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    राष्ट्रीय स्वाभिमान का पुनर्जागरण

  • December 17, 2021

    – डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

    काशी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पौराणिक व ऐतिहासिक तथ्यों का उल्लेख किया। काशी की महिमा का प्रतिपादन किया। औरंगजेब और सालार मसूद के माध्यम से भारतीय संस्कृति व आस्था स्थलों पर हमले का प्रसंग उठाया। लेकिन नरेंद्र मोदी ने वर्तमान संदर्भ में इस कड़ी को आगे नहीं बढ़ाया। जब राष्ट्रीय स्वाभिमान के विषयों को सांप्रदायिक माना गया, जब आस्था के स्थलों को यथास्थिति में ही सदियों तक स्वीकार कर लिया गया, तब नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ के प्रयासों से राष्ट्रीय स्वाभिमान को स्थापित किया गया।

    प्राचीन काल में अनेक प्रजा हितैषी शासक स्थिति के आकलन हेतु रात्रि में भ्रमण पर निकलते थे। काशी की सड़कों पर देर रात प्रधानमंत्री व उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पैदल निकल पड़े। उन्होंने काशी में चल रहे व पूर्ण हो चुके विकास कार्यों का अवलोकन किया। यह भ्रमण पूर्व निर्धारित कार्यक्रम में शामिल नहीं था। नरेंद्र मोदी व योगी आदित्यनाथ रात्रि में तीन चार घंटे ही विश्राम करते हैं। यहां प्रवास के दौरान उनके पास सरकारी फाइलें निपटाने का कार्य नहीं रहा होगा। शायद इसलिये दोनों नेताओं ने देर रात विचार-विमर्श के बाद पैदल चलकर विकास कार्यों और शहर में हुए बदलाव का निकट से अवलोकन किया।

    सड़कों पर प्रधानमंत्री को पैदल चलते देख नागरिक हैरत में पड़ गये। जिन्होंने उन्हें देखा हर-हर महादेव के उद्घोष से उनका स्वागत किया। मोदी ने भी लोगों का अभिवादन स्वीकार किया। वह ड़ेढ़सीपुल के पास पहुंचे। वाराणसी परिक्षेत्र के कमिश्नर दीपक अग्रवाल को तलब किया। उनसे विकास कार्यों की जानकारी ली। कमिश्नर ने विस्तार से बीस मिनट तक बताया। प्रधानमंत्री पूरी गंभीरता से उनकी बात सुनते रहे। कहा कि जनसहयोग से दशाश्वमेध मार्ग समेत पूरे क्षेत्र को और भव्य बनाया जाए।

    इसी दौरान एक दंपति को बच्चे के साथ जाता देख प्रधानमंत्री प्रोटोकाल तोड़कर उनके पास पहुंचे तो दंपति हैरत में पड़ गया। फिर मुस्कराते हुए प्रधानमंत्री का अभिवादन किया तो प्रधानमंत्री ने उनके मासूम बच्चे को दुलारा और प्यार किया। योगी आदित्यनाथ ने भी बच्चे के सिर पर स्नेह से हाथ फेरा। कुछ देर बच्चे को स्नेह देने के बाद प्रधानमंत्री ने उनका हालचाल पूछा। कहा कि इतनी रात में घूम रहे हैं, डर नहीं लगता। इस पर राजस्थान के दंपति ने कहा नहीं।

    इसके पहले नरेंद्र मोदी दोबारा श्री विश्वनाथ धाम दर्शन पूजन के लिए पहुंचे। बीस मिनट तक दर्शन पूजन के बाद उन्होंने बाबा दरबार की लाइटिंग आदि को निहारा। शहर में हुए बदलाव और बनारस रेलवे स्टेशन को भी देखा। गोदौलिया मैदागिन होते हुए कबीरचौरा से लहुराबीर चौराहे पहुंचे। फिर संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के समीप से गुजरने वाली सड़क से होते हुए चौकाघाट लकड़ी मंडी पहुंच गए। जहां से फ्लाइओवर को देखा फिर लहरतारा से मंडुआडीह होते हुए बनारस रेलवे स्टेशन पहुंच गए। स्टेशन परिसर में पैदल चलकर दूसरे प्रवेश द्वार पर लगे रेल इंजन के मॉडल को देखा। फिर स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर आठ पर पहुंच गए। कुछ देर प्लेटफॉर्म पर बिताने के बाद वीआईपी लाउंज के अंदर गए। इस दौरान यात्रियों और स्टॉल पर मौजूद दुकानदारों का हाथ हिलाकर अभिवादन किया।

    नरेंद्र मोदी की काशी यात्रा व श्री काशी विश्वनाथ धाम का लोकार्पण सोशल मीडिया पर भी सर्वाधिक ट्रेडिंग पर रहा। पूरे देश में सुबह से शाम तक लोकार्पण कार्यक्रम नंबर एक पर ट्रेंड करता रहा। लोगों ने काशी विश्वनाथ धाम हैशटैग के साथ करीब दस हैशटैग और कीवर्ड का उपयोग किया। काशी विश्वनाथ धाम हैशटैग की नेशनल रैंक वन रही। नेशनल बेस्ट रैंक वन रही। स्टेट रैंक बेस्ट स्टेट रैंक वन है।

    ट्वीट की संख्या का विश्व रिकॉर्ड कायम हुआ। विश्व के अन्य देशों में रह रहे प्रवासी भारतीयों द्वारा भी इस कार्यक्रम को लाइव देखा गया। सोशल मीडिया पर खूब पोस्ट एवं ट्वीट किया गया। एक हफ्ता पहले से हैशटैग दिव्य काशी भव्य काशी के साथ काशी विश्वनाथ धाम की प्रतिदिन के निर्माण कार्य, सुबह एवं शाम की सुंदर फोटो और वीडियो, ड्रोन कैमरे से लिए गए फोटो और वीडियो के साथ हैशटैग के साथ प्रयोग कर सोशल मीडिया पर खूब पोस्ट एवं ट्वीट किया गया।

    इससे कार्यक्रम का संपूर्ण भारत में उत्सव के आयोजन जैसा माहौल बन गया। काशी विश्वनाथ धाम का लोकार्पण करने पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हर तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल होती रही। साथ ही काशी विश्वनाथ धाम के भव्य और दिव्य रूप की तस्वीरें भी छाई रहीं। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि हजार वर्षाें से काशी को विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ा। ढाई सौ वर्ष पहले इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने बाबा विश्वनाथ की पुनर्स्थापना में महती योगदान दिया। महाराजा रणजीत सिंह ने मन्दिर को स्वर्णमण्डित कराया। ग्वालियर की रानी ने भी मन्दिर में अपना योगदान किया। अब नरेंद्र मोदी द्वारा काशी विश्वनाथ धाम का यह भव्य स्वरूप साकार हुआ है। भारतीय संस्कृति एवं परंपरा को आगे बढ़ने का अवसर प्राप्त हुआ है।

    इसके पहले नरेंद्र मोदी ने कहा कि संकल्प, स्वच्छता, सृजन तथा आत्मनिर्भर भारत के लिए निरंतर प्रयास जारी रखना है। स्वच्छता जीवनशैली होती है, अनुशासन होता है। यह कर्तव्यों की एक बहुत बड़ी श्रृंखला लेकर आती है। गंगा जी की स्वच्छता के लिए उत्तराखण्ड से लेकर बंगाल तक प्रयास चल रहे हैं। नमामि गंगे अभियान की सफलता के लिए सजग होकर काम करते रहना होगा। चुनौतियों के बीच चालीस से भी ज्यादा यूनीकॉर्न यानी स्टार्ट अप बनाये। एक यूनीकॉर्न करीब सात सात हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का है। यह पिछले एक-डेढ़ साल में बना है। इतने कम समय में यह अभूतपूर्व है।

    दो दिवसीय काशी दौरे के अंतिम दिन प्रधानमंत्री चौबेपुर उमरहा स्थित स्वर्वेद महामंदिर धाम में आयोजित स्वतंत्रता संग्राम सेनानी व संत सदाफल देव महाराज की जेल यात्रा के शताब्दी महोत्सव एवं विहंगम योग संत समाज के वार्षिकोत्सव के सहभागी हुए। उन्होंने कहा कि ये संकल्प ऐसे होने चाहिए जिसमें सद्गुरु के संकल्पों की सिद्धि हो और जिसमें देश के मनोरथ भी शामिल हों।

    काशी विश्वनाथ धाम लोकार्पण के बाद शहर के बरेका गेस्ट हाउस में रात्रि प्रवास कर प्रधानमंत्री दूसरे दिन बरेका प्रशासनिक भवन के कीर्ति कक्ष सभागार में मुख्यमंत्रियों की बैठक ले रहे थे। बैठक में उन्होंने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी विकास कार्यों और विधानसभा चुनाव की तैयारियों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि सांसद, विधायक और जन प्रतिनिधि लगातार अपने क्षेत्र की जनता के बीच बने रहें। सभी मुख्यमंत्रियों ने प्रधानमंत्री के सामने अपने कार्य का प्रेज़ेंटेशन दिया। बैठक में भाजपा शासित उत्तर प्रदेश सहित ग्यारह प्रांतों के मुख्यमंत्रियों व सात उपमुख्यमंत्री शामिल रहे।

    (लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)

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