ष 2021-22 में एनसीआर के ज्यादातर शहरों में सर्दी में प्रदूषण सबसे कम था. गाजियाबाद में 30 फीसदी सुधार हुआ जो सभी बड़ी शहरों में सर्वाधिक है, लेकिन पीएम 2.5 स्तर अब भी 24 घंटों के मानक स्तर के मुकाबले करीब ढाई गुना था. ग्रेटर नोएडा (28 फीसदी), नोएडा (23 फीसदी) और फरीदाबाद (16 फीसदी) में भी सुधार दर्ज किया गया जो दिल्ली (12 फीसदी) से अधिक है. एनसीआर में सबसे खराब प्रदर्शन गुरुग्राम का रहा जहां प्रदूषण स्तर में केवल 11 फीसदी सुधार हुआ.
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved