नई दिल्ली (New Delhi)। हिंडनबर्ग (Hindenburg) मामले के सामने आने के बाद अदाणी समूह (Adani Group) को कितना नुकसान हुआ ये बात जगजाहिर है। लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि अपने कर्ज को रिफाइनेंस (loan refinance) करने के लिए अदाणी समूह कर्जदाताओं के साथ बातचीत कर रहा है।
एक रिपोर्ट में मंगलवार को कहा गया कि अदाणी समूह वैश्विक बैंकों सहित अन्य कर्जदाताओं के साथ बातचीत कर रहा है, क्योंकि पिछले साल उसने अंबुजा सीमेंट्स लिमिटेड (Ambuja Cements Limited) के अधिग्रहण के लिए 3.8 अरब डॉलर की राशि कर्ज (3.8 billion dollar loan) ली थी, जिसे अब वो रिफाइनेंस करना चाहता है। समूह को विश्वास है कि वह इस प्रक्रिया को तीन से चार महीने में पूरा कर लेगा।
कर्ज को लंबी अवधि में बदलना चाहता है अदाणी समूह
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय कारोबारी गौतम अदाणी, जो कि पोर्ट से लेकर पावर तक के समूह के मालिक हैं वो अपने मूल कर्ज को अब लंबे समय के लिए परिपक्वता अवधि (Maturity Period) में बदलना चाहते हैं। उन्होंने इस बारे में बैंकों से बात करना भी शुरू कर दिया है। सबसे दिलचस्प बात यह है कि जनवरी में जिस तरह से हिंडनबर्ग के कई आरोप सामने आए थे उसके बाद क्या वैश्विक क्रेडिट लाइन कंपनी इसके लिए फिर से तैयार होंगी या नहीं। हालांकि, अदाणी समूह ने इन आरोपों से इनकार कर दिया था। उन्होंने हिंडनबर्ग के कई सवालों का जवाब दिया था। इस प्रक्रिया में ज्यादातर मौजूदा कर्जदाताओं के भाग लेने की उम्मीद है।
कौन-कौन बैंक हो सकते हैं इसमें शामिल
अदाणी समूह के कर्ज को रिफाइनेंस कराने की इस प्रक्रिया में कई विदेशी बैंकों के शामिल होने की उम्मीद है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बार्कलेज पीएलसी, डॉयचे बैंक, स्टैंडर्ड चार्टर्ड पीएलसी और मित्सुबिशी यूएफजे फाइनेंशियल ग्रुप इंक सहित इसके अधिकांश मौजूदा ऋणदाताओं से रिफाइनेंस डील में भाग लेने के लिए बातचीत हो रही है। जबकि कुछ ऋणदाता व्यवस्था के अनुमोदन के लिए अपनी संबंधित अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट टीमों के पास गए हैं।
वहीं दूसरी ओर बार्कलेज, डॉयचे, एमयूएफजी और स्टैंडर्ड चार्टर्ड ने इस मामले में टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है। रिपोर्ट में आगाह किया गया है सौदा अभी तक तय नहीं हुआ है और आगे नहीं बढ़ा है। अगर ये डील होती है तो जनवरी में हिंडनबर्ग के खुलासे के बाद समूह का ये पहला बड़ा प्रयास होगा।
बता दें कि पिछले साल अदाणी समूह ने 10.5 बिलियन डॉलर के सौदे में एसीसी लिमिटेड और अंबुजा सीमेंट्स लिमिटेड का अधिग्रहण किया था, जिसे कई कर्ज द्वारा वित्तपोषित किया गया था। मार्च में मीडिया में रिपोर्ट आई थी कि अदाणी सीमेंट फर्मों को खरीदने के लिए पिछले साल लिए गए करीब चार अरब डॉलर के बकाया ऋण की शर्तों पर फिर से बातचीत करना चाह रहा है।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई समिति कर रही है जांच
अदाणी समूह पर लगे आरोपों की जांच भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त विशेषज्ञों का एक पैनल कर रहा है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पिछले महीने एक रिपोर्ट में कहा गया था कि अदाणी के शेयरों में बेतहाशा उछाल के पीछे कोई नियामक विफलता या गलत काम नहीं है। फिर भी, अदाणी समूह के खिलाफ शॉर्टसेलर के आरोपों की जांच पूरी करने के बाद अगस्त में भारत के प्रतिभूति प्रहरी (Securities Watchdog) की ओर से एक और फैसला आ सकता है।
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