भोपाल। मध्य प्रदेश (MP) में 29 और राजस्थान (Rajsthan) में हर दिन वर्ष 2021 में औसतन 14 बच्चे गुम हुए हैं। मप्र में 10,648 और राजस्थान में 5,354 बच्चे अपने परिवार से अलग हो गए। 2020 में यह आंकड़ा 8,751 और 3,179 ही था। यह दावा चाइल्ड राइट्स एंड यू (cry) की ‘स्टेट्स रिपोर्ट ऑन मिसिंग चिल्ड्रन’ रिपोर्ट में किया गया है।
गैर सरकारी संगठन ‘क्राई’ की एक रिपोर्ट में के मुताबिक, उत्तर भारत के चार प्रमुख राज्यों में बच्चों के लापता होने के मामलों में काफी वृद्धि हुई है। ‘चाइल्ड राइट्स एंड यू’ (cry) की ‘स्टेटस रिपोर्ट ऑन मिसिंग चिल्ड्रन’ रिपोर्ट के मुताबिक 2021 में मध्य प्रदेश और राजस्थान में लापता लड़कियों की संख्या लड़कों की तुलना में पांच गुना अधिक है।
राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो के 2020 के आंकड़ों पर अगर नजर डाले तो मध्य प्रदेश में लापता बच्चों के 8,751 और राजस्थान में 3,179 मामले दर्ज किए गए। क्राइ के साझेदार संगठनों की ओर से सूचना का अधिकार कानून (आरटीआई) के तहत दायर आवेदनों के जवाब में सरकारों ने बताया कि 2021 में मध्य प्रदेश में बच्चों के गुम होने के 10,648 और राजस्थान में 5,354 मामले दर्ज किए गए हैं। आरटीआई आवेदनों के माध्यम से एकत्र किए गए आंकड़ों से पता चलता है कि मध्य प्रदेश में लापता बच्चों की संख्या के मामले में शीर्ष पांच जिलों में इंदौर, भोपाल, धार, जबलपुर और रीवा शामिल हैं। यहां तक कि रिपोर्ट कहती है कि मध्य प्रदेश से प्रतिदिन औसतन 24 लड़कियां और पांच लड़कों समेत 29 बच्चे लापता हुए हैं। राजस्थान में कुल 5,354 बच्चे-4,468 लड़कियां और 886 लड़के लापता हुए।
रिपोर्ट के मुताबिक राजस्थान में हर दिन औसतन 12 लड़कियों और दो लड़कों समेत 14 बच्चे लापता हुए। यह आंकड़े 2020 की तुलना में मध्य प्रदेश में लापता बच्चों के मामलों में लगभग 26 प्रतिशत की वृद्धि और राजस्थान में 41 फीसदी की बढ़ोतरी का संकेत देते हैं। इसके मुताबिक, 2020 में 2,222 बच्चों की तस्करी की गई थी और इनमें सबसे ज्यादा संख्या राजस्थान की थी जहां 815 बच्चों की तस्करी की गई थी।
जबकि दूसरी ओर क्राइ (उत्तर) की क्षेत्रीय निदेशक सोहा मोइत्रा ने बताया कि मध्य प्रदेश और राजस्थान में 2021 में लापता हुए बच्चों में 83 फीसदी से ज्यादा लड़कियां थीं। मध्य प्रदेश में पिछले साल 8,876 लड़कियों और राजस्थान में 4,468 लड़कियों के लापता होने के मामले दर्ज किए गए। उन्होंने कहाकि यह गंभीर चिंता का विषय है कि पिछले पांच वर्षों से लापता बच्चों में लड़कियों की संख्या अधिक है।
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