नागदा। श्री श्वेतांबर मूर्तिपूजक जैन श्रीसंघ के तत्वावधान में चल रहे आत्मोद्धारक चातुर्मास समिति अन्तर्गत रविवार को रविवारीय विशेष पापों का इकरार विषय पर शिविर का आयोजन मुनिराज चन्द्रयशविजयजी एवं मुनिश्री जिनभद्रविजयजी की निश्रा में आयोजित किया गया।
सर्वप्रथम शंखेश्वर पाश्र्वनाथ प्रभु की संगीतमय प्रार्थना से प्रारम्भ हुए शिविर में समाजजनों ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया। विषय पर प्रकाश डालते हुए मुनिराजश्री ने बताया कि व्यापार व्यवसाय या जीवन में लालच के चलते झूठ बोलने से जीवन दुखी हो जाता है। सत्य बोलने के आठ तरीके शारत्र में बताये लेकिन झूठ बोलने के नहीं। अदत्त दान या चोरी का पाप बिना पूछे उठाना उपयोग करना भी चोरी में आता है। पुण्य श्रावक प्रतिदिन उतना ही कमाते थे जितना पति पत्नी मे उपयोग होता था। इसमें भी दोनों एक दिन छोड़कर उपवास करते थे। उनका भाव यह था कि एक दिन का भी कमाकर रह गया और जीवन पूरा हो गया तो एक दिन की कमाई का पाप क्यों ले जाऊं। कार्यक्रम में श्रीसंघ अध्यक्ष हेमन्त कांकरिया, श्रीसंघ सचिव मनीष सालेचा व्होरा, चातुर्मास समिति अध्यक्ष रितेश नागदा, चातुर्मास समिति सचिव राजेश गेलड़ा, श्रीसंघ कोषाध्यक्ष हर्षित नागदा, चातुर्मास समिति उपाध्यक्ष सोनव वागरेचा, चातुर्मास समिति कोषाध्यक्ष निलेश चौधरी, भंवरलाल बोहरा, सुनील कोठारी, कमलेश नागदा, विरेन्द्र सकलेचा, शान्तिलाल बोहरा, बाबुलाल ओरा, अभय चोपड़ा, सुरेन्द्र कांकरिया, अनोखीलाल पोखरना, सुभाष गेलड़ा, आशीष चौधरी, यश गेलड़ा, आयुष बोहरा, ब्रजेश बोहरा, निखिल मेहता, सहित श्रीसंघ एवं चातुर्मास समिति सदस्य उपस्थित थे।
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